डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड के द्वारा डिजिटल भुगतान को लोगों के लिए और भी सुरक्षित बनाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने नए नियम लागू किए हैं, जो कि 1 अक्टूबर,2020 से प्रभावी हो चुके हैं। चूंकि बैंकिंग से संबंधित धोखाधड़ी के मामले आए दिन बढ़ते जा रहे हैं। नियमों में बदलाव के ज़रिए आरबीआई धोखाधड़ियों से लोगों को बचाने की कोशिश में है।
भारतीय स्टेट बैंक (SBI), आईसीआईसीआई (ICICI) बैंक, पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और HDFC बैंको में ही भारतीय रिज़र्व बैंक ने नियमों में बदलाव किए हैं। कुछ सेवाएं सिर्फ इन बैंकों के ग्राहकों के लिए ही बदली गयी हैं। सारी सेवाएं अंतराष्ट्रीय लेनदेन से संबंधित हैं।
आईसीआईसीआई, भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और एचडीएफसी बैंको ने 30 सितंबर 2020 की आधी रात से ही अपने ग्राहकों के पास एसएमएस यानी लघु संदेश सेवा के ज़रिए सूचनाएं पहुंचानी शुरू कर दी थी। ताकि बन्द की गयी सेवाएं और नए नियमों के बारे में लोगों को पहले से ही जानकारी मिल जाये।
यह हैं नए नियम
नए नियमों में ग्राहकों को अधिक प्राथमिकता दी गयी है।
1) इश्यू ( कार्ड लेते समय) / री–इश्यू ( नया–कार्ड दोबारा लेने पर) के समय, सभी डेबिट या क्रेडिट कार्ड को सिर्फ भारत के एटीएम और प्वाइंट ऑफ सेल (PoS) डिवाइस यानी बिक्री केंद्र में ही इस्तेमाल किया जा सकेगा।
2) ग्राहक अगर भारत के बाहर अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करना चाहता है, तो उसे इसके लिए सबसे पहले अपने बैंक से बात करनी होगी। तभी वह भारत के बाहर रहकर अपने कार्ड का इस्तेमाल कर पाएगा।
3) मौजूदा डेबिट या क्रेडिट कार्ड के लिए, बैंक या जारीकर्ता अपने ज़ोखिम पर कार्ड को निष्क्रिय कर सकते हैं। कार्ड वर्तमान (अंतराष्ट्रीय) लेनदेन और संपर्क रहित न हो।
4) साथ ही, आरबीआई ने सभी बैंकों और डेबिट, क्रेडिट कार्ड ज़ारी करने वाली कंपनियों को कार्डो के ज़रिये ऑनलाइन भुगतान करने को बंद करने को कह दिया है। जिनका इस्तेमाल भारत या विदेश में ऑनलाइन लेनदेन के लिए कभी नहीं किया गया है।
5) लेनदेन की सीमा तय कर सकेंगे ग्राहक
कार्ड धारक डेबिट और क्रेडिट कार्ड दोनों के लिए लेनदेन की सीमा तय कर सकते हैं। इस्तेमाल करने वाले धारक के पास लेनदेन को सीमित करने से लेकर, बन्द या चालू करने का हक़ होगा।
6) लेनदेन के अन्य माध्यम जैसे मोबाइल ऐप्लीकेशन, इंटरनेट बैंकिंग, एटीएम, इंटरेक्टिव वॉयस रिस्पॉन्स (IVR) तक उसकी पहुंच होगी, जिसका वह इस्तेमाल कर सकता है। 24×7, ग्राहक कभी–भी इसे बंद, चालू या बदल सकता है।
7) NFC फीचर को सक्रिय या निष्क्रिय करने का होगा विकल्प
बहुत से बैंक, कार्ड को नियर फील्ड कम्युनिकेशन (NFC) टेक्नोलॉजी के आधार पर भी जारी करते हैं। जिसमें कार्डधारकों के पास एनएफसी फीचर को सक्रिय करने या निष्क्रिय करने का विकल्प रहता है जिसके लिए कार्ड पिन की ज़रूरत नहीं होती।
8) नियर फील्ड कम्युनिकेशन (NFC) कम दूरी में ज्यादा फ्रीक्वेंसी के साथ यन्त्र ( डिवाइस) को जोड़ने में मदद करता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो सीमित दूरी में तेज गति के साथ एनएफसी की मदद से वायरलेस यंत्र जोड़ा जा सकता है।
9) नए नियम सिर्फ डेबिट और क्रेडिट कार्ड पर ही लागू होंगे। लेकिन प्रीपेड गिफ्ट कार्ड या बड़े पैमाने पर संक्रमण ( ट्रांजिट) प्रणाली जैसे मेट्रो में इस्तेमाल होने वाले, इन नियमों के अंदर शामिल नहीं होंगे।
10) ये सारे निर्देश आरबीआई द्वारा भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 10 (2) के तहत जारी किए जाते हैं।
धोखाधड़ी के इतने हैं मामले
आरबीआई ने साल 2018-19 की साइबरक्राइम की रिपोर्ट पेश की, जिसमें यह बताया गया कि इन सालों में तकरीबन 50,000 धोखाधड़ी के मामले साइबरक्राइम के ज़रिए हुए थे। साथ ही यह भी पाया गया कि यह सारे मामले एटीएम, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग से जुड़े हुए थे। जिसमें बैंक को लगभग 145.08 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा था।
निजी सुरक्षा को लेकर यह है आरबीआई निदेशक का कहना
इंडियन एक्सप्रेस की 6 अक्टूबर 2020 की रिपोर्ट में आरबीआई के कार्यकारी निदेशक टी रबी शंकर ने कहा कि “डाटा सुरक्षा महत्वपूर्ण है क्योंकि निजता और गोपनीयता संविधान के तहत लोगों का अधिकार है।“
रिस्पॉन्सिबल AI फॉर सोशल एम्पावरमेंट‘ के एक कार्यक्रम में संबोधित करते हुए टी रबी शंकर ने कहा कि सरकार अगले साल संसद के बजट सत्र में “निजी डाटा प्रोटेक्शन बिल” पेश करना चाहती है। विधेयक में नागरिकों की सहमति के बिना व्यक्तिगत डाटा के उपयोग पर रोक लगाने का प्रस्ताव रखा गया है।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ग्राहक की निजी जानकारी की गोपनीयता बनाये रखने और साइबरक्राइम से बढ़ती धोखाधड़ी को देखते हुए सेवाओं और नियमों में बदलाव किए गए है। देखते हैं कि यह बदलाव लोगों के लिए कितने सफ़ल साबित होते हैं।