खुद को लोगों का भगवान समझने वाले रामपाल और 14 अन्य लोगों को 2014 में चार महिलाओं और एक बच्चे की हत्या के सिलसिले में मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है । चंडीगढ़ की एक स्थानीय अदालत ने उन्हें 11 अक्टूबर को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 343 (गलत ढंग से संशोधन) और 120 बी (काकोरी) के तहत दोषी करार दिया गया है । इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए रामपाल के वकील ने कहा कि 15 मुजरिमों को जेल की अवधि के अलावा प्रत्येक को 2.05 लाख रुपये का जुरमाना भी देने को कहा गया है।
एक और मामले में सजा की मात्रा, जो एक महिला की मौत से संबंधित है, उसे बुधवार को स्पष्ट किया जाएगा। इस मामले में रामपाल और 13 अन्य लोगों को दोषी माना गया है।
ये दोनों मामले नवम्बर 2014 में दर्ज किए गए थे, जब पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि रामपाल को गिरफ्तार करके लाया जाए क्योकि वो कोर्ट के सामने आने में असमर्थ था। जब पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने का निर्णय लिया तो रामपाल के अनुयायियों ने हिसार जिले में बळावला कस्बे के निकट स्थित रामपाल के सतलोक आश्रम के अंदर खुद को सुरक्षित करके हिंसक प्रदर्शन दिखाया। दो सप्ताह के गतिरोध के बाद रामपाल को अंतत: 19 नवंबर 2014 को गिरफ्तार कर लिया गया और पुलिस ने आश्रम से 20,000 लोगों को खाली कराया।
इस घटना के बाद रामपाल व उनके समर्थकों के खिलाफ 6 एफआइआर दर्ज कराई गई थी।
गतिरोध के दौरान पांच महिलाओं और एक बच्चे की मौत हो गई। दर्ज कराई गई एफआइआर के अनुसार रामपाल पर मौत का आरोप लगाया गया और ये भी कहा गया कि पीड़ितों को सतलोक आश्रम में बंधक बनाया गया था और उन्हें समय पर भोजन और दवा सहित अन्य सुविधाएँ मुहैया नहीं कराई गई थी।
हिंसा के चलते आश्रम को 2014 में बंद करा दिया गया था।
67 साल के रामपाल को हिसार सेंट्रल जेल भेज दिया गया है। इस फैसले को पिछले सप्ताह अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ चालिया द्वारा सुनाया गया है।