जिला महोबा ब्लॉक जैतपुर कस्बा कुलपहाड़ के रहने वाले राजू काका 58 साल के हैं। वह लगभग 20 से 25 सालों से हास्य कलाकार हैं। राजू कक्का ने बताया है कि, ‘मैं अंगूठा छाप हूं। पढ़ाई लिखाई मेरा कुछ भी नहीं है। मैं पहले सुनता ही रहता था कि किस तरह से लोग डायलॉग बोलते हैं और डायलॉग में क्या मज़ा होता है। उसको देखते-देखते मेरे मन में आया कि मैं क्या यह काम कर सकता हूं।
वह आगे कहते हैं कि, ‘कुलपहाड़ के रहने वाले एक बुजुर्ग थे। वह ऐसा डायलॉग करते थे उसी को देखते हुए हम भी करने लगे। हमारे सीखने का उद्देश्य यह है कि हम लोगों के मनोरंजन के लिए ही हैं। दुनिया में कुछ नहीं जाना है जितना ही हंस-बोलो उतना ही जाना है और हम अपने नाम के ही लिए यह सब करते हैं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘यह हमारी ईश्वर की दी हुई विद्या है और यह विद्या को हम अपनाए हुए हैं। हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि हमारा ज़्यादा नाम रोशन हुआ हो। हमें बुलाया गया हो। ज़्यादातर जो गांव के लोग होते हैं और कुछ बाहरी लोग होते हैं वह जानते हैं कि बहुत अच्छा कलाकार है तो हम को बुलाते हैं। हम लोग जाते भी हैं। अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं जिससे कि कुलपहाड़ से लेकर बांदा तक हमें प्रमाण पत्र भी दो-चार मिले हुए हैं पर इतना हमारा पैसा नहीं है कि हमें इंडियन लेवल से हमें पुरस्कार मिला हो। अभी हमें पुरस्कार नहीं मिला है।’
आगे कहा कि, ‘बांदा मेडिकल कॉलेज में भी हमें प्रमाण पत्र दिया गया था। जो कुलपहाड़ कस्बे में जलविहार मेले होते हैं उनमें भी हम लोगों को सम्मानित किया गया है जिससे कि जैसे हमें सम्मानित लोग करते हैं हमारा दिल खुश हो जाता है। पैसे की जरूरत नहीं होती है क्योंकि यह तो हमारी कला है केवल नाम की जरूरत है कि हमारा नाम भी कोई जाने जिससे कि जहां-जहां हम गए हुए हैं वहां हम लोगों को पूछा गया है कि आप कहां के हैं बहुत अच्छा डायलॉग सुनाते हैं।’
मैं अलग से डायलॉग के लिए समय नहीं देता हूं। चलते-फिरते मेरे मन में कुछ आय, मैंने कुछ चीज देख लिया उसमें मैं अपना डायलॉग बना लेता हूं। यह मेरी खासियत है कि मैं डायलॉग सुनाने में मुझे हंसी नहीं आती है और मैं दूसरों को हंसी करवा देता हूं। मेरे डायलॉग बच्चे, बूढ़े और जवान सब पसंद करते हैं। मुझे खुशी है, मैं कहीं रास्ते में जाता हूं तो लोग मुझे रोक कर कहते हैं कि खजूर का एक डायलॉग सुना दीजिए फिर आप जाइएगा मैं सुनाते हुए रास्ते में चला जाता हूं। राजू कक्का का एक लड़का और दो बेटियां हैं। बेटियां शादीशुदा हैं और लड़का बाहर रहता है।
कस्बा के रहने वाले धीरेंद्र ने बताया है कि राजू कक्का ऐसे व्यक्ति हैं कि कोई इंसान रो रहा है उसको भी हंसा देते हैं। उनका इतना अच्छा प्रेम व्यवहार और नेचर और हंस कवि हैं। लोग उन जैसे हास्य कलाकार को नहीं भूल सकते।
राजू काका ने बताया है कि, ‘जब मैं मेडिकल कॉलेज गया था तो मुझसे बोला गया था कि तुम कुछ डॉक्टरी के बारे में सुनाओ तो मैंने सुनाया था। मेडिकल कॉलेज बांदा में क्योंकि वहां पर डॉक्टर ही ज़्यादा थे। मैंने सुनाया कि अपने पुरुष के तन में 206 हड्डियां होती हैं, कानों में, आंखों में, मुंह में, हाथों में यह सारी हड्डियों को बताया। उन्होंने कहा था कि हां सही बात है आपने कैसे सीखा है और कैसे जानकारी है। इन पुरुषों की जो तन में हड्डियां हैं। मैंने कहा था कि मेरे गुरु जी ने ही बताया था।’
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