बीकानेर के करनी औद्योगिक क्षेत्र में बिना किसी सुविधा उपकरण के काम करने के कारण तीन लोगों की मौत हो गई है और मृतकों के परिजन मुआवजें के माँग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
लेखन- रचना
स्वच्छ भारत अभियान तो जगजाहिर है इस अभियान से शायद ही कोई अंजान होगा। देश के बड़े बड़े मंत्री और नेताओं द्वारा लम्बी झाड़ू लेकर सड़क की सफाई करने वाली फोटो हमें दीवारों पर टंगी देखने को मिल जाती है। कुछ ऐसे शहर और राज्य भी जिसे सबसे साथ सुथरी होने के लिए पुरस्कार भी मिला है, लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि सफाई कर्मचारियों का वह जनसँख्या और उनका महत्वपूर्ण योगदान सबके नज़रों और शहर में लगे पोस्टरों से गायब हो जाते हैं जब किसी राज्य या शहर को स्वच्छता में नंबर वन होने का अवार्ड मिल रहा होता है। जिन मज़दूरों के मेहनत से दुनिया टिकी हुई है उन्हें अपने काम करने के साधन, सुरक्षा और वेतन के लिए लड़ना पड़ता है और आंदोलन करने पड़ते हैं। बिना किसी सुविधाओं और सुरक्षा में काम करने के कारण उन्हें अपनी जान तक खोनी पड़ जाती है। वे दो वक्त के रोटी के लिए बिना किसी सुरक्षा के काम करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। ऐसे ही एक बार फिर से सफाई कर्मचारी मजदूरों के मौत की घटना सामने आइ है। ऐसे ही एक बार फिर से सफाई कर्मचारी मजदूरों के मौत की घटना सामने आई है। दिनांक 22-05-2025 को राजस्थान, बीकानेर के करनी औद्योगिक क्षेत्र में तीन मजदूर सफाई के लिए सेप्टिक टैंक में उतरे और सेप्टिक टैंक के जहरीले गैस के कारण तीनों मजदूर की मृत्यु हो गई है।
बिना सुरक्षा उपकरण उतार दिए गए टैंक पर
यह घटना ठीक उसी दिन हुआ जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी राजस्थान बीकानेर के दौरे पर गए थे। पुलिस के द्वारा तीनों मृतकों की पहचान की गई जिसमें थे सागर, अनिल और गणेश और ये सभों शिवबाड़ी के रहने वाले थे। एनडीटीवी के रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान पुलिस के अनुसार उन्हें मिल में धागा प्रसंस्करण में इस्तेमाल होने वाले रसायन युक्त अपशिष्ट जल से भरे टैंक की सफाई के लिए बुलाया गया था। उन्होंने ये भी बताया कि पहले एक मज़दूर सेप्टिक टैंक के नीचे उतरे फिर उनकी कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर दो मजदूर भी टैंक में उतर गए। टैंक के अंदर इतनी जहरीली गैस भरी हुई थी कि तीनों की उस गैस के कारण मौत हो गई। इस घटना में मौत का सबसे बड़ा कारण है कि उन तीनों मजदूरों को कोई भी सुरक्षा उपकरण जैसे मास्क,,गल्बस या सफाई करने की कोई मशीन नहीं दी गई थी। जांच से पता चला है कि टैंक में कार्बन डाइऑक्साइड या दूसरी खतरनाक गैस थी। इस तरह के काम को मैनुअल स्कैवेंजिंग (Manual scavenging) के नाम से जाना जाता है जहां पर बिना किसी उपकरण के मानव द्वारा इस काम को कराया जाता है। मैनुअल स्कैवेंजिंग के अंतर्गत नाली की सफाई, सीवर सफाई और मानव मल को हटाया जाना आता है।
परिजनों ने नहीं दिया पोस्टमार्टम के लिए शव
बताया जा रहा है कि मृतकों के परिजनों ने पोस्टमार्टम करवाने से इनकार दिया। उनका कहना है कि पहले उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए। साथ ही उन लोगों ने सभी कर्मचारियों के सुरक्षा के लिए मास्क जैसे उपकरणों की भी माँग की। पोस्टमार्टम नहीं होने के कारण कौन कौन सी जहरीली गैस के शिकार लोग हुए हैं ये पता लगाने में मुश्किलें आ रही हैं।
विपक्ष ने साधा निशाना
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बीकानेर के इस हादसे को बताते हुए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सवाल करते हुए सोशल मीडिया X (एक्स) पर पोस्ट किया है कि ‘प्रधानमंत्री जी आपकी सभा के समय बीकानेर में एक हादसा हुआ लेकिन आपने ना तो मजदूरों की सहायता के लिए कोई बात की और ना ही किसी तरह की कोई संवेदना व्यक्त की। उन्होंने यह भी लिखा “सरकार को इस घटना की जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए एवं मृतकों के परिवारजनों को उचित मुआवजा देना चाहिए.”
प्रधानमंत्री जी.. आज बीकानेर में नाले की सफाई के दौरान 3 मजदूरों की दम घुटने से दर्दनाक मौत हो गई।
ये हादसा नहीं, संस्थागत हत्या है। उम्मीद थी कि आप मृतक मजदूरों के परिवारजनों के प्रति संवेदना में दो शब्द कहेंगे लेकिन न तो आपने संवेदना जताई और न ही राज्य की भाजपा सरकार ने इसकी…
— Govind Singh Dotasra (@GovindDotasra) May 22, 2025
यह पहली बार नहीं है और ना ही घटना का पहला स्थान है। मजदूरों की स्थिति पूरे भारत में वैसे ही है जैसे बीकानेर के खबर से सच्चाई सामने है कि उन्हें बिना किसी सुरक्षा साधन के काम करने पर मजबूर किया जाता है। दूसरी तरफ एक कड़वा सच यह भी है कि अगर यही सफाई कर्मचारी एक दिन काम करना बंद कर दे तो सारा देश गन्दगी से बजबजाने लगेगा और इस काम का महत्व पर्दा फाड़ कर सबके सामने खड़ा होगा। यह दुर्भाग्य की बात है जब आज हम एक तरफ मंगल गृह में पहुँच चुके हैं वहीं दूसरी ओर आज तक लोगों के लिए के एक मशीन नहीं बनायीं जा सकी जिससे गटर की सफाई की जा सके और हर साल सैकड़ों सफाई कर्मचारियों को गटरों में घुसकर अपनी जान न गंवानी पड़े। बीकानेर में उसी दिन 22 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दौरे पर थे जिसका मकसद था कि 26000 करोड़ रुपए से अधिक लागत की कई विकास परियोजनाएँ। सवाल ये है कि उसी क्षेत्र में देश के प्रधानमंत्री का कार्यक्रम आयोजन होता है विकास के लेकर, और दूसरी ओर सिर्फ़ सुरक्षा उपकरण के कमी के कारण मज़दूरों की मृत्यु हो जाती है। ये विकास कैसा विकास है विकास अगर एक मजदूर को काम करने के लिए प्राप्त सुविधाएँ नहीं दी जा रही, और उनके परिजनों को मृत्यु के बाद मुआवज़ों के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है ?
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