सूत्रों के मुताबिक़ 15 सितंबर को रास्ते में टूटी सड़क से अपनी बाइक बचाते समय मृतक व्यक्ति की बाइक मेव समाज की एक 10 वर्षीय बच्ची से टकरा गई। जिसके बाद बच्ची के साथ जा रही महिलाओं ने व्यक्ति के साथ मारपीट शुरू कर दी।
राजस्थान के अलवर जिले में एक 17 वर्षीय दलित लड़के की भीड़ द्वारा पिटाई होने से मौत का मामला सामने आया है। बता दें कि घटना अलवर के बड़ौदामेव पुलिस थाना क्षेत्र के मीना का बास गाँव की है। सूत्रों के मुताबिक़ 15 सितंबर को मृतक व्यक्ति बाइक से अपने घर जा रहा था, इसी बीच रास्ते में टूटी सड़क से अपनी बाइक बचाते समय उसकी बाइक मेव समाज की एक 10 वर्षीय बच्ची से टकरा गई। जिसके बाद बच्ची के साथ जा रही महिलाओं ने व्यक्ति के साथ मारपीट शुरू कर दी।
कुछ ही देर में समुदाय विशेष के लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई और नाबालिग के साथ बेरहमी से मारपीट की गई। मारपीट के दौरान पीड़ित युवक बुरी तरह से घायल हो गया और अस्पताल में उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। रिपोर्ट्स के अनुसार मृतक नाबालिग दलित समुदाय का था। मृतक के परिजनों ने 6 लोगों के खिलाफ नामजद मामला दर्ज कराया है।
क्या है मामला-
जागरण की एक रिपोर्ट अनुसार योगेश जाटव पुत्र ओमप्रकाश मीना का बास गांव से अपने घर भटपुरा जा रहा था। भारी बारिश के कारण मीना का बास गांव की सड़क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। क्षतिग्रस्त सड़क से बचाते समय उसकी बाइक 10 वर्षीय एक बच्ची से टकरा गई थी, जिसके बाद भीड़ ने उसका रास्ता रोक लिया और उसके साथ जमकर मारपीट की। मारपीट करने वालों में बच्ची के साथ बाजार जा रही महिलाएं भी शामिल थीं । पीड़ित युवक के परिजनों को जैसे ही मामले की सूचना मिली, वो लोग तुरंत मौके पर पहुंचे और योगेश को एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती करवाया।
परिजनों ने सड़क पर शव रखकर किया विरोध-
लेकिन 16 सितम्बर को तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उसे जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया। उपचार के दौरान अस्पताल में उसकी 17 सितम्बर की देर शाम मौत हो गई। 18 सितम्बर को दोपहर बाद मृतक के परिजनों और ग्रामीणों ने शव अलवर-भरतपुर मार्ग पर रखकर विरोध भी जताया।
मृतक के परिजनों की मांग है कि उन्हें 50 लाख रूपए की आर्थिक सहायता दी जाए एवं आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए। जिला प्रशासन कीसमझाने के बाद 17 सितम्बर की देर शाम मृतक के परिजन अंतिम संस्कार के लिए राज़ी हुए।
बता दें कि मृतक के पिता ओमप्रकाश ने रशीद, मुबीना, साजिद पठान और तीन अन्य के खिलाफ मारपीट एवं हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है। मृतक के परिजनों ने बड़ौदा मेव के पुलिस थाना अधिकारी इलियास पर आरोपियों को बचाने का भी आरोप लगाया है। इसके साथ ही उन्होंने थाना अधिकारी को निलंबित करने की मांग भी की है।
भाजपा ने राज्य सरकार से माँगा जवाब-
मॉब लिंचिंग के इस मामले को मद्देनज़र रखते हुए राजस्थान में सियासत भी गरमा गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार भाजपा विधायक मदन दिलावर ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को से इस घटना को लेकर जवाबदेही मांगी है। उन्होंने कहा कि दलितों पर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। वहीं, पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने समुदाय विशेष के लोगों पर मॉब लिंचिंग का आरोप लगाया है। मामले में आरोपियों के खिलाफ मॉब लिंचिंग की धाराओं में मुकदमा दर्ज होना चाहिए।
मॉब लिंचिंग के मामले आए दिन हमें देश के अलग-अलग कोनों से सुनने को मिल जाते हैं। इससे पहले इसी साल जून के महीने में मथुरा में एक 50 वर्षीय व्यक्ति को गौ-हत्या को लेकर गोली मार दी गई थी। 2019 में भी राजस्थान के अलवर से गौ-रक्षा को लेकर हत्या का ही एक मामला सामने आया था, जिसमें हाल ही में आरोपियों के खिलाफ चार्ज शीट दर्ज कराइ गई है।
लेकिन धर्म, जाति और लिंग के नाम पर आगे कबतक ऐसे ही बेगुनाह लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ होता रहेगा? क्या सरकार मॉब-लिंचिंग एवं अन्य अपराधों को लेकर कोई सख्त कानून लागू करेगी? या देश में क्राइम के मामले यूं ही बढ़ते रहेंगे?
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