खबर लहरिया Blog Rain, Floods and Climate Change: बारिश, बाढ़ और भूकंप, मानसून का रौद्र रूप और भूंकप की दहशत

Rain, Floods and Climate Change: बारिश, बाढ़ और भूकंप, मानसून का रौद्र रूप और भूंकप की दहशत

वर्तमान में देश के कई जगहों में बारिश ने तबाही मचा कर रखा है। कहीं भूस्खलन हो रहा है, भारी बारिश से बाढ़ आ रही है या फिर भूकंप भी आ रहा है। प्रकृति के वजह से बारिश और बाढ़ तो आम बात है लेकिन इस साल बारिश से जो त्रासदी हुई है उसका कारण है क्लाईमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन)। 

 

picture of devastation caused by rain

बारिश के बाद तबाही (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

पिछले कुछ दिनों में देश और पड़ोसी इलाकों से लगातार डराने वाली खबरें आ रही हैं। अफ़ग़ानिस्तान में तेज़ भूकंप ने सैकड़ों ज़िंदगियां ले लीं वहीं उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा और हिमाचल तक मूसलाधार बारिश, बाढ़ और भूस्खलन ने हालात बद से बदतर कर दिए हैं। कहीं घर और गाड़ियां बह गईं तो कहीं बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूल तक बंद करने पड़े। ये घटनाएं अलग-अलग जगहों पर हुईं लेकिन इनके पीछे एक ही बड़ी वजह साफ़ दिखाई देती है तेज़ी से बदलता जलवायु और क्लाइमेट चेंज का बढ़ता खतरा। अब सवाल यही है कि जब प्रकृति हर तरफ़ से चेतावनी दे रही है तो क्या हम समय रहते सचेत होंगे? अब सबसे पहले जानते हैं कि कि जलवायु परिवर्तन का कहां पर कैसा हाल है। 

उत्तर प्रदेश का बारिश में हाल 

people rendered homeless due to rain

बारिश से लोग बेघर (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

मौसम विभाग ने 1 सितंबर 2025 के लिए प्रदेश के 15 जिलों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इसके अलावा 29 जिलों में भारी बारिश और 56 जिलों में गरज-चमक के साथ वज्रपात की संभावना जताई गई है। आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र, लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि “उत्तरी पाकिस्तान और उससे लगे पंजाब के ऊपरी हिस्से में चक्रवाती परिसंचरण सक्रिय है जिससे पश्चिमी विक्षोभ तेज हुआ है। इसी कारण मानसूनी रेखा उत्तर की ओर खिसक गई है।” इसी कारण 31 अगस्त से 2 सितंबर तक प्रदेश के कई हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है। रविवार को सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर और बिजनौर सहित तराई के कई इलाकों में जोरदार बारिश दर्ज की गई। हालात को देखते हुए रायबरेली में स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी गई है। इसी के साथ रविवार यानी 31 अगस्त 2025 को पीलीभीत ज़िले में हुई आठ घंटे की लगातार मूसलाधार बारिश ने हालात बिगाड़ दिए। मानसून सीज़न में हुई इस बारिश ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और शहर जलमग्न हो गया। मुख्य सड़कों पर चार-चार फुट तक पानी भर गया जिससे बाज़ार पूरी तरह बंद रहे। कई इलाकों में पानी घरों तक घुस गया और लोगों को भारी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ा। दोपहर बाद बारिश थम गई लेकिन देर शाम तक पानी निकासी नहीं हो सकी। हालात को देखते हुए प्रशासन ने सोमवार को आठवीं तक के सभी स्कूल बंद रखने का आदेश दिया है।

भारी बारिश के कारण इन जिलों में औरेंज अलर्ट जारी 

लखीमपुर खीरी, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, संभल, बदायूं व आसपास के इलाकों में ओरेंज अलर्ट जारी किया गया है। 

भारी बारिश के कारण तीस जिलों में येलो अलर्ट जारी 

चित्रकूट, कौशांबी, प्रयागराज, फतेहपुर, प्रतापगढ़, सोनभद्र, मिर्जापुर, भदोही, बहराइच, सीतापुर, हरदोई, फरुखाबाद, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी, रायबरेली, अमेठी, गाजियाबाद, हापुड़, गाैतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, कासगंज, एटा, मैनपुरी व आसपास के इलाकों में येलो अलर्ट जारी कर दिया गया है। क्षेत्रवार आंकड़ों की बात करें तो पश्चिमी यूपी में अगस्त में कुल 237.6 मिमी यानी सामान्य से 4 प्रतिशत अधिक और पूर्वी यूपी में 244 मिमी यानी सामान्य से 1 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। प्रदेश में क्षेत्रवार बारिश के आंकड़ों की बात करें तो अगस्त में पश्चिमी यूपी के बिजनाैर में सर्वाधिक 6636.5 मिमी यानी 113 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। यह सामान्य से दोगुने से भी 13 फीसदी ज्यादा रही। वहीं पूर्वीयूपी में 417.9 मिमी यानी सामान्य से 53 फीसदी अधिक बारिश हुई।

हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर में बारिश का हाल 

Many houses were damaged due to rain.

बारिश से कई घर टूटे( फोटो साभार: सोशल मीडिया)

हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश ने हालात बिगाड़ दिए हैं। 31 अगस्त 2025 को देर रात शिमला के कोटखाई, जुब्बल और जुन्गा में भूस्खलन से 4 लोगों की मौत हो गई। भारी बारिश के चलते कुल्लू समेत 10 जिलों में 1 सितंबर 2025 को स्कूल और कॉलेज बंद रखने पड़े। चंडीगढ़-मनाली फोरलेन समेत 4 राष्ट्रीय राजमार्ग और 800 से ज्यादा सड़कें अभी भी बाधित हैं। सिरमौर जिले के ददाहू में गिरी नदी उफान पर है जिस वजह से लोगों को घर खाली करने के आदेश दिए गए हैं। उधर जम्मू-कश्मीर में भी बारिश और भूस्खलन ने तबाही मचाई है। राजौरी के बुधल इलाके में भूस्खलन से करीब 12 घर पूरी तरह ढह गए। रियासी जिले में अचानक आई बाढ़ में मां-बेटा बह गए जबकि डोडा के अस्सार में चिनाब नदी के तेज बहाव में 8 लोग फंस गए थे जिन्हें बाद में बचा लिया गया। पिछले 15 दिनों में किश्तवाड़, कठुआ, रियासी और रामबन जिलों में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं में अब तक 130 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। वहीं 33 लोग अब भी लापता हैं।

पंजाब में बारिश का हाल 

पंजाब के 9 जिले बाढ़ के पानी में डूबे हैं। राज्य के 1312 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। पंजाब में स्कूलों की छुट्टियां 31 अगस्त से बढ़ाकर 3 सितंबर तक कर दी गई हैं। 27 अगस्त से सभी स्कूल बंद हैं। जालंधर और लुधियाना में 2 से 3 फीट तक पानी भर गया। मौसम विभाग के मुतबिक 31 अगस्त 2025 रात से लगातार बारिश हो रही है। मौसम विभाग के अनुसार जिला पठानकोट, होशियारपुर, गुरदासपुर, नवांशहर, लुधियाना, फतेहगढ़ साहिब, संगरूर, पटियाला और रोपड़ जिलों में रैड अलर्ट जारी है और 3 सितंबर के बाद मौसम के मिजाज में परिवर्तन की संभावना है। वहीं विभाग ने बताया कि पंजाब में 115 वर्षों का रिकार्ड टूट गया है। आज तक के रिपोर्टिंग के अनुसार पंजाब के 9 जिलों में लगभग एक हजार से अधिक गांव बाढ़ की कगार पर हैं। राज्य में करीब 3 लाख एकड़ खेती वाली जमीन पर पानी भर चुका है। फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। परेशानी की बात ये है कि राज्य के कई इलाकों में आज भी बहुत भारी बारिश का अलर्ट है। हरियाणा के भी कुछ इलाकों के लिए अलर्ट जारी किया गया है। इसके अलावा दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में भी बरसात का येलो अलर्ट है। 

दिल्ली में बारिश का हाल 

मौसम विभाग ने दिल्ली के लिए भी येलो अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली में 1 सितंबर 2025 की सुबह से बिजली-गरज के साथ तूफ़ान, मध्यम से भारी बारिश और शाम तक बिजली और गरज-तूफ़ान और बारिश का अलर्ट जारी किया है। इसके अलावा नोएडा में भी अलर्ट जारी किया गया है। दूसरी ओर दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर 31 अगस्त 2025 को खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। जलस्तर 205.33 मीटर से ऊपर बह रहा है। मौसम विभाग ने पांच सितंबर तक अलर्ट जारी किया है। इस मानसून में यमुना तीसरी बार खतरे के निशान 205.33 मीटर के ऊपर पहुंच गई है। 

अफ़ग़ानिस्तान में भूकंप

Afghanistan is devastated by the earthquake

अफगानीस्तान में भूकम्प से हाल बेहाल (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

अफगानिस्तान के पूर्वोत्तर प्रांत कुनार में 1 सितंबर 2025 तड़के आए 6 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचा दी। अधिकारियों के मुताबिक, सैकड़ों लोगों के मारे जाने और घायल होने की आशंका है। बचाव दल मलबे में फंसे जीवित लोगों की तलाश में जुटे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि शुरुआती रिपोर्टों में सिर्फ एक गांव में 600 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। हालांकि पूरे इलाके में गांव-गांव फैली आबादी और वहां तक पहुंचने में कठिनाइयों के कारण हताहतों की सही संख्या बताना अभी संभव नहीं है। मंत्रालय के प्रवक्ता शराफत ज़मान ने कहा कि घायलों और मृतकों की संख्या काफी अधिक है और टीमें लगातार मौके पर राहत कार्य कर रही हैं। प्रांतीय सूचना प्रमुख नजीबुल्लाह हनीफ ने जानकारी दी कि अब तक सैकड़ों घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा चुका है। चूंकि दूर-दराज के इलाकों से धीरे-धीरे रिपोर्ट आ रही हैं इसलिए मृतकों और घायलों का आंकड़ा और बढ़ सकता है। अधिकारियों ने बताया कि यह भूकंप आधी रात को 10 किलोमीटर गहराई में आया था और पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा से सटे इलाकों तक असर हुआ। पहाड़ी जिलों में मिट्टी और पत्थर से बने कई घर पूरी तरह ढह गए, जहां बचावकर्मी लगातार राहत और तलाश अभियान चला रहे हैं।

पाकिस्तान में भी बाढ़ का कहर 

पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर लाहौर के बाहरी इलाकों से बचाव कर्मियों ने रातों-रात 20,000 से ज़्यादा लोगों को सुरक्षित निकाल लिया है। रावी नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है जिससे शहर में बाढ़ का ख़तरा मंडरा रहा है। पंजाब आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के महानिदेशक इरफ़ान अली काठिया ने बताया कि निकाले गए लोग नदी के किनारे रह रहे थे। एनडीटीवी के रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी बुनेर जिले के तीन गांवों में बाढ़ के कारण 300 से अधिक लोगों की मौत हो जाने के बाद इस महीने लापता हुए 150 से अधिक लोगों की खोजबीन के लिए बचाव दल खोजी कुत्तों की मदद से काम कर रहे हैं। जून के अंत से अब तक पाकिस्तान में बाढ़ से 800 से अधिक लोग मारे गए हैं।

जलवायु परिवर्तन का बाढ़ से रिश्ता 

जलवायु परिवर्तन का अर्थ है धरती के मौसम और तापमान में लंबे समय तक धीरे-धीरे बदलाव होना। ये बदलाव अब पहले से कहीं ज़्यादा तेज और ख़तरनाक हो गया है, और इसका बड़ा कारण है मानव गतिविधियेन। जब कार  फ़ैक्ट्री, एयर कंडीशनर, थर्मल प्लांट जैसे कोयला, डीजल, पेट्रोल जलता है तो उससे कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) और अन्य गैसें निकलती हैं। इन गैसों को ग्रीनहाउस गैस कहते हैं। ये गैस वातावरण में जमा होकर एक कम्बल की तरह काम करती हैं जो सूर्य की गर्मी को धरती से बाहर नहीं जाने देती। इससे धरती का औसत तापमान लगातार बढ़ रहा है। इसे ही ग्लोबल वॉर्मिंग कहते हैं। इसमें ये सोचने वाली बात है कि ज़्यादातर बड़ी-बड़ी गाड़ियां और एयर कंडीशनर, थर्मल प्लांट जैसे कोयला ये सभी कुछ इस्तेमाल किसके द्वारा किया जाता है और इसकी सजा किसे भुगतना पड़ता है। जब वातावरण गरम होता है तो समुद्रों और नदियों से ज़्यादा पानी भाप बनकर ऊपर उठता है जिससे हवा में नमी बढ़ जाती है। दूसरा कारण लगातार पेड़ों की कटाई है। इस बढ़ी हुई नमी के कारण जब बारिश होती है तो वो सामान्य से कई गुना ज्यादा और अचानक होती है। इस तरह की बारिश ज़्यादातर कुछ ही घंटों या एक-दो दिनों में होती है जिससे, नदियां उफान पर आ जाती हैं, जल निकासी की व्यवस्था फेल हो जाती है, खेत डूब जाते हैं और शहरों में जलभराव और गांवों में बाढ़ आ जाती है। जलवायु परिवर्तन के कारण अब बारिश का समय भी बदल गया है। पहले जो बारिश जून-जुलाई में होती थी अब वह मई में शुरू हो जाती है या अगस्त-सितंबर तक खिंच जाती है। इस तरह से अचानक बारिश का एक कारण जलवायु परिवर्तन है। भारतीय मौसम विभाग (IMD,आईएमडी) और वैश्विक पर्यावरण रिपोर्टों की मानें तो जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून चक्र पहले से कई अधिक अनियमित और तीव्र हो गया है। ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है जिससे समुद्र का तापमान बड़ रहा है। नतीजा यह हो रहा है कि बारिश की तीव्रता अधिक हो रही है और कभी-कभी एक दिन में पूरे महीने जितनी बारिश हो रही है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु संकट अब चेतावनी का नहीं बल्कि आपातकाल का विषय बन चुका है। 

 

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