रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) भारत के नई दिल्ली में आज 4 दिसंबर 2025 को दो दिवसीय दौरे के लिए नई दिल्ली आ रहे हैं। वे नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार इस बीच दोनों देशों के बीच रिश्ते को मजबूत करना, रक्षा संबंधों को बढ़ावा देने, द्विपक्षीय व्यापार को बाहरी दबाव से बचाने और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों में सहयोग को लेकर चर्चा की जा सकती है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तस्वीर (फोटो साभार: एएफपी वाया गेटी इमेजेज)
भारत–रूस के संबंध कई दशकों से लगातार मजबूत बने हुए हैं। दोनों देशों ने रक्षा, अंतरिक्ष, ऊर्जा, व्यापार और वैश्विक मुद्दों पर हमेशा एक-दूसरे का साथ दिया है। शीत युद्ध के दौर से लेकर आज तक विश्व राजनीति तक, यही वजह है कि दोनों देश एक-दूसरे को रणनीतिक साझेदार मानते हैं और समय-समय पर उच्च स्तर की बातचीत और समझौतों के माध्यम से अपने रिश्तों को और गहरा करते रहते हैं।
23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन (23rd India-Russia Annual Summit) के लिए आज 4 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली पहुँच रहे हैं। आधिकारिक कार्यक्रम के अनुसार, राष्ट्रपति पुतिन शाम लगभग 6.30 बजे नई दिल्ली पहुँचेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी उनके लिए एक निजी रात के खाने का आयोजन करेंगे, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी होंगी। यह उसी सम्मान का जवाब है, जो पिछले साल जुलाई में मोदी की मास्को यात्रा के दौरान रूसी राष्ट्रपति ने उन्हें दिया था। शिखर सम्मेलन के बाद पुतिन रूसी सरकारी चैनल RT के नए भारत चैनल की शुरुआत करेंगे।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद राष्ट्रपति पुतिन की पहली भारत यात्रा
फरवरी 2022 में यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से यह राष्ट्रपति पुतिन की पहली आधिकारिक भारत यात्रा है। आखिरी बार दिसंबर 2021 में रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भारत का दौरा किया था।
विश्व में रूस की पहचान
रूस का नाम विश्व में सबसे शक्तिशाली राष्ट्रों में आता है। इसमें सैन्य, ऊर्जा, अंतरिक्ष, हथियार निर्यात और भू-राजनीतिक प्रभाव शामिल है।
सैन्य शक्ति (Military Power) — बहुत मजबूत
रूस दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु हथियारों वाली सुपरपावर में से एक है।
इसका सैन्य बजट, सेना का आकार और तकनीक दुनिया में शीर्ष देशों में आती है।
मिसाइल, टैंक, लड़ाकू विमान और एंटी-मिसाइल सिस्टम में रूस की तकनीक काफी उन्नत है।
यह आंकड़ा SIPRI (Stockholm International Peace Research Institute) यानी स्टॉकहोम अंतर्राष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान से लिया गया है। यह हर साल दुनिया की सैन्य शक्ति, हथियार निर्यात और रक्षा बजट की रिपोर्ट जारी करता है।
2. ऊर्जा शक्ति (Oil & Gas) — बेहद प्रभावशाली
रूस दुनिया के सबसे बड़े तेल और प्राकृतिक गैस उत्पादकों में से है। यूरोप कई सालों तक गैस के लिए रूस पर निर्भर रहा है।
यह आंकड़ा अन्तरराष्ट्रीय ऊर्जा अभिकरण / IEA (International Energy Agency) से लिया गया। इसमें तेल और प्राकृतिक गैस उत्पादन में रूस की स्थिति से जुड़े आँकड़े दिए जाते हैं।
ऊर्जा क्षेत्र में रूस की पकड़ उसकी वैश्विक ताकत बढ़ाती है।
3. अंतरिक्ष विज्ञान (Space Power) — बहुत आगे
रूस वह देश है जिसने पहला उपग्रह (स्पुतनिक) और पहला इंसान (यूरी गगारिन) अंतरिक्ष में भेजा। आज भी रूस का Roscosmos अंतरिक्ष तकनीक का बड़ा केंद्र है।
4. रक्षा तकनीक और हथियार निर्यात
रूस दुनिया के सबसे बड़े हथियार निर्यातकों में से एक है। भारत, चीन, वियतनाम जैसे कई देश रूसी हथियारों पर निर्भर हैं।
5. भू-राजनीतिक प्रभाव (Geopolitical Influence)
रूस UN सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है, जिससे उसका वैश्विक निर्णयों में बड़ा प्रभाव रहता है। चीन, भारत, ईरान, मध्य एशियाई देशों और कई अफ्रीकी देशों के साथ इसके करीबी संबंध हैं।
6. साइबर और टेक्नोलॉजी क्षमता
रूस साइबर सिक्योरिटी और साइबर-ऑपरेशंस में दुनिया के सबसे सक्षम देशों में गिना जाता है।
रूस सैन्य, ऊर्जा, अंतरिक्ष, हथियार निर्यात और भू-राजनीतिक प्रभाव के कारण विश्व की सबसे शक्तिशाली राष्ट्रों में शामिल है।
भारत और रूस के बीच सम्बन्ध
रूस, भारत की सबसे बड़ी मदद रक्षा के मामले में करता है। अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुतबिक रूस अभी भी भारत को सबसे ज्यादा रक्षा हथियार देने वाला देश है। भारत जो हथियार बाहर से खरीदता है, उनमें से लगभग 36% रूस से आते हैं। भारत की सेना के पास जो हथियार अभी मौजूद हैं, उनमें से 60% से ज़्यादा रूसी बनावट के हैं।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उपभोक्ता माना जाता है और रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीदता रहा है। हमेशा ऐसा नहीं था। यूक्रेन युद्ध से पहले भारत बहुत कम रूसी तेल खरीदता था, कुल तेल आयात का सिर्फ 2.5%। लेकिन जब रूस पर प्रतिबंध लगे और यूरोप ने उससे तेल कम खरीदना शुरू किया, तो रूस ने सस्ता तेल देना शुरू किया। इसका फायदा उठाते हुए भारत ने रूस से तेल खरीदना काफी बढ़ा दिया। अब यह बढ़कर लगभग 35% तक पहुँच गया है।
आपको बता दें कि राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत-अमेरिका संबंधों में कुछ उतार-चढ़ाव आए हैं। वाशिंगटन ने हाल ही में विभिन्न श्रेणियों के भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत टैरिफ और विशेष रूप से भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल की खरीद से जुड़े 25 प्रतिशत शुल्क लगाए हैं।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने मंगलवार 2 दिसंबर को संवाददाताओं को बताया कि इस सप्ताह रूस के साथ होने वाली वार्ता में संभवतः उसके सबसे उन्नत लड़ाकू विमान, एसयू-57 के लिए संभावित हथियार सौदे पर चर्चा होगी।
भारत में रूस राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के इस दौरे से उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों देशों के बीच संबध और मजबूत होंगे।
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