शांति बताती हैं, कुम्हड़े में उड़द की दाल मिलाकर उसकी बरी भी बनाई जाती है। महीनों तक उसकी सब्ज़ी बनाकर कभी-भी खाया जा सकता है। यह बरी मार्किट में अच्छे दाम में बिकती है। इसके अलावा इसका जूस और स्वादिष्ट पेठा भी बनता है।
रिपोर्ट – गीता देवी
‘कुम्हड़ा’ यानी पेठा, यह अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में छप्पर वाले घरों में फैले दिख जाएंगे। अधिकतर ग्रामीणों द्वारा कुम्हड़े को अपने घर के छप्पर पर या खाली पड़ी जगह पर उगाया जाता है।
यह पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे भतुआ कोहड़ा, भूरा कद्दू, कुष्मान या कुष्मांड फल के नाम से भी जाना जाता है। वहीं इसकी ज़्यादातर खेती पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित पूरे भारत में की खेती होती है। एबीपी न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसारम कद्दू की पहली फसल फरवरी से मार्च और दूसरी फसल जून से अगस्त के बीच होती है। यह सितंबर का महीना चल रहा है और कद्दू की पैदावार के बाद कद्दू का इस्तेमाल कई तरह से किया जा सकता है जिसके बारे में आगे आर्टिकल में बात की गई है।
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कुम्हड़े से बनती हैं कई चीज़ें
बांदा जिले की पनगरा गांव की शांति देवी बताती हैं, वह हर साल अपने जानवर बांधने वाले घर में बारिश के समाय सफ़ेद कुम्हड़ा का बीज डाल देती हैं। जब वह बड़ा हो जाता है तो छप्पर में लकड़ी का लठ लगाकर वह उसे ऊपर चढ़ा देती हैं। जब कुम्हड़ा सफ़ेद हो जाता है, मतलब वह पक चुका है। उसके ऊपर सफ़ेद रंग का कुछ पाउडर जैसा भी दिखाई पड़ता है।
उन्होंने आगे बताया, जब वैशाख-जेठ की धूप निकलती है तब वे उसमें मेवा और घी डालकर उसका ‘पाग’ बनाती हैं जिसे शहरों में हलवा कहा जाता है। इसे बनाकर वह एक बड़े से बर्तन में स्टोर कर लेती हैं और फिर उसे पूरी गर्मी खाती हैं। सफ़ेद कुम्हड़े की तासीर ठंडी होती है जो गर्मी को मारने का काम करती है।
शांति बताती हैं, कुम्हड़े में उड़द की दाल मिलाकर उसकी बरी भी बनाई जाती है। महीनों तक उसकी सब्ज़ी बनाकर कभी-भी खाया जा सकता है। यह बरी मार्किट में अच्छे दाम में बिकती है। इसके अलावा इसका जूस और स्वादिष्ट पेठा भी बनता है।
कुम्हड़े का हलवा करता है सिर दर्द व कमज़ोरी दूर
चौकिन पुरवा की मीरा बताती है हैं, सिर दर्द और कमजोरी में कुम्हड़ा का पाग रामबाण इलाज से काम नहीं है। कुम्हड़ा का पाग ठंड होता है गर्मी में ही खाया जाता है, जिससे शरीर में ठंडक रहती है।
कुम्हड़े के पाग (हलवा) में किशमिश,काजू,बादाम,मखाना, मेवा इत्यादि डाला जाता है। इसे देसी घी में बनाया जाता है। जितना कुम्हड़ा डालता है उतना ही घी भी लगता है। इसके बाद मिठास अपने हिसाब से डाला जा सकता है। यह सारी चीज़ें ताकत देने वाली होती है।
कई किसान परिवारों को मार्च-अप्रैल के महीने में धूप में घंटो रहना पड़ता है। ऐसे में वह इसे सुबह के नाश्ते में खाकर जाते हैं जिससे वह पूरे दिन बिना किसी सिर-दर्द के धूप में काम कर पाते हैं।
कुम्हड़े के फायदे
- पानी की कमी को करता है पूरा
- गर्मियों में अक्सर शरीर में पानी की कमी रहती है। सफेद कुम्हड़े का जूस शरीर में पानी की समस्या को दूर करता है।
- शरीर के दूषित पदार्थों को करता है बाहर
- कुम्हड़ा एंटी ऑक्सीजन से भरपूर होता है। यही वजह है कि यह शरीर के दूषित पदार्थ को बाहर निकलकर शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
- पाचन क्रिया को रखता है ठीक
- सफेद कुम्हड़ा में मौजूद हाई फाइबर पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में मदद करते हैं। कुम्हड़े का जूस पीने से शरीर में अच्छे बैक्टीरिया बनने के साथ-साथ पेट संबंधित समस्याओं से भी राहत मिलती है। इसे पीने से पेट में जलन की समस्या भी कम होती है।
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