पीटीआई द्वारा फैक्ट चेक किया गया है।
किसान आंदोलन से जोड़कर सोशल मीडिया पर एक कार के चारों ओर जमा भारी भीड़ का वीडियो वायरल हो रहा है. वीडियो को शेयर करने वालों की मानें तो ये यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए जमा हुई भीड़ का वीडियो है जो किसानों से मिलने लाल किला पहुंचे हैं.
पीटीआई फैक्ट चेक : किसान आंदोलन से जुड़े तमाम वीडियो आए दिन वायरल हो रहे हैं , इसमें ज्यादातर भीड़ वाले वीडियो अलग-अलग दावों के साथ शेयर किए जा रहे हैं। इस बीच , उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसे लेकर दावा किया जा रहा है कि उनके काफिले के पास जमा हुई भीड़ किसानों की है, जिसमें वह किसानों से मिलने लाल किला पहुंचे हैं। पीटीआई फैक्ट चेक द्वारा की गयी पड़ताल में यह पाया गया कि इंटरनेट पर शेयर की जा रही यह वीडियो भ्रामक है और उसके साथ किया गया दावा सरासर ग़लत है।
दावा :
किसान आंदोलन से जोड़कर सोशल मीडिया पर एक कार के चारों ओर जमा भारी भीड़ का वीडियो वायरल हो रहा है. वीडियो को शेयर करने वालों की मानें तो ये यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए जमा हुई भीड़ का वीडियो है जो किसानों से मिलने लाल किला पहुंचे हैं.
पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क के व्हाट्सएप नंबर (+91-8130503759) पर एक यूजर ने एक वीडियो शेयर की, जिसमें यह दावा किया गया कि यह वीडियो ‘किसान आंदोलन’ का है, जिसमें सड़क पर एक कार के चारों ओर हजारों लोगों की भीड़ को देखा जा सकता है। इस कार से उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव बाहर आते और लोगों से हाथ मिलाते हुए नज़र आ रहे हैं। Rama Bhai (rama_bhai_001) नाम के इस इंस्टाग्राम यूजर ने 24 फरवरी को शेयर किए गए इस वीडियो के साथ कैप्शन में लिखा गया है, ”यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी किसानों से मिलने पहुँचे, लाल किला दिल्ली”
12 सेकेंड के इस वायरल वीडियो पर अब-तक एक लाख, 560 हज़ार से ज्यादा व्यूज़ आ चुके हैं, जबकि 36 हज़ार से ज्यादा लोग इसको लाइक कर चुके हैं। यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। वहीं, सोशल मीडिया यूजर्स इसे सच मानकर लाइक, कमेंट और शेयर कर रहे हैं। पोस्ट का लिंक , आर्काइव लिंक और स्क्रीनशॉट यहां देखें।
इसके अलावा, सुधीर कुमार (sudheerkumar4492) नाम के एक अन्य इंस्टाग्राम यूजर ने भी इसी वीडियो को समान दावे के साथ शेयर किया। वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन में उसने लिखा, ”पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव किसानों से मिलने के लिए दिल्ली पहुंचे अखिलेश यादव जिंदाबाद जय जवान जय किसान आंदोलन” पोस्ट का लिंक , आर्काइव लिंक और स्क्रीनशॉट यहां देखें।
पड़ताल :
पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क ने अपनी पड़ताल शुरू करते हुए वायरल वीडियो का सच जानने के लिए फोटो को ध्यान से देखा और इसके कीफ़्रेम्स निकाले। डेस्क ने सबसे पहले एक कीफ्रेम को गूगल लेंस पर अपलोड कर सर्च किया और इसके डिटेल्स निकाले। इस दौरान हमें तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और न्यूज़ वेबसाइट पर ऐसे पोस्ट नज़र आए, जिसमें किसी सड़क पर भारी भीड़ में लाल टोपी के साथ खड़े लोग नज़र आ रहे थे । इन पोस्ट के स्क्रीनशॉट यहाँ देखें।
हमने अपनी पड़ताल को आगे बढ़ाया तो हमें एक और फेसबुक पोस्ट मिला, जो हुबहू वायरल वीडियो जैसा नज़र आ रहा था। 9 जनवरी 2020 को शेयर किए गए इस पोस्ट के कैप्शन में लिखा गया, ”कानपुर दौरे पर सपा अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी का बयान। CAA जब लागू होगा तब ज्यादा विरोध होगा। हिंसा फैलाने में पुलिस का हाथ। कुछ जगहों पर ज्यादा जुल्म हुआ। जाति धर्म के आधार पर नागरिकता तय नहीं हो सकती है। सरकार को पीड़ितों की मदद करना चाहिए।” पोस्ट का लिंक और स्क्रीनशॉट यहां देखें।
हमने पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए, फेसबुक पोस्ट की तरीक 9 जनवरी 2020 की अखिलेश यादव की कानपूर दौरे के कीफ्रेम्स निकाले और उसे गूगल पर सर्च किया, इस दौरान हमें ”डाइनामाइट न्यूज़” की एक ख़बर मिली, 9 जनवरी 2020 को पब्लिश हुए इस न्यूज़ आर्टिकल में बताया गया कि 20 दिसंबर 2020 को नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में जुमे की नमाज के बाद, कानपुर के बाबूपुरवा में हिंसा हुई थी। इसी सिलसिले में अखिलेश यादव कानपुर पहुँचकर, CAA हिंसा में मृत रईस खान के परिजनों से मिले, इस दौरान भारी भीड़ मौजूद रही। पोस्ट का लिंक और स्क्रीनशॉट यहां देखें।
‘डाइनामाइट न्यूज़’ की इसी ख़बर में हमें इनका एक यूट्यूब वीडियो मिला, जिसमें वायरल वीडियो के जैसे ही दृश्य नज़र आ रहे हैं। पोस्ट का लिंक और स्क्रीनशॉट यहां देखें।
फैक्ट चेक डेस्क ने अपनी पड़ताल को जारी रखते हुए ‘डाइनामाइट न्यूज़’ पर डाले गए वीडियो का एक स्क्रीनशॉट लेकर गूगल इमेज सर्च पर चेक किया, जिसके बाद हमें सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (पूर्व में ट्वीटर) पर 9 जनवरी 2020 की एक अखिलेश यादव की पोस्ट मिली, जिसे शेयर करते हुए उन्होंने कैप्शन में लिखा, ”CAA की वजह से कानपुर में सरकारी हिंसा का शिकार हुए मृतकों के परिजनों से मिलकर दुख बाँटने के कुछ पल” चार फोटो के इस फोटो पोस्ट में एक ऐसी फोटो भी नजर आई, जो वायरल वीडियो में नज़र आ रहे दृश जैसी थी।
निष्कर्ष
हमारी पूरी पड़ताल से एक बात साफ़ हो गई है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव का यह वीडियो ‘किसान आंदोलन’ का नहीं बल्कि चार साल पुराना 9 जनवरी, 2020 का है। जब अखिलेश यादव नागरिकता कानून (CAA) को लेकर हुई हिंसा का शिकार बने लोगों के परिवार वालों से मिलने उत्तर प्रदेश के कानपुर पहुंचे गए थे। पीटीआई फैक्ट चेक द्वारा की गयी पड़ताल में यह पाया गया कि इंटरनेट पर शेयर की जा रही यह वीडियो बीते साल 2020 की है और उसके साथ किया गया दावा सरासर ग़लत है। पीटीआई फैक्ट चेक सोशल मीडिया यूजर्स से यह गुजारिश करता है कि बिना तथ्यों को जाने किसी भी पोस्ट को लाइक या शेयर ना करें।
दावा
अखिलेश यादव किसानों से मिलने लाल किला पहुंचे।
तथ्य
पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क की पड़ताल में वीडियो के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक साबित हुआ।
निष्कर्ष
हमारी पूरी पड़ताल से एक बात साफ़ हो गई है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव का यह वीडियो ‘किसान आंदोलन’ का नहीं बल्कि चार साल पुराना 9 जनवरी, 2020 का है। जब अखिलेश यादव नागरिकता कानून (CAA) को लेकर हुई हिंसा का शिकार बने लोगों के परिवार वालों से मिलने उत्तर प्रदेश के कानपुर पहुंचे गए थे। पीटीआई फैक्ट चेक द्वारा की गयी पड़ताल में यह पाया गया कि इंटरनेट पर शेयर की जा रही यह वीडियो बीते साल 2020 की है और उसके साथ किया गया दावा सरासर ग़लत है। पीटीआई फैक्ट चेक सोशल मीडिया यूजर्स से यह गुजारिश करता है कि बिना तथ्यों को जाने किसी भी पोस्ट को लाइक या शेयर ना करें।
(यह लेख मूल रूप से सबसे पहले पीटीआई द्वारा प्रकाशित किया गया था व इसे शक्ति कलेक्टिव के भाग के रूप में खबर लहरिया द्वारा दोबारा प्रकाशित किया गया है।)
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