खबर लहरिया Blog सुप्रीम कोर्ट ने कहा : अगले आदेश तक तीन कृषि बिलों पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने कहा : अगले आदेश तक तीन कृषि बिलों पर रोक

Prohibition on three agricultural bills till further order

सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को लिए अपने अंतरिम फैसले से केंद्र सरकार को एक बड़ा झटका दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा पारित तीन कृषि बिलों पर अगले फैसले तक रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि मामले के निपटारे के लिए चार सदस्यों की समिति का गठन किया जाएगा। सभी किसान संगठनों और नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को आंदोलन की नैतिक जीत बताया सूचना के अनुसार, सरकार से किसानों की अगली बातचीत 15 जनवरी को होगी।

ये भी पढ़ो : सुप्रीम कोर्ट कृषि बिल के खिलाफ दायर याचीकाओं पर सुनाएगी आज फैसला

यह हैं समिति के चार सदस्य

  1. जीतेंद्र सिंह मान, भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष
  2. डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अंतराष्ट्रीय नीति प्रमुख
  3. अशोक गुलाटी, कृषि अर्थशास्त्री
  4. अनिल धनवत, शिवकेरी संगठन, महाराष्ट्र

बीकेयू के नेता ने कोर्ट के फैसले पर दी प्रतिक्रिया

Prohibition on three agricultural bills till further order

भारतीय किसान यूनियन के नेता योगेश प्रताप सिंह ने कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के अमल पर जो रोक लगाई है वो किसान आंदोलन की नैतिक जीत है। लेकिन जब तक कानूनों को वापस नहीं लिया जाता आंदोलन और संघर्ष जारी रहेगा।

भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैट ने कहा किमाननीय सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के प्रति जो सकारात्मक रुख दिखाया हैउसके लिए हम आभार व्यक्त करते है। किसानों की मांग कानून को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाने की है। जब तक यह मांग पूरी नही होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

धरना रहेगा जारी

भारतीय किसान यूनियन, लोकशक्ति के अध्यक्ष स्वराज सिंह ने धरना जारी रखने की बात कही है। उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने जो कृषि कानूनों पर रोक लगाई है, वह किसानों के लिए अच्छा है। आगे का फैसला किसान संगठनों का संयुक्त मोर्चा लेगा। उसी का हम पालन करेंगे, फिलहाल धरना जारी है।‘ 

एक अन् किसान नेता जसबीर सिंह ने कहा, ‘हम सुप्रीम कोर्ट के कमिटी बनाए जाने का फैसला तभी स्वागत करेंगे जब कानून रद्द हो जाए। एमएसपी ( न्यूनतम समर्थन मूल्य) को कानूनी जामा पहनाया जाए। तभी हम अदालत के फैसले से संतुष्ट होंगे। हमारा आंदोलन अभी जारी रहेगा। जब आदेश लिखित तौर पर आएगा तभी वो आधिकारिक ऐलान करेंगे।

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायधीश, सरकारी वकील और किसानों के बीच यह हुई बातचीत

https://khabarlahariya.org/prohibition-on-three-agricultural-bills-till-further-order/

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि कमेटी के गठन का सरकार स्वागत करती है। भारतीय किसान संघ ने भी कमेटी बनाने का समर्थन किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के उस आवेदन पर नोटिस जारी किया है, जिसमें गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली को रोकने की मांग की गई थी।

सरकारी वकील केके वेणुगोपाल ने कहा कि प्रदर्शन में कुछ प्रतिबंधित संगठन भी शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि क्या अटॉर्नी जनरल इसकी पुष्टि करते हैं और वह इस पर हलफनामा दायर करें। 

कोर्ट ने कहा कि हम आदेश में कहेंगे कि रामलीला मैदान और अन्य स्थानों पर विरोध प्रदर्शन के लिए किसान दिल्ली पुलिस आयुक्त की अनुमति के लिए आवेदन कर सकती है।

कोर्ट ने कहा कि समिति इसलिए बनाई जा रही है ताकि इस मुद्दे को लेकर तस्वीर साफ हो, हम ये बहस नहीं सुनेंगे कि किसान समिति के सामने पेश नहीं होंगे।

कोर्ट ने कहा कि ये कमेटी हमारे लिए होगी, ये कमेटी कोई आदेश नहीं जारी करेगी बल्कि आपकी समस्या यानी किसानों की समस्या सुनकर कोर्ट को एक रिपोर्ट भेजेगी।

एमएल शर्मा ने कहा कि सभी बात करने सामने रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री नहीं रहे। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले के लिए पीएम से नहीं कह सकते, यह कोई पार्टी नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि ऐसा सुनने में आया है कि गणतंत्र परेड को बाधित किया जाएगा, ऐसे में हम समझ नहीं पा रहे कि आंदोलनकारी समाधान चाहते हैं या समस्या को और बढ़ाना चाहते हैं।

किसान संगठन के एक वकील ने कहा कि बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे किसान आंदोलन में हिस्सा नहीं लेंगे, उनको वापस भेजा जाएगा, जिस पर कोर्ट ने कहा कि इस बयान को रिकॉर्ड पर लिया जा रहा है।

कोर्ट ने आगे कहा कि हम अपनी शक्तियों के अनुसार ही इस मामले को सुलझाना चाहते हैं। हमारे पास जो शक्तियां हैं, उनके आधार पर हम कानून के अमल को निलंबित और एक कमेटी गठित कर सकते हैं।   

मुख्य न्यायधीश ने कहा कि हम कानून की वैधता और आंदोलन के दौरान किसी व्यक्ति की मृत्यु होने या संपत्ति नष्ट होने को लेकर चिंतित हैं।

मुख्य न्यायधीश एसए बोबडे ने कहा कि हम अपने अंतरिम आदेश में कहेंगे कि किसानों की जमीन को लेकर कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं होगा।

वकील एमएल शर्मा ने कहा कि किसानों का कहना है कि वह कोर्ट की ओर से गठित किसी कमेटी के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे।

सुप्रीम कोर्ट के कमिटी बनाने के फैसले को किसान संगठन द्वारा नामंजूर कर दिया गया है। देखना यह है कि कमिटी किस तरह से काम करती है। साथ ही 15 जनवरी को किसानों की सरकार से होने वाली बातचीत में क्या कोई परिणाम निकलकर आएगा या नहीं।

ये भी पढ़ो :कृषि कानून बिल के विरोध में देशभर में किसानों द्वारा चल रहे आंदोलन देखिए ललितपुर और वाराणसी से