जिन्होंने अपराध किया उनका समाजवादी पार्टी से गहरा संबंध रहा है, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा।
मुख्यमंत्री ने रविवार को उमरा गांव का दौरा किया और मारे गए 11 आदिवासियों के परिवारों से मुलाक़ात की। प्रियंका गांधी वाड्रा के आंदोलन के कारण उन्होंने स्वीकार किया कि यदि उनके प्रशासन ने इस मुद्दे को संवेदनशीलता से सुलझाया होता तब इतने बड़े नरसंहार को रोका जा सकता था।
परन्तु इस बीच उन्होंने हत्यारों को समाजवादी पार्टी और पूर्व में सत्ता में रहे कांग्रेस प्रशासन के समय उमरा गांव में आवंटित ख़ाली पड़े प्लॉट के कारण हुए नरसंहार को कांग्रेस पार्टी से जोड़ दिया।
‘जिन्होंने अपराध किया उनका समाजवादी पार्टी से गहरा संबंध रहा है। उनकी समाजवादी पार्टी से ख़ास किस्म की पैसों की लेन-देन रही है।’ बीजेपी के उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री ने उम्भा में पत्रकारों से कहा।
पत्रकारों के पूछने पर कि ‘फरवरी माह में उनकी सरकार ने 90 बीघा जमीन का फोर्म नज़दीक लगते मूर्तिया गांव के सरपंच यज्ञ दत्त सिंह गुर्जर और नरसंहार के मुख्य आरोपी के नाम पर कैसे बदल दिया?’ इस प्रश्न का जवाब उन्होंने टाल दिया।
आदित्यनाथ ने केवल यह कहा – ‘यह सच है कि हम इस नरसंहार को टाल सकते थे। राजस्व विभाग की जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।’
उन्होंने यह भी कहा: ‘हमारी सरकार ने पिछली सरकारों की गलतियों को ठीक करना शुरू कर दिया है परन्तु इससे पहले कि सोनभद्र के ज़मीनी विवाद पर हम कुछ कर पाते, यह दुर्भाग्यपूर्ण घटित हो गया।’
गोंड जनजाति के 11 सदस्यों की हथियारबंद गुर्जर समाज के लोगों ने इसलिए हत्या कर दी क्योंकि जिस ज़मीन के टुकड़े पर गोंड जनजाति अपना हक़ मानती थी, यह उसका मालिकाना हक़ लेने आए थे।
शुक्रवार के दिन प्रियंका गांधी वाड्रा को उम्रा गांव में मारे गए 11 आदिवासियों के परिवारों से मिलने जाते समय मिर्जापुर के सरकारी गैस्ट हाउस में क़ैद कर लिया गया इसके बाद वे धरने पर बैठ गईं। वे प्रशासन पर दबाव बना रही थीं कि उन्हें आदिवासियों से मिलने दिया जाए। यह धरना 21 घंटे तक चला इस बीज आदिवासी खुद उनसे मिलने पहुंच गए।
शनिवार को गेस्ट हाउस के बाहर अकस्मात बुलाई गई न्यूज कॉन्फ्रेंस में प्रियंका गांधी ने मारे गए 11 लोगों के परिजनों से मिलने के बाद आदित्यनाथ के प्रशासन को ‘आदिवासियों के लिए असंवेदनशील।’ कहा।
उन्होंने कहा कि वे राजस्व विभाग और पुलिस के पास लगातार जाते रहे और यह भी कहा कि गुर्जरों को उन्हें परेशान करने से रोका जाए, इससे उनके जीवन को ख़तरा है परन्तु उन्होंने कुछ नहीं किया।
शनिवार को आदित्यनाथ ने पत्रकार के इस सवाल को अनदेखा कर दिया जब उनसे पूछा गया कि क्या इस इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में जाली दस्तावेज बना कर गुर्जर का नाम बदलने का काम करने में उनकी सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण नहीं है?
दोबारा पूछने पर उन्होंने सिर्फ यही कहा कि कई पुलिस अधिकारी और सब-डिविजनल मैजिस्ट्रेट को इस मामले में पहले ही सस्पेंड़ कर दिया है और जांच की जा रही है कि राजस्व विभाग ने सरकारी ज़मीन को किस आधार पर किसी व्यक्ति को सौंप दिया?
मुख्यमंत्री ने कहा: ‘वर्ष 1955, 1989 और 2017 में बहुत कुछ ग़लत हुआ, यह नरसंहार उसी का नतीजा है।’
वर्ष 1955, 1989 और 2017 में राज्य में कांग्रेस का शासन था और इससे पहले मार्च तक योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से पहले समाजवादी पार्टी सत्ता में थी।
एक PTI रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा: ‘जब यह सब हुआ उस समय कांग्रेस पार्टी का कार्यकाल चल रहा था। आदिवासियों की ज़मीन को वर्ष 1955 में पार्टी की ट्रस्ट कांग्रेस MLC में स्थानांतरित कर दिया गया था। जांच कमेटी इस बारे में भी जांच करेगी।
आदित्यनाथ ने कहा कि जांच 10 दिनों में अपनी जांच पूरी कर लेगी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक ज़मीन हड़पने के मामले की जांच की जाएगी और उन्होंने नेशनल सिक्योरिटी कानून के तहत भू-माफिया को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने का वादा किया।
मुख्यमंत्री उम्ब्रा गांव में राज्य के नए बीजेपी प्रेजिडेंट स्वतंत्र देव सिंह के साथ लगभग 30 गाड़ियों के काफिले और सौ के करीब पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचे। जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा के गांव के दौरे को रोकने के लिए पांच से अधिक व्यक्तियों के एक साथ एकत्रित होने पर रोक का कानून राज्य में शाम तक लागू था।
आदित्यनाथ ने: ‘दलितों, आदिवासियों और मुसहर समाज के लिए एक वर्ष के भीतर आवास, शौचालय, बिजली और खाना पकाने के गैस कनेक्शन, सबके लिए राशन कार्ड, एक पुलिस आऊट पोस्ट, एक फायर स्टेशन और एक आंगनबाड़ी केंद्र बनाने की घोषणा की।
उन्होंने प्रत्येक मारे गए व्यक्ति की मुआवजा राशि को बढ़ा कर 18.5 लाख और हर घायल के लिए राशि को 2.5 लाख कर दिया।
प्रियंका ने आदित्यनाथ की यात्रा पर कहा: ‘अपनी जिम्मेदारी समझना अच्छा है।’
‘हजारों कांग्रेस कार्यकर्ताओं और न्याय प्रिय लोगों के उम्ब्रा गांव के मारे गए लोगों के परिजनों के साथ उनके समर्थन में खड़े होने पर उत्तरप्रदेश सरकार को लगा कि कोई गंभीर घटना घटी है।’ प्रियंका ने ट्वीट किया।
‘जो सभी घोषणाएं आज की गईं वे शिघ्र और जल्दी से जल्दी पूरी होनी चाहिए।’