प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया को कहा कि भारत 2070 तक कार्बन उत्सर्जन पर नेट ज़ीरो का लक्ष्य हासिल कर लेगा।
ग्लासगो में जलवायु और पर्यावरण को बचाने के लिए चल रहे अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन में COP26 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया को कहा कि भारत 2070 तक कार्बन उत्सर्जन पर नेट ज़ीरो का लक्ष्य हासिल कर लेगा। इस चीज़ के लिए साल 2050 का तय समय दबाव बना रहा है। प्रधानमंत्री ने दुनिया को भरोसा दिलाया कि साल 2030 तक भारत कई सारे सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) को हासिल करने में सफलता पा लेगा। इसमें पर्यावरण से संबंधित कई मिशन और योजनाएं हैं। आइए जानते हैं कि आखिर ये इंडिया विजन-2030 क्या है? इसके लागू होने के बाद देश में किस तरह के बदलाव आएंगे?
जानिए भारत का क्या है लक्ष्य और फैसलें?
2030 एजेंडा के तहत सतत विकास लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत सरकार ने 17 प्रमुख लक्ष्यों पर काम करने का फैसला किया ह। इसके अलावा इसमें 169 अन्य छोटे लक्ष्य हैं, जिनके पूरा होने से ये प्रमुख लक्ष्य पूरे होंगे। ये लक्ष्य सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण से संबंधित हैं। इन लक्ष्यों को पूरा करने का फैसला केंद्र और राज्य सरकारें ले रही हैं। कई राज्यों में इन पर तेज़ी से काम चल रहा है।
भारत सरकार ने जो सबसे प्रमुख बात 2030 तक पूरा करने के लिए कही है, वो है साल 2005 की तुलना में जीडीपी ( सकल घरेलु उत्पाद) उत्सर्जन को घटाकर 33 से 35 फीसदी पर लाना। देश में 40 फीसदी बिजली उत्पादन क्षमता को गैर-जीवाश्म ईंधनों में तब्दील करना। इतना जंगल बनाना ताकि 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाईऑक्साइड सिंक बन सके।
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पर्यावरण में होते पर्यावरण को लेकर शुरू किये गए कई मिशन
देश में जलवायु परिवर्तन को रोकने, कार्बन डाईऑक्साइड को कम करने, बढ़ती हुई गर्मी और अचानक बदल रहे मौसम की वजह से हो रही परेशानियों को रोकने के लिए साल 2008 में जलवायु परिवर्तन और राष्ट्रीय मिशन (NAPCC) शुरु किया गया था। इसके तहत कई राष्ट्रीय मिशन चल रहे हैं। जैसे- नेशनल सोलर मिशन (National Solar Mission – NSM)। इसके तहत लक्ष्य था कि साल 2014-15 से सात साल आगे तक 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा का उत्पादन करने का लक्ष्य था। नवंबर 2020 तक 36.9 गीगावॉट बिजली सौर ऊर्जा से पैदा हो रही है। 36 गीगावॉट सोलर एनर्जी पर काम चल रहा है। इसके अलावा 19 गीगावॉट सौर ऊर्जा बिजली उत्पादन केंद्रों के लिए टेंडर जारी किए गए हैं।
सतत विकास लक्ष्य को पूरा करने की जा रही कोशिश
विकसित ऊर्जा दक्षता के लिए राष्ट्रीय मिशन (National Mission For Enhanced Energy Efficiency – NMEEE) के तहत इकोलॉजिकल यानी पारिस्थितिक सतत विकास को हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत 2012 से लेकर साल 2018 तक 92.34 मिलियन टन कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन को घटाया गया है। साल 2019 से 2020 के परिणाम अभी तक नहीं आए हैं।
इस समय इस मिशन का चौथा चरण चल रहा है। इसके तहत बड़े उद्योगों को कम ऊर्जा में काम करने के लिए प्रेरित किया जाता है। पीपीपी मोड ( पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) पर ऊर्जा को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। जैसे नगर निगम, अस्पतालों, इमारतों और कृषि सेक्टर में ऊर्जा संरक्षण के लिए नए तरीके खोजकर उन्हें लागू करना। सौर ऊर्जा समेत अन्य प्रकार के नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रोत्साहन दे रही हैं। टैक्स में भी छूट दिया जा रहा है।
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देश में हरित क्रान्ति लाने की तैयारी
नेशनल मिशन फॉर ग्रीन इंडिया (National Mission For Green India – GIM) के तहत पूरे देश में हरित क्रांति लाने का प्रयास किया जा रहा है। जंगलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। अब तक 5 मिलियन हेक्टेयर में जंगल लगाए जा चुके हैं। इतने ही इलाके में और लगाए जाने की योजना है। इसके लिए साल 2015-16 से लेकर 2019-20 तक 13 राज्यों को 342.08 करोड़ रुपये का फंड भी दिया गया है। जंगलों को बढ़ाकर पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने का प्रयास किया जा रहा है ताकि प्रदूषण कम हो और लोगों को साफ हवा मिले। साथ ही बाढ़ जैसी आपदा में भूस्खलन और मृदा अपरदन जैसी स्थिति को रोका जा सके।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए चल रहें हैं कई मिशन
नेशनल मिशन ऑन सस्टेनेबल हैबीटैट (National Mission on Sustainable Habitat – NMSH) के तहत तीन बड़े मिशन चल रहे हैं। पहला- अटल मिशन ऑन रीजुवेनशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन, दूसरा- स्वच्छ भारत मिशन और तीसरा- स्मार्ट सिटी मिशन। इससे शहरी विकास में मदद मिलेगी। साथ ही एनर्जी कंजरवेशन बिल्डिंग कोड (ECBC) लागू करने में मदद मिलेगी। इसकी मदद से कई राज्यों में 355 मॉडल इमारतें बनाई गई हैं, जो 0.17 BU ऊर्जा बचाती हैं। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत शहरों की दस फीसदी इमारतों को सौर ऊर्जा संचालित होना चाहिए और 80 फीसदी को एनर्जी एफिसिएंट और ग्रीन होना चाहिए. परिवहन को लेकर 18 प्रमुख शहरों में बस रैपिड ट्रांसिट बनाए गए हैं। स्मार्ट रोड, स्मार्ट सोलर, स्मार्ट वाटर जैसे लक्ष्यों को पीपीपी मोड पर लागू करने का प्रयास किया जा रहा है।
सरकार ने यहां कागज़ी बातों को जनता के सामने बेहद ही बखूबी तौर से पेश किया लेकिन अगर देश में जलवायु परिवर्तन को रोकने और सतत विकास के लक्ष्य को पूरा करने की बात की जाए तो भारत आज भी बेहद पीछे है। हमने इस साल उत्तराखंड और बुंदेलखंड के जंगलों में आग लगने के कई मामलें देखें जिसमें न जाने कितनी ही वनस्पतियां, जीव-जंतु और ज़मीन जलकर ख़ाक हो गयी। पूरा जंगल बर्बाद हो गया लेकिन सरकार की तरफ से इस पर कोई भी टिप्पणी सुनने को नहीं मिली।
सरकार जंगलों को बढ़ावा देने की बात करती है लेकिन विकाशील देश में हर दिन बड़ी-बड़ी इमारतों को बनाने के लिए लाखो पेड़ काटें जा रहे हैं। क्या इसके बावजूद भी सरकार यह कह सकती है कि वह सतत विकास के लक्ष्य को तय समय से पूरा कर पाएगी? जलवायु परिवर्तन को समय रहते रोक पाएगी?
( इस खबर का इनपुट आज तक से लिया गया है)
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