महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू : महाराष्ट्र में पिछले महीने विधानसभा चुनाव संपन्न हुए लेकिन कोई सरकार नहीं बना पाया। राजनितिक उठापटक इतनी हुई की आखिरकार महाराष्ट्र के राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी है|
इसके साथ ही सरकार बनाने की कोशिशों को विराम लग गया है. अब अगले 6 महीने तक महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू होगा। हालांकि इस दौरान अगर कोई भी पार्टी बहुमत साबित कर देती है तो सरकार बन सकती है.
आपको बता दे ही चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर को आ गए थे. 289 विधानसभा सीटों में
भाजपा— 105
शिवसेना—56
कांग्रेस—44
एनसीपी— 54
अन्य दल— 28
को मिले थे. कोई भी पार्टी 12 नवम्बर तक बहुमत साबित नहीं कर पाई. अब इस फैसले के खिलाफ पार्टियां अपनी अपनी प्रतिक्रियां भी दे रही है।
शिवसेना – शिवसेना राष्ट्रपति शासन के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. शिवसेना का राज्यपाल पर आरोप है कि बीजेपी के इशारे पर जल्दबाजी में फैसला लिया गया|
एनसीपी- एनसीपी का कहना है कि हमने राज्यपाल से सरकार बनाने के लिए 3 दिन का समय मांगा था, लेकिन गवर्नर के अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया कि 15 दिन बीत गए है और सरकार बनने कि कोई संभावना नहीं दिखती है|
कांग्रेस – कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने टवीट कर कहा ‘न्याय का हनन’ किया है और संवैधानिक प्रक्रिया का मजाक बनाया है |
महाराष्ट्र के राज्यपाल पर एनसीपी, शिवसेना और बीजेपी को सरकार बनाने के लिए बहुमत साबित करने के लिए ‘मनमाने ढंग से’ समय देने का आरोप भी लगाय|
ऐसा नहीं है की ये पहला मौका है जब महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ हो. इससे पहले 1980 और 2014 में भी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था|
पहली बार 17 फरवरी 1980 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार को विधानसभा में बहुमत नहीं होने के बाद सदन भंग कर दिया गया था. राज्य में 17 फरवरी से 8 जून 1980 तक राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था |
वहीं दूसरी बार राज्य में 28 सितंबर 2014 को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. तब कांग्रेस सरकार में शामिल एनसीपी सहित अन्य दलों से अलग हो गई थी और विधानसभा को भंग किया गया था. 28 सितंबर को लगा राष्ट्रपति शासन 30 अक्टूबर यानी 32 दिनों तक लागू रहा |