यूपी के नगीना सीट से सांसद चंद्रशेखर आजाद को प्रयागराज सर्विस हाउस में रोके जाने पर बवाल हुआ और फिर भीम आर्मी के समर्थक और पुलिस के झड़प के बाद 600 लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई है।
दरअसल प्रयागराज के करछना के इसौटा गांव में 29 जून 2025 को हुए बवाल के बाद पुलिस द्वारा धरपकड़ शुरू कर दी गई है। अब पहले जानते हैं करछना में हुए बवाल का पूरा मामला क्या है।
क्या है पूरा मामला
इसकी शुरुआत तब हुई जब आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष और सांसद चंद्रशेखर आजाद को प्रयागराज सर्विस हाउस में नजरबंद (हाउस अरेस्ट) कर दिया गया था। वे कौशांबी और करछना में दलित युवा की हत्या और एक दलित लड़की के साथ कथित बलात्कार के घटना के बाद दुखी परिवार से मिलने जा रहे थे। प्रशासन ने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए उन्हें प्रयागराज के सर्किट हाउस में ही रोक दिया। चंद्रशेखर आजाद को नहीं जाने देने के विरोध में उनके करीब 5,000 समर्थक जिनमें भीम आर्मी के कार्यकर्ता भी थे सड़कों पर उतर आए और इसी बीच भीम आर्मी के समर्थक और पुलिस के बीच जोरदार झड़प हुआ फिर हड़कंप मच गया।
सूत्रों के अनुसार यह कहा जा रहा है कि इस झड़प के दौरान लोगों द्वारा पुलिस और सरकारी गाड़ियों पर पथराव किया गया, कुछ गाड़ियों को आग लगा दी गई और कुछ पुलिस और पत्रकार भी इस हड़कंप के बीच घायल हुए हैं। इसी के बाद करीब 600 लोगों पर एफआईआर दर्ज किया गया है।
लगभग 50 लोगों की गिरफ्तारी
प्रयागराज के करछना में हुई हिंसा में पुलिस ने अब तक 50 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार पुलिस द्वारा रविवार रातभर छापेमारी की गई और पांच थाना क्षेत्रों के 18 गांवों में दबिश दी। इसके बाद कुल 51 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इसमें 31 लोगों को सोमवार को पकड़ा गया जबकि 23 लोगों को बवाल के दौरान ही हिरासत में लिया गया जिन्हें मंगलवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक बताया जा रहा है कि आरोपियों में भीम आर्मी के करछना तहसील अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी शामिल हैं जिनकी तलाश जारी है।
थाना प्रभारी अनूप सरोज के बयान
करछना थाना प्रभारी अनूप सरोज ने सोमवार सुबह 30 जून 2025 को थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। उनके द्वारा आरोप है कि भीम आर्मी के नेता अभय सिंह (तहसील अध्यक्ष) और प्रतीक देव वर्मन (उपाध्यक्ष) ने मिलकर हजारों के संख्या में लोगों को भड़का कर बवाल करवाया। इन लोगों ने भड़ेवरा बाजार चौराहे पर जुट कर एनएच 35 को जाम किया। जब पुलिस ने समझाने की कोशिश की तो उन्होंने पुलिस पर हमला किया, वाहनों में तोड़फोड़ की। कई दोपहिया वाहनों को आग भी लगा दी गई।
सीसीटीवी फुटेज से हुई पहचान
ETV के अनुसार, बवाल में शामिल लोगों की पहचान वीडियो, फोटोग्राफ और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर की गई। पुलिस ने घटनास्थल से 40 से अधिक बाइकें बरामद की हैं जिन्हें थाने लाया गया है। इन बाइकों के स्वामियों की पहचान कर यह जांच की जा रही है कि यह सभी सामान बवाल में शामिल लोगों के थे या नहीं। देर रात तक पुलिस ने 50 से अधिक संदिग्धों को हिरासत में लिया है। इन्हें करछना, मेजा, मांडा, घूरपुर, नैनी समेत अन्य थानों में रखा गया है और पूछताछ जारी है। पुलिस का दावा है कि जल्द ही और गिरफ्तारियां होंगी।
चंद्रशेखर आजाद ने कहा “यह एक साजिश है”
आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने ANI को बताते हुए कहा कि “मुझे लगता है कि यह एक साजिश है और कौशांबी में हुई घटना से ध्यान भटकाने के लिए ऐसा किया गया है। हमारे कार्यकर्ता संविधान में विश्वास रखते हैं और वे हिंसा में शामिल नहीं होते। आज कई पार्टियों के लोगों का नीला पटका पहनना आम बात हो गई है। मुझे नहीं पता कि यह सब किसने किया क्योंकि मैं वहां मौजूद नहीं था। मैं चाहता हूं कि इसकी सीबीआई जांच हो ताकि सब कुछ साफ हो सके। अगर सरकार, पुलिस या प्रशासन जानबूझकर हमारे लोगों को निशाना बनाता है तो हम चुप नहीं बैठेंगे और लखनऊ में विरोध प्रदर्शन करेंगे।” आजाद ने कहा “मैं कल प्रयागराज गया था। मैं अपनी बेटी के लिए न्याय मांगने गया था। पाल समुदाय से उसके परिवार के लिए न्याय मांगने गया था और एक अन्य घटना के लिए न्याय मांगने गया था जिसमें अनुसूचित जाति के एक व्यक्ति को गेहूं के खेत में मार दिया गया और जला दिया गया। लेकिन पुलिस ने मुझे गुमराह किया और मुझे इलाहाबाद सर्किट हाउस में रखा। उन्होंने कहा कि वे व्यवस्था करेंगे और मुझे कुछ समय में भेज देंगे। मुझे नहीं पता कि पुलिस ने मुझे क्यों नहीं जाने दिया। मैंने कहा कि अगर आप मुझे नहीं ले जा रहे हैं तो उन परिवारों को यहां बुलाएं। मुझे लगता है कि शायद पुलिस और प्रशासन ने कुछ अपराध किए हैं और उन्हें छिपाने के लिए मुझे वहां जाने से रोका गया।”
फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन प्रशासन कोई ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है। पुलिस का कहना है कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगातार निगरानी की जा रही है और कानून व्यवस्था को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
प्रशासन की कोशिश है कि इलाके में दोबारा ऐसी स्थिति न बने और साथ ही पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए जरूरी कदम भी उठाए जाएं।
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