खबर लहरिया Blog प्रयागराज: खेत हुए बंजर, किसान कर रहे नहर की मांग

प्रयागराज: खेत हुए बंजर, किसान कर रहे नहर की मांग

किसान नन्हू अजय शंकर का कहना है कि, “हम मजदूरी करते हैं या देश-परदेश में कमाकर अपने बच्चों का भरन पोषण करते हैं। यहां के किसी कुआं, तालाब में पानी नहीं है, यदि सिंचाई की व्यवस्था होती तो अब तक हम इस समय खेत में धान की रोपाई करते।

Prayagraj News: Field becomes barren without proper water supply, farmers demand canal

                                                                                          ब्लॉक शंकरगढ़ के गांव बिहरिया के किसान काफी सालों से नहर की मांग कर रहे हैं, पानी के बिना उनके खेत सूख रहे हैं

रिपोर्ट – सुनीता देवी 

खेती करने के लिए पानी का होना कितना जरुरी है ये एक किसान को अच्छे से पता है लेकिन अगर पानी की पहुँच ही खेत तक न हो? तो क्या आसानी से बाजारों में मिलने वाली सब्जियां आप के घर के दरवाजे तक आ सकेगी? किसान खेती कर के ही अपना और हमसब का पेट भरने के लिए इतनी मेहनत करते हैं लेकिन फिर भी उन पर आई समस्यों को हमेशा से नज़रअंदाज किया जाता है और कोई हल नहीं निकाला जाता।

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में किसान सालों से खेती के लिए नहर के मांग कर रहे हैं। जिला प्रयागराज ब्लॉक शंकरगढ़ के गांव बिहरिया में किसान काफी सालों से नहर की मांग कर रहे हैं क्योंकि ये क्षेत्र पहाड़ी, पथरीला‌ क्षेत्र है। इस गांव में सिंचाई का न कोई साधन‌, न बोरिंग, न कुआँ हैं। यहां के किसान तो भगवान‌ भोरसे फसल बोते हैं बारिश आई तो ठीक नहीं तो खेत ऐसे ही परित पड़े रहते हैं। यदि गांव में नहर आ जाए तो कम‌ से कम पच्चीसो‌ गांव का फायदा होगा। गांव कम से कम सवा सौ एकड़ जमीन सिंचाई के बगैर परीत पड़ी है।

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यहां के नन्हू अजय शंकर किसान का कहना है कि, “हम मजदूरी करते हैं या देश-परदेश में कमाकर अपने बच्चों का भरन पोषण करते हैं। यहां के किसी कुआं, तालाब में पानी नहीं है, यदि सिंचाई की व्यवस्था होती तो अब तक हम इस समय खेत में धान की रोपाई करते। जब चुनाव होता है सांसद, विधायक यही वादा करते हैं कि इस बार हम नहर की व्यवस्था करवा देंगे पर जीतने के बाद कोई झांकने तक नहीं आते हैं। हम लोग बारह मास गेहूं, चावल-दाल, तेल खरीदते हैं। खेती है पर कोई मतलब नहीं है, उस खेत में फूट-चावेना नहीं होता। इससे अच्छा खेती न होती तो ठीक रहता लेकिन तूर की खेती बारिश में खेती करते हैं। इधर के लोग कोई सरकारी नौकरी भी नहीं करते हैं। प्रदेश जाकर मजदूरी करते हैं और अपने परिवार का पेट चलाते हैं बाकि जो यहां रहते है वे ईट गारा की मजदूरी करते हैं।

जानवर भी तरस रहे हैं पानी को

गांव के लोगों ने बताया कि, “हम लोग तो अपना पेट किसी न किसी तरह से पाल लेते हैं लेकिन जानवरों का क्या वे आखिर कहां जाए। जानवर भी अपने भरण पोषण के लिए पाले तो उनको पानी कहाँ से दें? पच्चीस गांव के किसान मिलकर नहर की मांग कर रहे हैं। ये सुविधा उन्हें मिल जाएगी तो पूरा परिवार को खाने के लिए अनाज हो जाएगा। कई बार विधायक से मांग की कि हम लोगों को सिंचाई की व्यवस्था की जाए पर कोई ध्यान नहीं देता। गर्मी के मौसम में जानवर पानी पीने के लिए इधर उधर भटकते हैं। हमारी सरकार से मांग है सिंचाई के लिए इस क्षेत्र में कुछ व्यवस्था की जाए।”

बारा विधानसभा के विधायक वाचस्पति का कहना है कि, “शंकरगढ़ क्षेत्र में सिंचाई के लिए हमारा प्रयास जारी है, सिंचाई की व्यवस्था कराई जाएगी। इस क्षेत्र में कुछ कुआं खुदवाए हैं और है ट्यूबवेल की व्यवस्था करवाएंगे। संसद में नहर के लिए आवाज भी उठाते हैं। हमारा प्रयास है इस क्षेत्र में नहर बनवाया जाए।

कृषि विभाग मुकेश‌ डीओजी‌ का कहना है कि शंकरगढ क्षेत्र के सिंचाई के लिए जिले स्तर‌ में बैठक होती है। मैंने नहर के लिए अधिकारी को ज्ञापन भी दिया है कि इस क्षेत्र में नहर बनना चाहिए क्योंकि सिर्फ सिंचाई का साधन न होने से शंकरगढ़ क्षेत्र की 90 प्रतिशत खेत खाली पड़े हैं।

किसानों के लिए नहर का होना बेहद जरुरी है क्योंकि उनका जीवन खेती पर निर्भर करता है और उसी से उनका जीवन चलता है। नहर में पानी होगा तभी तो किसान खेती करेंगे और उनके पास खाने को कुछ होगा। उनके पास इतनी ज़मीं होने का क्या फायदा जब वह इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं।

 

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