चित्रकूट जिले के मऊ ब्लॉक के मन्डौर गांव के कई किसानों की फसल पूरी तरह बाढ़ में बह गई है। धान, तिल, बाजरा जैसी फसलें डूब गईं, जिससे अब किसान खाने-पीने और कर्ज चुकाने में भी परेशान हैं।
रिपोर्ट – सुनीता, लेखन – कुमकुम
इस साल बाढ़ का कहर देश के अधिकतर राज्यों में देखने को मिला। बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और पंजाब समेत कई हिमाचली इलाकों में भी बारिश से भारी नुकसान हुआ है। इस साल यूपी में कई नदियां उफान पर रही जिसमें यमुना नदी में आई बाढ़ ने किसानों की मेहनत पर भारी नुकसान पहुंचाया है। लेकिन अभी तक केवल कागजों में सर्वे हुआ है। किसानों को मुआवजा नहीं मिला है, इसलिए किसान काफी परेशान हैं।
प्रयागराज जिले के जसरा ब्लॉक के कंजासा गांव और चित्रकूट जिले के मऊ ब्लॉक के मन्डौर गांव के कई किसानों की फसल पूरी तरह बाढ़ में बह गई है। धान, तिल, बाजरा जैसी फसलें डूब गईं, जिससे अब किसान खाने-पीने और कर्ज चुकाने में भी परेशान हैं।
बाढ़ से फसल डूबने से किसानों की बढ़ी मुश्किलें:
प्रयागराज के कंजासा गांव की रहने वाली ममता ने बताया कि उनके पास दो बीघा जमीन थी। एक खेत में तिल बोया था और दूसरे में धान। हमने इस पर पूरा साल परिवार का पेट भरने के लिए काम किया था। एक बीघा में करीब दस क्विंटल धान पैदा होता था जो पूरे साल का अनाज और जानवरों के चारे का सहारा बनता था। इस बार यमुना नदी की बाढ़ के कारण दोनों खेत पूरी तरह डूब गए। अब खुद के लिए चावल भी खरीदना पड़ रहा है। विभाग ने सिर्फ सर्वे किया है लेकिन मुआवजे की कोई उम्मीद नहीं दिख रही।
कंजासा गांव के दीपक कुमार ने बताया कि इस साल दो बीघा खेत में दस हजार रुपये खर्च किए थे। हमने खेत की जुताई के लिए 1400 रुपये प्रति घंटा टेक्टर का खर्च दिया, बीज और खाद खरीदे। पूरे क्षेत्र के कई गांवों की फसल बाढ़ में बर्बाद हो गई। खेत अब पूरी तरह खाली पड़े हैं। इस बार की बाढ़ 2013 की बड़ी बाढ़ के समान थी। क्षेत्र में लगभग 989 बिगहा जमीन डूब गई और करीब दो हजार किसान प्रभावित हुए।
फसल डूबने से घर गृहस्थी चलाना भी मुश्किल
कंजासा गांव की रोशनी ने बताया कि उनके पास पांच बीघा खेती थी जिसमें धान और तिल लगाये थे लेकिन बाढ़ में पूरी तरह नष्ट हो गई। एक महीना पहले मेरे पति परदेश चले गए ताकि कहीं से थोड़ी आमदनी हो सके। अब इस सीजन की खेती चौपट हो गई, अगले सीजन की खेती करने का इंतजाम भी नहीं हो रहा। खेती के अलावा कोई काम नहीं है। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, दवा घर का खर्चा और शादी‑विवाह काखर्च भी खेती से चलता था। लेखपाल सिर्फ पासबुक, खसरा और खतौनी की फोटो खींचकर चला गया। एक महीना बीत गया पर मुआवजे की कोई खबर नहीं आई।
सोमवती ने बताया कि हम लोग सिर्फ मजदूरी करते हैं। रोजाना तीन सौ रुपये मिलते हैं लेकिन इससे घर का खर्च मुश्किल से चलता है। हमारी पूरी आशा खेती पर थी लेकिन इस बार बाढ़ ने सब कुछ खत्म कर दिया। चित्रकूट के लगभग 40 गांव बाढ़ में डूब गए हैं। इनमें कंजासा, कैनवा, विरवल, मानपुर, बोझवल, जगदीशपुर, भभौर गोझवार, सेमरी जैसे गांव शामिल हैं। लेखपाल ने केवल सर्वे कर लिया लेकिन मुआवजे की कोई जानकारी नहीं दी है कि कब तक मिलेगा।
मन्डौर गांव के किसान बाढ़ में फसल नष्ट होने से परेशान
चित्रकूट के मन्डौर गांव के किसान कल्लू ने बताया कि यमुना नदी की बाढ़ से उनका सारा मेहनत का अनाज और फसल बह गए हैं। कल्लू ने कहा कि हमारे इलाके में सबसे ज्यादा बाजरा की खेती होती थी लेकिन बाढ़ का पानी खेतों में भरा रहने से पूरा बाजरा खराब हो गया। आठ बीघे में बाजरा बोया था और दो बीघे में धान की फसल लगाई थी पर एक भी फसल बची नहीं। खेत की जोताई, पानी देना और कीटनाशक छिड़कने में बहुत खर्चा हुआ लेकिन अब सब बेकार हो गया।
सावित्री ने कहा कि उन्होंने कर्ज लेकर खेती की थी। हम सोच रहे थे कि फसल तैयार होगी और कर्ज चुकता कर देंगे लेकिन बाढ़ ने सब नष्ट कर दिया। अब हमारे पास पैसा नहीं है। घर चलाना मुश्किल हो गया है। हम दस परिवार का खर्च किसानी से चलाते थे लेकिन अब कैसे आगे बढ़ेंगे, समझ नहीं आ रहा। हम बस यही उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार जल्द मुआवजा दे ताकि हम फिर से खेती कर सकें।
मन्डौर गांव का सर्वे हो गया, कंजासा को मुआवजा नहीं मिलेगा- विभाग
चित्रकूट मऊ तहसील के कानून-गो संगम का कहना है कि मन्डौर गांव का सर्वे पूरा हो चुका है। वहां करीब 25 हेक्टेयर खेती डूबी है जो लगभग 130 बीघा जमीन के बराबर होती है। मन्डौर गांव में पैंतीस प्रतिशत से ज्यादा फसल बाढ़ में डूब गई थी। कुल मिलाकर मऊ क्षेत्र के 25 गांवों में बाढ़ से खेती डूबी थी जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान मन्डौर गांव का हुआ। कानून-गो संगम ने बताया कि किसानों के खसरा, खतौनी, पासबुक और फोटो सहित सभी जरूरी दस्तावेज तहसील में जमा कर दिए गए हैं। अब बाढ़ बजट आने पर मुआवजा सीधे किसानों के खातों में भेजा जाएगा।
वहीं प्रयागराज के बारा तहसील के लेखपाल ददुल मिश्रा ने बताया कि कंजासा गांव में केवल 15 प्रतिशत फसल डूबी है। सरकारी नियम के अनुसार मुआवजा तभी मिलता है जब बाढ़ से कम से कम 35 प्रतिशत फसल डूबी हो। इसलिए कंजासा गांव के किसानों को मुआवजा नहीं मिलेगा। बावजूद इसके सभी जरूरी दस्तावेज शासन को भेज दिए गए हैं।
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