खबर लहरिया Blog प्रयागराज: कई सालों से नहर की मांग कर रहे किसान, अब भी इंतजार में

प्रयागराज: कई सालों से नहर की मांग कर रहे किसान, अब भी इंतजार में

खेती बारिश के भरोसे चल रही है। हम किसी तरह अपने खाने का इंतज़ाम तो कर लेते हैं लेकिन जानवरों के लिए चारा नहीं मिलता। हमें बाहर से चारा खरीदकर लाना पड़ता है।

पानी के लिए परेशान किसान (फोटो साभार: सुनीता)

 

रिपोर्ट – सुनीता, लेखन – कुमकुम 

प्रयागराज जिले के शंकरगढ़ ब्लॉक के पहाड़ी-पथरीले इलाके में बसे बिहरिया, अभयपुर, लखनपुर, गुलरहाई, गढाकटरा समेत करीब पचीस गांवों के किसान वर्षों से एक ही मांग कर रहे हैं। वो है कि यहां नहर बने ताकि सूखे पड़े खेतों में फिर से हरियाली लौट सके। इस इलाके में न तो बोरिंग संभव है, न ही कुएं सिंचाई योग्य पानी दे पाते हैं। किसान अब भी बारिश भरोसे खेती करते हैं अगर बारिश हुई तो फसल होती है, नहीं तो जमीन यूं ही परती पड़ी रह जाती है।

नहर का पानी फसलों के लिए महत्वपूर्ण

बिहरिया गांव के रहने वाले किसान अजय शंकर का कहना है कि अगर सिंचाई की कोई सुविधा होती तो वे लोग भी जून के महीने में धान बोने की तैयारी करते। लेकिन यहां पानी का कोई इंतज़ाम नहीं है इसलिए खेत खाली पड़े रहते हैं। उनमें कोई फसल नहीं बोई जाती। इसी वजह से इस इलाके में धान की खेती नहीं हो पाती।

गांव के लोग 35 से 50 रुपये किलो तक चावल खरीदकर खाते हैं। यहां सिर्फ रबी के मौसम में गेहूं, चना और सरसों की खेती होती है। वो भी तब जब अच्छी बारिश हो जाए। खेती बारिश के भरोसे चल रही है। हम किसी तरह अपने खाने का इंतज़ाम तो कर लेते हैं लेकिन जानवरों के लिए चारा नहीं मिलता। हमें बाहर से चारा खरीदकर लाना पड़ता है। कई लोग तो रोज़गार के लिए बाहर चले जाते हैं और वहीं से पैसा भेजते हैं जिससे घर पर चावल खरीदा जाता है। अगर हमारे यहां नहर बन जाए, तो हम भी धान की अच्छी खेती कर सकते हैं। जब तक पानी की व्यवस्था नहीं होगी, तब तक धान की खेती करना बहुत मुश्किल है।

सिर्फ चुनाव में किया जाता है सिंचाई का वादा

यहां के रहने वाले किसान नन्हू ने बताया कि वे ईंट-गारा का काम करके मजदूरी करते हैं। उसी पैसे से चावल खरीदकर परिवार का गुजारा चलाते हैं। जब बारिश नहीं होती तो कुएं और तालाब भी सूख जाते हैं। ऐसे में सिंचाई बिल्कुल भी संभव नहीं होती। अगर सिंचाई की सुविधा होती तो इस समय हम धान की नर्सरी तैर कर रहे होते। हमारे यहां लगभग सौ एकड़ जमीन यूं ही खाली पड़ी है क्योंकि पानी का कोई इंतजाम नहीं है। हर चुनाव में सांसद और विधायक नहर बनवाने का वादा करते हैं लेकिन जीतने के बाद कोई लौटकर नहीं आता।

पिछले साल बारिश बहुत कम हुई जिससे मार्च में ही तालाब और कुएं पूरी तरह सूख गए। अब हालत ये है कि जानवरों के पीने के लिए भी पानी नहीं है। ऐसे में सिंचाई कैसे करें उन्होंने कहा कि इस पहाड़ी-पथरीले इलाके में पानी की बहुत बुरी स्थिति है ।

सिंचाई नहीं होने से खेत खाली, मजदूरी कर पालते हैं परिवार

अभयपुर गांव के एक किसान नेता बताते हैं कि यहां के लोगों को खेती छोड़कर मजदूरी करनी पड़ रही है। कोई बालू और पत्थर तोड़ने का काम करता है तो कोई ईंट-गारा का। उसी कमाई से अपने बच्चों का पेट पालते हैं क्योंकि सिंचाई की कोई सुविधा नहीं है इसलिए खेती करना मुश्किल हो गया है।

हमारे पास दस बीघा ज़मीन है लेकिन उसमें एक दाना अनाज भी नहीं उगता। बारिश के भरोसे फसल बोते हैं लेकिन जब बारिश नहीं होती तो फसल सूख जाती है और सारी मेहनत और पैसा बर्बाद हो जाता है। सालभर चावल, गेहूं, दाल और तेल बाजार से खरीदना पड़ता है। ऐसे में खेती का कोई फायदा नहीं रह गया।

हम लोग किसी तरह अपने परिवार का पेट पाल लेते हैं लेकिन जानवरों के लिए चारा नहीं होता। अगर खेती हो पाती तो जानवरों के लिए भी धान का भी भूसा (कटिया) होता। इसी वजह से हमारे समेत आस-पास के 25 गांवों के किसान नहर की मांग कर रहे हैं।

किसानों ने कई बार विधायक से सिंचाई की व्यवस्था करने की मांग की है लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जब तक पानी का इंतजाम नहीं होगा तब तक खेती का सपना अधूरा ही रहेगा।

पीढ़ियों से मांग रही है नहर

कटरा गांव के हंसराज आदिवासी कहते हैं कि उनके दादा, बाबा और पिता भी नहर की मांग करते-करते इस दुनिया से चले गए लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। गर्मियों में हालात इतने खराब हो जाते हैं कि जानवरों को पीने के लिए एक बूंद पानी नहीं मिलता। तालाब और कुएं तक सूख जाते हैं।

खेती ही हमारे जीने का सहारा है। जब फसल होती है, तो हम अनाज बेचकर शादी-ब्याह, बच्चों की पढ़ाई और बीमारियों का इलाज तक कर पाते हैं। अगर नहर बन जाए तो किसान की समस्या दूर हो जाएंगी और गांवों में खुशहाली लौट आएगी।

नहर के लिए विधानसभा में फिर उठाएंगे आवाज

प्रयागराज बारा विधानसभा क्षेत्र के विधायक वाचस्पति का कहना है कि शंकरगढ़ इलाके में सिंचाई की व्यवस्था के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ जगहों पर कुएं खुदवाए गए हैं और आगे ट्यूबवेल की व्यवस्था भी की जाएगी। नहर निर्माण को लेकर भी वे विधानसभा में आवाज उठा चुके हैं और अब एक बार फिर लिखित और मौखिक रूप से यह मांग उठाएंगे। नारीवादी गांव की तरफ जो नहर निकली है, उसमें से इन गांवों को जोड़ा जा सकता है ताकि सिंचाई की समस्या कुछ हद तक दूर हो सके।

 

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