आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दीपा ने आगे कहा “हम लोग पोषाहार भी इसी बिल्डिंग में रखते हैं। भले ही वह एक-दो दिन के लिए ही रखा जाता है लेकिन जब बारिश होती है तो ऊपर की बोरियां और प्लास्टिक की पैकिंग भीगकर सड़ जाती हैं।
रिपोर्ट – सुनीता, लेखन – सुचित्रा
प्रयागराज ज़िले के शंकरगढ़ ब्लॉक में बाल विकास परियोजना अधिकारी की बिल्डिंग 10 सालों से जर्जर हालत में हैं। इस बिल्डिंग में पूरे ब्लॉक की ग्राम पंचायतों की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की बैठकें और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यहां के कर्मचारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की सुरक्षा पर खतरा बना रहता है। इस समय भवन की स्थिति ऐसी हो गई है कि कभी भी गिर सकता है। यहां बैठना भी खतरे से खाली नहीं है। सभी कर्मचारी डर के साए में काम कर रहे हैं।
कार्यालय को बाहर से देखने पर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंदर भी इसी तरह का दृश्य होगा। चाहे वो दीवारें हो या फिर छत या फिर कमरे सभी की हालत टूटी हुई नज़र आएगी। बिल्डिंग की हालत इतनी खराब है कि बारिश के समय अंदर बैठने की भी जगह नहीं बचती। हर तरफ पानी टपकता है और छत से सरिया तक नजर आने लगे हैं।
आंगनबाड़ी भेजा जाने वाला पोषाहार असुरक्षित
यहां कार्यरत बाबू चन्द्रशेखर ने बताया कि यहां पोषाहार रखने की व्यवस्था की गई है लेकिन यहां ज्यादा लंबे समय तक नहीं रखा जाता लेकिन एक-दो दिन तो बिल्डिंग में रहता ही है जिसके बाद पोषाहार को आंगनबाड़ी के लिए भेज दिया जाता है। अब बारिश का मौसम है तो स्थिति और खराब हो गई है पोषाहार भले ही प्लास्टिक या पैकिंग में हो लेकिन ऊपर की बोरियां और पैकिंग पूरी तरह भीगकर सड़ जाती हैं और काली पड़ जाती हैं।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की होती है बैठक
प्रयागराज ज़िले के शंकरगढ़ ब्लॉक में स्थित बाल विकास परियोजना अधिकारी की बिल्डिंग की जर्जर हालत को लेकर शिवराजपुर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दीपा ने आज, 22 जुलाई 2025 को वजन दिवस के अवसर पर एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया था, जिसमें सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता इसी जर्जर भवन के नीचे बैठे थे। सौभाग्य से मौसम साफ था और बारिश नहीं हुई, इसलिए प्रशिक्षण हो सका। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर बारिश होती, तो क्या होता? हम लोग कहाँ बैठते?
उन्होंने बताया कि हर महीने इसी भवन में बैठक या प्रशिक्षण आयोजित की जाती है। यदि भवन की हालत नहीं सुधारी गई तो कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। छत से सरिया झांक रही है और पूरे भवन में पानी टपकता है जिससे बैठने की कोई सुरक्षित जगह नहीं बची है।
पोषाहार सड़ने का डर
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दीपा ने आगे कहा “हम लोग पोषाहार भी इसी बिल्डिंग में रखते हैं। भले ही वह एक-दो दिन के लिए ही रखा जाता है लेकिन जब बारिश होती है तो ऊपर की बोरियां और प्लास्टिक की पैकिंग भीगकर सड़ जाती हैं। अगर इसी तरह मीटिंग होती रही और भवन की मरम्मत नहीं हुई तो हम लोगों की जान पर बन आएगी।”
प्रशासन से मांग
कार्यकर्ता दीपा ने प्रशासन से अपील की कि इस जर्जर भवन की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए जल्दी से जल्दी मरम्मत या पुनर्निर्माण का काम कराया जाए ताकि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुरक्षित और सुविधाजनक माहौल में अपना कार्य कर सकें। प्रत्येक माह इसी प्रकार मीटिंग या प्रशिक्षण आयोजित होते हैं। ऐसे में कम से कम इतना तो आवश्यक है कि इस भवन की स्थिति सुधारी जाए ताकि हम लोग सुरक्षित और व्यवस्थित रूप से बैठ सकें।
बारिश के समय जरुरी दस्तावेज भीगने का डर
सुपरवाइज़र सुषमा का कहना है कि हमारा मुख्य कार्य लिखा पढ़ी, रिपोर्टिंग और निगरानी का होता है। कई बार मीटिंग या प्रशिक्षण के दिन हमें पूरा दिन इसी जर्जर भवन में बैठकर काम करना पड़ता है। हम जाएं भी तो कहां जाएं? जब बारिश होती है तो भवन इतना चूता है कि हमारे बैग और रजिस्टर तक भीग जाते हैं। बारिश से जरुरी कागज भी खराब और भीगने का डर लगा रहता है और हम खुद भी भीग जाते हैं।
कई बार की शिकायत
सुपरवाइज़र सुषमा कहती हैं कि “2015 से मैं इस पद पर नियुक्त हुई हूं तभी से इस भवन की यही खराब स्थिति देख रही हूं। हर मीटिंग में हम इस मुद्दे को उठाते हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। एक बार तो पूरा पोषाहार भी भीग गया था। गनीमत है कि वह पैकिंग पॉलिथीन में था, इसलिए बच गया लेकिन अगर कभी यह भवन गिर गया तो हम लोगों की जान भी जा सकती है।
शंकरगढ़ बाल विकास परियोजना अधिकारी सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि “हमारे यहां कुल 158 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं, जिनमें से 108 कार्यरत हैं। इसी प्रकार मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता 23 हैं, जिनमें से 21 कार्यरत हैं। इतने कर्मचारियों का पोषाहार इसी भवन के गोदाम में उतरता है। जब बारिश होती है, तो भवन में एक भी ऐसी जगह नहीं बचती जहां रजिस्टर या कागजात सुरक्षित रखे जा सकें। आलमारी रखने की भी कोई सुरक्षित जगह नहीं है, जबकि सारे दस्तावेज यहीं पर रखे जाते हैं।
हमने अपनी ओर से पिछले वर्ष जुलाई में विभाग को इस विषय में लिखित सूचना दी थी, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। यह मामला मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) के संज्ञान में भी है और उन्हें इसकी जानकारी दी जा चुकी है।
जिला प्रयागराज कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार राव का कहना है कि हमने अपनी तरफ से भवन के लिए अपने विभाग लखनऊ मे लिखित अर्जी दी है। विकास भवन में सीडीओ के सामने भी बात रखी। अब देखते हैं जैसे ही बजट पास होगा वैसी इस ऑफिस का कार्य शुरू किया जायेगा।
सरकारी ऑफिस की जो छवि हमारे दिमाग में बनी हुई है ये बाल विकास परियोजना अधिकारी के ऑफिस तस्वीर एकदम उलट है। जहां शहरों और उच्च स्तर पर सरकारी बिल्डिंग बड़ी और चमचाती हुई दिखती है वहीं ये बिल्डिंग धूल से भरी, जर्जर है। ऐसे में सरकार को ध्यान देना चाहिए कि क्या ग्रामीण स्तर पर सरकारी ऑफिस की स्थिति सही है कि नहीं? या यदि बजट पास हुआ है तो वो निर्माण कार्य में क्यों नहीं लगाया गया? यहां मिलने वाला पोषाहार किन परिस्थितियों में संभाल के रखना पड़ रहा है इस पर एक बार जरूर से जांच के लिए आना चाहिए।
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’



