यूपीपीसीएल (उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड) ने कथित तौर पर घाटे में चल रही दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (डीवीवीएनएल) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (पीयूवीवीएनएल) के निजीकरण का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस फैसले के बाद विद्युत कर्मचारी और इंजीनियर काफी नाराज नजर आए।
द्वारा लिखित – सुचित्रा
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बिजली के निजीकरण को लेकर कल मंगलवार 10 दिसंबर 2024 विरोध प्रदशर्न हुआ। यह प्रदर्शन विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और इंजीनियरों सहित बिजली विभाग के कर्मचारियों द्वारा काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया। समिति के अनुसार बिजली कर्मियों ने इस दौरान प्रदर्शन के कारण काम को रुकने नहीं दिया। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बिजली के निजीकरण के फैसले को वापस लेने की मांग की। उन्होंने नोएडा और आगरा में हुए बिजली के निजीकरण से घाटे का उदाहरण भी दिया। इसके साथ ही इनकी समीक्षा करने की मांग भी की।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यूपीपीसीएल (उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड) ने कथित तौर पर घाटे में चल रही दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (डीवीवीएनएल) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (पीयूवीवीएनएल) के निजीकरण का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस फैसले के बाद विद्युत कर्मचारी और इंजीनियर काफी नाराज नजर आए। इसके विरोध में शनिवार 7 दिसंबर 2024 को विरोध सभाएं की गई। कर्मचारियों में इस फैसले को लेकर गुस्सा इतना बढ़ गया कि वह इसके विरोध में प्रदर्शन करने लगे।
समिति ने बताया कि इस तरह के बिजली निजीकरण से समाज के प्रत्येक वर्ग पर काफी असर पड़ेगा और बिजली की दरें भी काफी महंगाई हो जाएगी। उन्होंने बताया कि प्रस्ताव में कई तरह की वित्तीय खामियां हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्ताव में गैर सरकारी उपभोक्ताओं का एग्रीकेट टेक्निकल एंड कामर्शियल (एटी एंड सी) हानियां दक्षिणांचल की 39.42 फीसदी और पूर्वांचल की 49.22 फीसदी बताई गई हैं। वहीं केंद्र सरकार की ओर से इसे वर्ष 2024-25 के लिए दक्षिणांचल के लिए 18.49 और पूर्वांचल के लिए 18.97 फीसदी तय किया गया है।
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प्रबंधन पर बर्ख़ास्त करने की धमकी, जबरदस्ती का आरोप
समिति ने प्रबंधन पर निजीकरण को लागू करने के लिए बर्खास्तगी की धमकी दी है। इसके साथ ही प्रयागराज में कर्मचारियों से कथित तौर पर निजीकरण के लिए लिखित समर्थन देने को कहा गया है। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो कर्मचारियों को बर्खास्तगी का सामना करना पड़ सकता है।
आगरा और नोएडा के निजीकरण की आलोचना
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के नेताओं राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पाण्डेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पी.के. दीक्षित व अन्य ने दावा किया कि 1 अप्रैल 2010 को आगरा के विद्युत वितरण का निजीकरण कर उसे टोरेंट पावर को सौंप दिया गया था जिस वजह से काफी घाटे का सामना करना पड़ा था।
उन्होंने बताया कि ग्रेटर नोएडा में भी निजीकरण होने से वंचित उपभोक्ताओं और किसानों को काफी दिकक्तों का सामना करना पड़ रहा है।
आपको बता दें कि यह उत्तर प्रदेश सरकार ने बढ़ते घाटे के कारण दो डिस्कॉम यानी क्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (डीवीवीएनएल) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (पीयूवीवीएनएल) का निजीकरण करने का फैसला किया है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बीजेपी पर किया वार
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने सोशल मीडिया X अकाउंट से इस मुद्दे पर पोस्ट करते हुए लिखा कि इसके पीछे की क्रोनोलॉजी को समझिए। पहले भारतीय जनता पार्टी बिजली का निजीकरण करेगी फिर बिजली का रेट बढ़ाएगी और उसके बाद कर्मचारियों को निकालेंगी। इस तरह अगर निजीकरण होता रहा तो अगला नंबर पानी के निजीकरण का हो सकता है।
क्रोनोलॉजी समझिए:
– पहले भाजपाई बिजली का निजीकरण करेंगे
– फिर भाजपाई बिजली की रेट बढ़ाएँगे
– फिर भाजपाई कर्मचारियों की छँटनी करेंगे
– फिर भाजपाई ठेके पर लोग रखेंगे
– फिर ठेकेदारों से भाजपाई कमीशन लेंगे
– फिर भाजपाई बिल बढ़ाकर जनता का शोषण करेंगे
– फिर भाजपाई बढ़े बिल का… pic.twitter.com/uXKih0G7IV— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 10, 2024
जिस तरह से हर चीज का निजीकरण किया जा रहा है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव आम जनता पर पड़ता है। चाहे इसके पीछे की कोई भी राजनीति हो लेकिन पिसती जनता ही है। बिजली निजीकरण से भी आने वाले समय में बिजली और महंगी हो जाएगी।
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