मेले तो आपने बहुत देखे सुने होंगे जहां बच्चों के लिए झूला, घरेलू समान, खाने पीने के लिए, लोग मौज मस्ती करते हैं। लेकिन एक ऐसा मेला जो आपको जानकर थोडा अजीब लगेगा। जी हां मै बात कर रही हूँ बुन्देलखण्ड के चित्रकूट जिले की। ये मेला मंदाकिनी नदी के किनारे रामघाट के पास नया गांव में हर दिपावली के दुसरे दिन लगता। एम पी, यूपी के हर जिले गांव से लोग यहां गधे खच्चर लेकर आते हैं।
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यहां औरेंगजेब.के जमाने से लगता चला आ रहा है। गधा मेला कहा जाता है इस मेले को औरेंगजेब ने शूरू कराया था। अपनी सेना के लिए यहां आए हुए अच्छे-अच्छे घोड़े गधे जो भी होते अपनी सेना मे शामिल करते यहां से घोड़े लेते थे इसी मेले मे खच्चर गधे भी शामिल होते हैं। और मेले को गधा मेला कहा जाने लगा ।सब जानते हैं इस साल कोविट 19 की वजह से सबके करोबार मे कितना असर पडा है ।
सबके लिए 2020 कितना कठिन रहा इसका असर साल में त्योहारों में जो भी मेले पडते हैं। वो सबमे रोक लगाई गई । सब का व्यापार ठंडा रहा ऐसे ही हुआ कुछ गधे मेले का हर साल जहां हजार से दो हजार जानवरों का यहां बेचना खरीदना होता था । इसबार मेले की परमिशन समय से न मिलने पर व्यापारियों को जानकारी न होने के कारण ज्यादा न तो जानवर आए न ही व्यापारी हर जगह से आ पाए।
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जो भीड हमेशा हुआ करती थी इस बार नहीं दिखी। वहां पर आए खरीदार और बेचने वालों ने कहा जो किमत है जानवरों की वो लोग नहीं दे पा रहे बस आने जाने का खर्च निकल जाए वही बहुत है। लेकिन इन सबके बावजूद एक बात देखने को मिली। हमेशा की तरह इस साल भी खच्चर की ज्यादा किमत रही 57 हजार का खच्चर इस मेले रहा और बिक गया।