खबर लहरिया Blog कोटेदार द्वारा ग्रामीणों और स्कूल में दिया जा रहा कीड़े- मकोड़े वाला राशन

कोटेदार द्वारा ग्रामीणों और स्कूल में दिया जा रहा कीड़े- मकोड़े वाला राशन

बांदा जिले के जसपुरा थाना क्षेत्र के पिपरोदर गांव में कोटेदार द्वारा ग्रामीणों को खराब राशन दिया जा रहा है। जिसे लेकर ग्रामीणों ने विरोध भी किया है।

        ग्रामीणों को मिला खराब राशन

बांदा जनपद में कोटेदार द्वारा की जाने वाली मनमानी से ग्रामीण परेशान है। कोटेदार तकरीबन 40 सालों से राशन की दुकान चला रहा है। ग्रमीणों ने आरोप लगाते हुए बताया है कि कोटेदार जो राशन देता है उसमें कीड़े-मकोड़े होते हैं। राशन सामग्री खाने योग्य नहीं होती है। जानकारी के अनुसार, बीतें 15 दिनों के अंतराल में कोटेदार द्वारा ग्रामीणों को राशन दिया गया था। जिसमें कीड़े पाए गए थे।

एसडीएम के पास पहुंचे शिकायत लेकर

पीड़ित ग्रामीण आज 1 सितंबर 2021 को पैलानी के एसडीएम के पास अपनी शिकायत लेकर पहुंचे हैं। इससे पहले वह गाँव की प्रधान और कुछ अधिकारियों से भी मामले की शिकायत कर चुके हैं। इसके बावज़ूद भी कोटेदार पर किसी भी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की गई है। सबसे बड़ी बात यह है कि जो राशन दिया गया वह स्कूल के एमडीएम का था जो स्कूल में बच्चों को दिया जाता है।

एसडीएम ने कहा, अधिकारी कर रहे हैं जांच

जब पूरे मामले की जानकारी पैलानी के एसडीएम महेंद्र सिंह को दी गयी तो उनके द्वारा बताया गया कि उन्हें मामले की जानकारी है। इसमें पूर्ति निरीक्षक अधिकारी को जांच के लिए भेजा गया है।

ग्रामीणों द्वारा कोटेदार पर लगाये गए आरोप

आपको बता दें उत्तर प्रदेश में योगी सरकार लगातार गरीब आवाम के लिए सरकारी दुकानों में राशन वितरण कराने का काम कर रही है। वहीं बांदा जनपद के जसपुरा थाना क्षेत्र के पिपरोदर गांव का कोटेदार अनीस खान ग्रामीणों को कीड़े-मकोड़े वाला राशन वितरण कर रहा है।

ग्रामीणों का आरोप है कि, ‘अच्छे राशन को कोटेदार ब्लैक कर लेता है और सड़ा घुना हुआ बदबू आते हुए राशन को ग्रामीणों को जबरदस्ती देता है। साथ ही स्कूल में जो बच्चों को एमडीएम के तहत राशन मिलता है उसमें भी सड़ा-गला राशन दिया जाता है।’

कोटेदार करता है ग्रामीणों से दुर्व्यवहार

अगर ग्रामीण विरोध करते हैं तो कोटेदार द्वारा उनके साथ बदतमीज़ी और अभद्रता से व्यवहार किया जाता है।ग्रामीणों का आरोप है कि कोटेदार कुछ अधिकारियों की सांठ-गांठ से 40 सालों से सरकारी राशन की दुकान चला रहा है। वहीं ग्रामीण अगर सड़ा हुआ राशन लेने का विरोध करते है तो ग्रमीणों पर अभद्रता सा व्यवहार करता है।

ग्रामीणों के अनुसार कोटेदार कहता है, ‘ मैं 40 वर्षों से निरंतर राशन की दुकान चला रहा हूँ। इसी तरह का सड़ा हुआ सामान दूंगा, नहीं तो मत लो।’

कोटेदार की मनमानी से तमाम ग्रमीणों को सरकार की तरफ से जो पेट भरने को राशन मिल रहा था वह भी उनके पेट तक नहीं पहुंच पा रहा है।

अध्यापक ने की शिकायत

अध्यापक असलम खान ने खराब राशन की शिकायत कोटेदार से की लेकिन कोटेदार ने कीड़े-मकोड़े वाला राशन वापस नहीं लिया।

नाप कर नहीं मिलता राशन – आरोप

ग्रामीण फूलचंद निषाद, अब्दुल खान, जुबेदा बेगम ,कमाल खान आदि ग्रामीणों ने हमें बताया कि, ‘हमेशा कोटेदार के द्वारा पर्ची नहीं दी जाती और बिना तोले हुए राशन दिया जाता है। जो दुकान में कनस्टर है उसके द्वारा नाप कर राशन देता है।’

क्या कहती हैं गांव की प्रधान?

हमने पूरे मामले के बारे में गांव की प्रधान मीरा देवी से भी बात की। कोटेदार ने गांव की प्रधान से कहा कि, ‘अपना कोटा चलाओ और मैं 40 साल से कोटेदार हूं। जो राशन आएगा वही राशन में दूंगा।’

हमने पूरे मामले को लेकर कोटेदार से भी बात करने की कोशिश की लेकिन कोटेदार ने बात करने से मना कर दिया। कीड़े-मकोड़े वाला राशन देना और कोटेदार द्वारा यह कहना कि जो उसे मिलता है वह वही देगा, खाद्य आपूर्ति विभाग और उससे जुड़े अधिकारियों पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। देखते हैं कि एसडीएम इस मामले को कब तक और किस तरह से निपटारा करते हैं।

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