26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के बाद पुलिस और प्रशासन द्वारा किसान आंदोलनकारियों के ऊपर कड़ी कार्यवाही की जा रही है। हिंसा के बाद कई किसान संगठनों ने किसान आंदोलन से अपने पांव पीछे खींच लिए हैं। वहीं 26 जनवरी के दिन हुई हिंसा को लेकर किसान नेताओं द्वारा माफ़ी भी मांगी गयी है। इसके साथ ही हिंसा में घायल हुए पुलिसकर्मियों से आज गृह मंत्री अमित शाह ने अस्पताल में जाकर मुलाकात भी की है।
किसानों में किया अर्धनग्न प्रदर्शन
दिल्ली के टिकड़ी बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों ने आज अर्धनग्न होकर धरना प्रदर्शन किया है। लगभग 64 दिनों से किसान कृषि बिलों के खिलाफ धरने पर बैठे हैं। हालांकि, 26 जनवरी के दिन हुई हिंसा ने उनके आंदोलन पर काफी फर्क डाला है। इसके बावजूद भी किसानो द्वारा आंदोलन को कामयाब बनाने की कोशिश जोरो से लगी हुई है। साथ ही बॉर्डर पर बड़ी संख्या में सुरक्षाबल भी तैनात किए गए हैं।
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आज गाज़ीपुर बॉर्डर हो सकता है खाली
एडीजी, आईजी, डीएम, एसएसपी समेत भारी पुलिस बल आज सुबह दिल्ली के गाज़ीपुर बॉर्डर पहुंची है। मिली जानकारी के अनुसार, यह कहा जा रहा है कि आज पुलिस द्वारा गाज़ीपुर बॉर्डर पर चल रहे प्रदर्शन को खत्म कराया जा सकता है। साथ ही गाज़ियाबाद के सभी थानों की पुलिस को बॉर्डर खाली करवाने के लिए पहले ही अलर्ट रहने के लिए कहा गया था। हर थाना पुलिस को निर्देश दिया गया था कि वह शरीर कवच और हेलमेट के साथ तैयार रहे।
Delhi: Latest visuals from Ghazipur border where farmers are protesting against #FarmLaws. pic.twitter.com/SkmcsquBZk
— ANI (@ANI) January 28, 2021
दलित प्रेरणा स्थल से खत्म हुआ आंदोलन
आज आधी रात को नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल पर धरना दे रहे किसानों को पुलिस द्वारा हटाकर स्थान को पूरी तरह से खाली कर दिया गया है। इसके साथ ही धीरे–धीरे पुलिस द्वारा अन्य आंदोलन स्थलों को भी खाली कराने की कोशिश की जा रही है।
20 नेताओं को पुलिस ने भेजा नोटिस
26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस ने किसान नेता योगेंद्र यादव, बलदेव सिरसा और बलबीर एस राजेवाल समेत कम से कम 20 किसान नेताओं को ट्रैक्टर रैली समझौते को तोड़ने को लेकर नोटिस भेजा है। साथ ही पुलिस द्वारा उन्हें जवाब देने के लिए तीन दिन तक का समय भी दिया गया है। समझौते में यह तय किया गया था कि ट्रैक्टर रैली पुलिस द्वारा निश्चित की गयी सड़क और मार्ग पर ही की जाएगी।
पुलिस ने किसानों के खिलाफ किया ‘लुकआउट‘ नोटिस ज़ारी
साथ ही दिल्ली पुलिस ने जिन किसान नेताओं के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज़ की है उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी ज़ारी किया है। दिल्ली पुलिस द्वारा किसान नेताओं के पासपोर्ट भी ज़ब्त कर लिए गए हैं। लुकआउट नोटिस यानी जब किसी व्यक्ति को अपराध के बारे में पूछताछ के लिए जांच एजेंसी द्वारा बुलाया जाता है। अगर वह व्यक्ति एजेंसी की जांच में सहयोग नहीं करता और किसी गुप्त जगह पर छुपने की कोशिश करता है, तब इस व्यक्ति को लुकआउट नोटिस भेजा जाता है।
Delhi Police issued notices to at least 20 farmer leaders including Yogendra Yadav, Baldev Singh Sirsa, Balbir S Rajewal for breaching the agreement with police regarding the tractor rally. They have been asked to reply within 3 days: Delhi Police
— ANI (@ANI) January 28, 2021
बड़ौत पुलिस ने देर रात किया किसानों पर लाठीचार्ज
बुधवार, 27 जनवरी की रात को बड़ौत में धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों के स्थान पर अचानक से पुलिस ने दस्तक दे दी। उस समय कई किसान सो रहे थे। तभी पुलिस ने सभी किसानों पर लाठीचार्ज करना शुरू कर दिया। उनके सामान को भरकर ले गयी। इस बीच मे काफ़ी भगदड़ हुई और कई किसानों को चोट भी आई।
19 गिरफ्तार, 400 पुलिसकर्मी घायल
एनडीटीवी द्वारा प्रकाशित 27 जनवरी की रिपोर्ट में बताया गया कि अभी तक 26 जनवरी ट्रैक्टर परेड हिंसा में 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही 25 लोगो के खिलाफ एफआईआर दर्ज़ की गयी है। पुलिस का कहना है कि वह किसान नेताओं से भी हिंसा के बारे में पूछताछ कर रही है। वहीं किसानों का आरोप है कि सरकार द्वारा ट्रैक्टर रैली को खराब करने की साजिश की गयी थी ताकि वह कृषि बिलों को वापस ना लें। दिल्ली पुलिस कमिशनर एस एम श्रीवास्तव ने बताया कि सिंघु बॉर्डर के किसानों ने खुद बैरीकेडस को तोड़ा था। साथ ही इस दौरान तकरीबन 400 पुलिसकर्मी भी गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
पुलिस ने मुकरबा चौक, गाज़ीपुर, आईटीओ, सीमापुरी, नागलोई टी–पॉइंट,टिकड़ी बॉर्डर और लाल किले से तकरीबन 200 लोगों को बैरिकेडस तोड़ने की वजह से हिरासत में लिया है।
26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद राजनीति भी गर्मा गयी है। कुछ पार्टियों द्वारा सरकार पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया जा रहा है तो कहीं उपद्रवियों का नाम सामने आ रहा है। इसके साथ ही किसानों को भी धरना प्रदर्शन की जगह से हटाया जा रहा है। हिंसा के बाद सरकार और पुलिस ने किसानों की तरफ़ कड़ा रुख अपना लिया है। हालांकि, अभी भी किसानों द्वारा प्रदर्शन जारी है।