जिला अयोध्या ब्लॉक तारून गांव परमानंदपुर जाना बाजार के अवधी भाषा के दो कवि राकेश कुमार पांडे और शेर बहादुर सिंह शेर किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। अवध में इन्हें कौन नहीं जानता। इनकी कविताएं खासकर देश, विकास, जनता व आपबीती घटनाओं पर होती हैं। जैसे – इन्होंने सरकारी योजनाओं पर मानवता हनन को लेकर अपने अनुभव को कविता का रूप देने का काम किया है।
दोनों कवियों का कहना है कि हम सब बहुत बड़े लेवल के कवि तो नहीं है पर हम सुबह से लेकर शाम तक जो समाज के साथ घटित होता है, वह कविता बनकर हमारी भावनाओं को प्रकट करते हैं। चाहें वह किसान हो गरीब हो या मजदूर हो, सबकी व्यथा को अपने कविता के माध्यम से प्रदर्शित करते हैं। ज़्यादा से ज़्यादा हम लोगों को जागरूक करना चाहते हैं कि समाज कैसा भी हो लेकिन हमें अपना भाईचारा या अपनी जन्मभूमि नहीं भूलनी चाहिए।
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इन्हीं सब बातों को लेकर और बढ़ती महंगाई पर कटाक्ष व्यंग्य कविता के द्वारा प्रदर्शित करते हैं। शेर बहादुर शेर सिंह एक जिंदादिल इंसान है और वह अपनी कविता में शेर-शायरी से नए युवाओं को नए उमंग, नए जोश के साथ नए उत्साह के साथ प्रेरित करते हैं
राकेश पांडे कहते हैं, उन्होंने जातिवाद को मिटाते हुए भ्रष्टाचार राजनीति से हटकर आपस में एकता और देश के विकास के ऊपर कविता के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रण लिया है। आगे कहा कि हमारी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है इसलिए छोटा-मोटा काम भी करते हैं परिवार के गुजर-बसर के लिए लेकिन कविता बचपन से ही पसंद हैं कि कवि बनकर देश अपने गांव का अपने देश का नाम रोशन करें। जिम्मेदारी के चलते इन सपनों का हनन होता नज़र आता है फिर भी अभी-भी अपने घर के कामों से जब फुर्सत मिलती है तो कविता लिखने का काम करते हैं और गोष्टी में भी शामिल होते रहते हैं।
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