खबर लहरिया Blog चित्रकूट : मनरेगा के पैसे ना मिलने से लोग परेशान, खंड अधिकारी को सौंपा ज्ञापन

चित्रकूट : मनरेगा के पैसे ना मिलने से लोग परेशान, खंड अधिकारी को सौंपा ज्ञापन

People upset due to lack of money from MNREGA

यूपी के पहाड़ी चित्रकूट के सैकड़ों ग्रामीणों ने 15 दिसंबर 2020 को मनरेगा के पैसे ना मिलने पर विकासखंड पहाड़ी परिसर तक नारेबाज़ी और प्रदर्शन किया। उनकी प्रशासन से मांग है कि गांव के प्रधान शिवनारायण यादव और रोज़गार सेवक शिवपूजन के खिलाफ कार्यवाही की जाए। 

ग्रामीणों ने बयां की चिंता

प्रदर्शन में मौजूद कमलेश, धर्मराज, मोनू, राकेश, गोपाल, पवन केसरिया आदि ग्रामीणों का कहना है कि जब भी वह प्रधान से मनरेगा के तहत किये काम के पैसों के ना मिलने की परेशानी को लेकर जाते थे, तो प्रधान द्वारा उन्हें अपशब्द कहकर भगा दिया जाता था। लोगों का यह भी आरोप है कि गांव का प्रधान रात को जानबूझकर गौशाला से गायों को खुला छोड़ देता था ताकि वह गायें लोगों के खेतों को बर्बाद कर दे।

पहाड़ी ब्लॉक के एडीओ का यह है कहना 

पहाड़ी ब्लाक के एडीओ पंचायत देवकुमार कुशवाहा ने मामले के बारे में फ़ोन पर बताया कि गांव वालों का ज्ञापन ले लिया गया है। जल्द ही टीम बनाई जाएगी और पूरे मामले की जांच भी होगी। अगर प्रधान मामले में दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ भी कार्यवाही की जाएगी। 

क्या कहता है ज्ञापन

People upset due to lack of money from MNREGA

 

ज्ञापन में प्रधान शिवनारायण यादव पर कार्यवाही की मांग की गयी है। थाना पहाड़ी तहसील राजापुर जनपद चित्रकूट को इन समस्याओं से अवगत कराया है। वह हैं :- 

– जानवरों द्वारा खेतों को बर्बाद करना।

– लोगों को मनरेगा का पैसा ना देना।

– गांव की सफ़ाई ना करवाना।

– गांव में अवैध लोगों को पात्र/ अपात्र करना।

कोटा में घटती दिलवाना। 

रोज़गार सेवक नहीं बनाता सही रिपोर्ट

People upset due to lack of money from MNREGA

 

लोगों का कहना है कि रोज़गार सेवक शिवपूजन जो मनरेगा की रिपोर्ट बनाता है। वह जॉब कार्ड पर उनकी हाज़री नहीं भरता। जब लोग उससे शिकायत करते हैं तो वह समय नहीं है कहकर बात टाल देता है और लोगों को गड्ढे दोबारा खोदने को कहता है। 

लोगों द्वारा खण्ड विकास अधिकारी के ऑफिस में ज्ञापन तो दे दिया गया। साथ ही अधिकारियों द्वारा कार्यवाही करने का भी दावा किया गया है। लेकिन देखना यह है कि कार्यवाही कब तक पूरी होती है और लोगों को मनरेगा का पैसा वापस मिलता है या नहीं। साथ ही गांव में सफाई और गायों द्वारा खेतों को खराब करने से रोकने आदि चीजों के लिए कौन से कदम उठाए जाते हैं। अगर जानवरों को खेतों को बर्बाद करने से ना रोका गया तो किसानों को इसकी वजह से और भी ज़्यादा नुकसान झेलना पड़ सकता है। किसानी गांव के लोगों का एकमात्र साधन है और अगर वह भी बर्बाद हो जाएगी तो उनके पास रोज़गार का और कोई साधन भी नहीं है। यह भी देखना जरूरी होगा की समस्या का निपटारा कब तक किया जाता है।