खबर लहरिया Blog चित्रकूट जिले के ‘नशा मुक्ति पुनर्वास केंद्र’ में लोगों का होता है निःशुल्क इलाज

चित्रकूट जिले के ‘नशा मुक्ति पुनर्वास केंद्र’ में लोगों का होता है निःशुल्क इलाज

नशा मुक्ति पुनर्वास केंद्र में नशे में लिप्त लोगों का छः महीने तक इलाज किया जाता है व अस्पताल में ही उनके खाने-पीने, दवा इत्यादि की निःशुल्क व्यवस्था की जाती है।

People get free treatment in 'De-Addiction Rehabilitation Center' of Chitrakoot district

जिला चित्रकूट के ग्राम पंचायत कोलमजरा में ‘नशा मुक्ति पुनर्वास केंद्र’ खोला गया है ताकि गाँव में नशे से ग्रसित लोगों को सही इलाज मुहैया हो पाए। बात दें, यह केंद्र साल 2019 में खोला गया था व यहां निःशुल्क ही लोगों का इलाज किया जाता है।

रिपोर्टिंगे के दौरान हमने पाया कि जिले के ब्लॉक मऊ गांव बरगढ़, बनवारी, मिर्ज़ापुर इत्यादि जगहों से लोग ‘नशा मुक्ति पुनर्वास केंद्र’ में अपना इलाज कराने के लिए आते हैं। बरगढ़ क्षेत्र में अधिकतर लोग गिट्टी-पत्थर का काम करते हैं व देखा गया कि अधिकतर यही लोग दारु व गांजे के सेवन में लिप्त होते हैं।

नशा मुक्ति पुनार्वास‌ केन्द्र के मैनेजर‌ प्रेम ने बताया कि उनके केंद्र में अधिकतर युवा लोग ही इलाज के लिए आते हैं जो दारू और गांजे की लत को अब छोड़ना चाहते हैं।

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केंद्र से मिली नशा छुड़ाने में मदद

नशा, दारु, गांजा परिवार को नष्ट कर देता है। गांव बरगढ़ के अखिलेश नाम के व्यक्ति कहते हैं, “मैं बहुत ज़्यादा दारु-गांजा पीता हूँ। एक दिन में दस सीसी पी जाता हूँ। इससे घर में औरत और बच्चों के साथ मारपीट और गाली-गलौच भी हो जाती है। घर में खाने के लिए कुछ नहीं रहता। खेती-बाड़ी, गहना सब बेचकर दारु पी लिया। इसके बाद नशा छोड़ने के लिए अस्पताल के गांव में गए। वहां अस्पताल में छः महीने के लिए भर्ती हुए। अब दारु पीने का मन नहीं करता। पहले यदि सौ कमाई की हो तो पचास की ज़रूर से दारु पीना है। इस तरह की परम्परा बनी रहती थी।”

मिर्जापुर से आये मरीज़ अमर सिंह ने बताया कि उन्हें भी ज़्यादा मात्रा में दारु-गांजे का शौक था। खुद बहुत कोशिश की लेकिन नशा करना नहीं छूटा। उनके एक साथी ने यहीं इलाज करवाया था और उसने ही केंद्र का नंबर दिया था। अस्पताल में इलाज के बाद उनका नशा करना छूट गया। अब वह अपने परिवार के साथ आराम से रह रहे हैं, बच्चों को पढ़ा-लिखा रहे हैं।

निःशुल्क होता है लोगों का इलाज

People get free treatment in 'De-Addiction Rehabilitation Center' of Chitrakoot district

खबर लहरिया ने नशा मुक्ति पुनार्वास‌ केन्द्र के मैनेजर‌ प्रेम से बात की। उन्होंने बताया कि बरगढ़ क्षेत्र में नशा मुक्ति केंद्र इसलिए खोला गया क्योंकि यह इलाका पथरीला है। अधिकतर लोग गिट्टी-पत्थर का काम करते हैं और ज़्यादातर दारु-गांजे का नशा करते हैं। उनका उद्देश्य साल भर में 180 मरीज़ों का इलाज करना है।

इसके आलावा अस्पताल की तरफ से कुछ टीम गांव के लोगों को नशा मुक्ति को लेकर जागरूक करने का भी काम करती है। इससे महिलाओं को भी थोड़ी मदद मिलती है। मरीज़ों के रहने-खाने इत्यादि चीज़ों की व्यवस्थाएं अस्पताल में ही निःशुल्क की जाती है।

मरीज़ों के इलाज के लिए कुछ अंग्रेजी दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है। मानसिक तनाव को कम करने के लिए उनसे बातचीत की जाती है। सुबह वॉक भी कराई जाती है।

देखा जाए तो ग्राम पंचायत में नशा मुक्ति केंद्र का होना एक अच्छी पहल है। वहीं चिंता का विषय यह भी है कि अधिकतर युवा दारु व गांजे के सेवन में लिप्त हैं जो उनके भविष्य को धूमिल करने का काम कर रहे हैं।

इस खबर की रिपोर्टिंग सुनीता देवी द्वारा की गयी है। 

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