पानी की सुविधा होना आज भी यूपी और एमपी के कई गाँवो के लोगों के लिए सपना है। जिसे पूरा करने के लिए लोग रोज़ जद्दोजेहद कर रहे हैं।
यूपी और एमपी के क्षेत्रों में पानी की समस्या आज से नहीं बल्कि दशकों से है। आपमें से कई लोगों ने बुंदेलखंड के बारे में तो सुना ही होगा। जिसे सूखा घोषित किया गया है। वहां लोग आज भी पानी की एक बूँद के लिए तरस रहे हैं। लेकिन हम यहां सिर्फ एक क्षेत्र की नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के कई जिलों में बसने वाले गाँवो की बात कर रहे हैं। जिसका नाम न तो सरकारी रिकॉर्डों में मिलेगा और न ही किसी नक़्शे पर। ऐसे पिछड़े गाँव, कस्बे, मजरे और बस्तियां जहां रहने वाले लोगों की पानी की तलाश कभी खत्म ही नहीं हुई। कभी उनकी प्यास बुझी ही नहीं।
फिर लोगों ने खुद ही पानी की तलाश ज़ारी कर दी। किसी ने नदी ढूंढी, किसी ने तालाब। पर क्या वो पानी पीने लायक था? जी नहीं!! हमने जब यूपी और एमपी के क्षेत्रों में छोटे गाँव और कस्बों में रिपोर्टिंग की तो हमने पाया कि लोग गंदे तालाबों और गड्ढों से पानी पीते है क्यूंकि उनकी पहुँच साफ़ पानी तक नहीं है। उनके लिए वह दूषित पानी उतना मायने नहीं रखता जितना मायने रखता है “पानी की प्यास बुझाना।”
हमने अपनी रिपोर्टिंग के दौरान यह भी पाया कि जिन लोगों को कुछ हद तक पानी की सुविधा मुहैया कराई जा रही है। वह भी पूरी नहीं है। लोग पानी को लेकर एक-दूसरे से लड़ते हुए नज़र आते हैं। वो इसलिए क्यूंकि लोगों को उनकी ज़रुरत के हिसाब से भी पानी नहीं मिल रहा। कोई कई किलोमीटर चलकर पानी लाने को मज़बूर है तो कोई तलाबो और कुओं पर निर्भर है। लेकिन अब तो तलाब और कुएं भी सूख गए हैं। फिर लोग पानी के लिए कहां जाएं?
कई गाँव ऐसे हैं जिसमें सैकड़े की आबादी में तीन से चार हैंडपंप लगे हुए हैं। वह भी खराब है। किसी में से दूषित पानी आता है तो किसी में से लौह युक्त। तो क्या इसे पानी की सुविधा मुहैया कराना कहा जाएगा या सिर्फ दिखाने के लिए काम चलाऊ तस्वीर दिखाना? ऐसे ही कई सवाल आप भी पूछंगे। हम आपके साथ कुछ ऐसे ही गाँवों और कस्बों की समस्याएं बताने जा रहे हैं। जिन पर हमने गहराई से रिपोर्टिंग की है और मुद्दों पर सवाल भी उठायें हैं।
मध्यप्रदेश का जिला पन्ना
7 मई 2021 को हमारे द्वारा प्रकाशित खबर के अनुसार पन्ना जिले के पवई विधानसभा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मुड़वारी में रहने वाले लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों की पानी की समस्याओं पर आज तक किसी भी जनप्रतिनिधियों द्वारा ध्यान नहीं दिया गया। जैसे ही गर्मी शुरू होती है। कुएं और तालाब सूख जाते हैं। हर घर नल जल योजना ज़रुरत के समय नाम से ज़्यादा कुछ नहीं रह जाती।
आपको बता दें, “हर घर नल योजना 2021” केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण इलाकों तक पानी पहुँचाने के लिए शुरू की गयी है। इस योजना के अंतर्गत झीलों तथा नदी के पानी का शुद्धिकरण किया जाएगा। फिर यह पानी ग्रामीण परिवारों तक पहुंचाया जाएगा। उन तक पीने का पानी पाइप लाइन के माध्यम से पहुंचेगा। सरकार द्वारा 5,555.38 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
इसके साथ ही 2016-17 मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल योजना की भी शुरुआत की गयी थी। लेकिन जिस तरह से गाँव की समस्या को देखा जा रहा है। उससे यह बात तो साफ़ है कि लोगों को अभी तक चार साल पहले चली योजना से कोई लाभ नहीं मिला है। तो फिर इस योजना से लोग कितनी उम्मीदें लगा सकते हैं कि उन्हें पानी की सुविधा मिलेगी?
खबर के अनुसार, मजबूरी में “यहां के लोग गांव से निकली नदी के बगल में गड्ढे खोदकर नदी का साफ पानी इकट्ठा करते हैं।” उसी पानी में जानवर नहाते हैं और लोग उसी नदी के ज़रिये अपनी दैनिक क्रियाएं करते हैं। जो साफ़ पानी शहरों में लोगों को बिना किसी परेशानी के मिल जाता है। वहीं यहां लोगों को पानी के लिए पहले जद्दोजेहद करनी पड़ती है। फिर पीने के लिए गड्ढे से साफ़ पानी निकालने की कोशिश की जाती है।
गाँव के अशोक का कहना है कि क्यूंकि उनका आदिवासी क्षेत्र है। इसलिए अधिकारीयों द्वारा ध्यान नहीं दिया जाता।
पानी की समस्याओं को लेकर लोगों ने कई बार सरपंच, सचिव,अधिकारियों और यहां तक की विधायक को भी कहा। हमेशा बस उन्हें यह कह दिया जाता कि व्यवस्था हो जायेगी पर कब? जिले के कलेक्टर से भी लोगों द्वारा मांग की गयी कि जल्द से जल्द पानी की समस्या को दूर कराया जाए। जिससे की लोगों को साफ स्वच्छ पानी पीने को मिल सके। लेकिन फिर भी उसका कोई असर नहीं हुआ।
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यूपी का जिला बाँदा
18 मई 2021 को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार बांदा जिले के महुआ ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले मोतियारी गाँव का बड़ा तालाब बहुत ही मशहूर तालाब माना जाता है। यहाँ के लोगों ने बताया कि एक समय था कि कितनी भी गर्मी और धूप हो लेकिन यह तालाब कभी नहीं सूखता था। उसी से पूरे गाँव का काम होता था। लेकिन आज कई सालों से यह तालाब सूखा पड़ा हुआ है। इस तालाब में पिछले वर्ष खुदाई भी हुई थी। जिसका उद्देश्य यह था कि इसमें फिर से पहले जैसा पानी भरा रह सके। लेकिन अभी भी वही स्थिति बनी हुई है और तालाब सूखा पड़ा हुआ है।
लोगों का कहना है कि यह तालाब ऊंचाई में है और कहीं से भी पानी के आवागमन का कोई जरिया नहीं है। इसलिए यह तालाब 12 महीने सूखा पड़ा रहता है। सिर्फ बरसात में थोड़े बहुत बारिश के पानी से भरता है। जिससे लोगों और जानवरों दोनों को ही पानी की दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है। पानी की तलाश में जानवर भटकते रहते हैं और प्यास से तड़प-तड़प कर अपनी जान दे देते हैं।
यहां के लोगों का कहना है कि पिछले साल जब खुदाई हुई थी तब भी लोगों ने मांग की थी कि यहां पर एक ट्यूबवेल लगवा दिया जाए। जिससे की तालाब में हमेशा पानी भरा रहे। गाँव के प्रजापति का कहना है कि वह लोग कई बार तहसील से लेकर विधायक तक पानी मांग के लिए गए पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
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यूपी का जिला वारणसी
12 मई 2021 को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार जिला वाराणसी नगर क्षेत्र घाट में रहने वाले लोग इस समय पानी की तलाश में भटक रहे हैं। यहाँ सौ लोग लगभग ऐसे हैं जिन तक पीने के पानी का सप्लाई नहीं पहुँच रहा। यहां के रहने वाले अमन का कहना है कि लगभग बीस दिन हो गए। लेकिन सप्लाई का पानी नहीं आ रहा। पानी न मिलने से उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिसके घर में है, वह महामारी की वजह से पानी नहीं दे रहा। पानी पीने के लिए तो खरीद लेते हैं। लेकिन नहाने-धोने में समस्या होती है। इसकी शिकायत कई बार जल विभाग में भी की। बस आश्वाशन मिल गया। लेकिन कुछ नहीं हुआ।
काशीनाथ यादव का कहना है कि जिसका बोरिंग नीचे है। उसका पानी आ रहा है। जिसका दो फिट ऊपर है। उसका पानी नहीं आ रहा। शिकायत करने पर भी कुछ नहीं हुआ। इसलिए वह लोग घाट पर नहाने जाते हैं। लेकिन पीने के लिए कहां जाएं ? उनका कहना है कि जब कोई सुनने वाला ही नहीं है तो वह लोग चक्का जाम करेंगे।
रिपोर्ट के अनुसार, जिस नदी से लोग पानी पीते हैं। उसी नदी के पानी में गाँव के जानवर नहाते और तैरते हैं। एक तरफ कोरोना महामारी और दूसरी तरफ लोग गंदा पानी पीने को मज़बूर हैं। साफ़ पानी के लिए लोग घंटों-घंटो लाइन लगाते हैं तब जाकर उन्हें पानी मिलता है। नदी के किनारे मौजूद कुछ महिलाओं ने हमें बताया कि वह सुबह के तीन बजे उठकर ही पानी की चिंता की वजह से लाइन लगा लेती हैं। वह इसलिए क्यूंकि सैकड़ों लोग एक ही जगह से पानी भरते हैं। ऐसे में उन्हें पानी न मिलने का डर सताता रहता है।
जल विभाग भेलुपुर के ठेकेदार चन्द्रभान पटेल का कहना है कि गर्मी में पानी कम हो जाता है। लेकिन पानी की समस्या को सुधारने की कोशिश की जा रही है। समस्या को लेकर कलेक्टर संजय मिश्रा का कहना है कि मामले को संज्ञान में ले लिया गया है। गाँव में जल्द से जल्द से पानी की व्यवस्था करवाई जायेगी। लेकिन कब ?
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जिला महोबा
9 मई 2021 को प्रकशित खबर के अनुसार महोबा जिले के कुलपहाड़ कस्बे के लोग पानी के लिए एक-दूसरे से लड़ाई करते नज़र आ रहे थे। जब हमने वहां मौजूद महिला हसीना से पूछा कि वह लड़ाई क्यों कर रही हैं तो उनका कहना था कि “क्या करें बहन जी! पानी तो चाहिए हीं।”
शहज़ादी बेगम कहती हैं कि वह कई बार पानी के लिए नगर पालिका गयी। वहां शिकायत भी की। लेकिन कुछ नहीं हुआ। वह लगभग तीन महीने से पानी के लिए परेशान है।
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इतनी सारी समस्याओं और अधिकारीयों की बात सुनकर और पढ़कर क्या ये कहा जा सकता है कि लोगों की पानी की समस्या को खत्म करने की कोशिश की जा रही है? इतने दशकों में भी लोगों तक साफ़ पानी क्यों नहीं पहुँच रहा? क्यों लोग कई नल जल योजना के बावजूद भी गंदा पानी पीने के लिए मज़बूर हो रहे हैं? क्यों लोगों के बीच आज भी पानी के लिए लड़ाई हो रही है? क्यों लोग कई किलोमीटर चलकर आज भी पानी लाने को मज़बूर हैं क्यों? इतने सालों में एक भी पानी की योजना क्यों लोगों की पानी की समस्याओं को सुलझा नहीं पायी? जहां शहरों में पानी यूहीं बहाया जा रहा है। वहीं गाँव-कस्बों के लोगों को दूर-दूर तक कहीं भी पीने का साफ़ पानी नज़र नहीं आता। क्या ये लोग, ये गांव, ये जिला, उनकी समस्याएं सरकार के लिए अदृश्य है? या फिर कभी इनकी तरफ देखा ही नहीं गया। आज भी लोग पानी के लिए नदी और तलाबों पर ही आश्रित हैं। वो भी गर्मी की वजह से सूख गए हैं। इसका मतलब तो यही है कि उन तक कभी योजनाओ का लाभ ही नहीं पहुंचा।