हमने आमतौर पर दहशरा के समय रावण, मेघनाद और कुंभकरण का पुतला जलते देखा है। इन पुतलों को जलाकर लोग बुराई पर अच्छाई की जीत को दिखाते है। जैसे श्री राम ने रावण के ऊपर जीत पायी थी। ठीक इसी तरह लोग इस रीत को निभाते हुए विजयदशमी के दिन रावण के पुतले जलाते हैं। लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ। पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा 25 अक्टूबर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले को जलाने की तस्वीर सामने आयी। जिसे की रावण की जगह किसानों द्वारा दहन करने के लिए बनाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले के साथ -साथ किसानों ने गौतम अडानी और अम्बानी के भी पुतले जलाये। कहीं-कहीं अमित शाह के पुतले भी जलाये गए।
भारतीय किसान यूनियन के महासचिव जगमोहन सिंह ने बताया कि पंजाब-हरियाणा राज्य में कई स्थानों पर किसानों ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री के पुतले जलाये हैं। जम्हूरी किसान सभा के महासचिव कुलवंत सिंह संधू ने बताया कि उनके संगठन ने जालंधर के फिल्लौर और आदमपुर में पुतले जलाये हैं।
किसानों ने क्यों जलाये प्रधानमंत्री सहित अम्बानी-अडानी के पुतले ?
सरकार द्वारा पारित किये गए तीन कृषि विधेयकों के खिलाफ नामंजूरगी और विरोध जताते हुए किसानों ने पुतले जलाये। इसी साल जून 2020 में केंद्र सरकार द्वारा कृषि विधेयकों को पारित किया गया था। पारित होने के बाद से ही पंजाब-हरियाणा के किसानो द्वारा विधेयक को वापिस लेने के लिए प्रदर्शन किए जा रहे थे। जिसमें रेल-रोको आंदोलन और भारत-बंद प्रदर्शन शामिल है। लगभग एक महीने से किसानों द्वारा विधेयक को लेकर आंदोलन किया जा रहा है। लेकिन सरकार उन्हें हर बार हताश कर रही है। जिसकी वजह से मज़बूरन किसान इस तरह से विरोध प्रकट कर रहे हैं। यहां तक की किसानों ने विधेयक को वापिस लेने के लिए भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी भी की।
मोलिटिक्स नाम के यूजर ने बनाया दहन का वीडियो
जब पंजाब-हरियाणा के किसानो द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अम्बानी-अडानी के चेहरे लगे पुतले को जलाया जा रहा था तभी एक मोलिटिक्स नाम के ट्विटर यूजर ने दहन का वीडियो बनाया और अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट कर दिया। किसानो द्वारा यह आरोप लगाया जा रहा था कि सरकार उन्हें बंधुवा मज़दूर बनाना चाहती है। वह मध्यस्थता ( बिचौलिए ) प्रथा को खत्म करके अनाज सीधे तौर पर पूंजीपतियों को सौंपना चाहती है। किसानों को डर है कि विधेयक के आने से उन्हें उनके अनाज का न्यूनतम मूल्य भी नहीं मिलेगा और सारा फायदा सिर्फ बड़े उद्योगपतियों को होगा। किसानों ने कृषि विधेयक को ” काला कानून” कहा।
पंजाब-हरियाणा के किसानों का आरोप है कि मोदी सरकार अंबानी-अडानी के साथ मिलकर उन्हें बंधुवा मजदूर बनाने पर तुली है। बिचौलिया खत्म करने की बात कहकर वह अनाज पूंजीपतियों के हाथ सौंपना चाहती है। किसान नाराज हैं।@narendramodi #Dusshera2020 #Dussehra #FarmProtests #FarmLaws #Molitics pic.twitter.com/EjcS5f5oRw
— Molitics (@moliticsindia) October 25, 2020
कांग्रेस, एनएसयूआई के छात्र नेताओं ने भी जलाया मोदी सरकार का पुतला
पंजाब-हरियाणा के किसानों के बाद कांग्रेस के एनएसयूआई के छात्रों और किसानो ने भी दशहरे के दिन मोदी सरकार के पुतले जलाये। इसके दौरान एक युवा छात्र ने कहा कि चुनाव के वक़्त तो मोदी सरकार ने कई लुभावने वादे किये थे। जिसमें से उनकी सरकार द्वारा एक भी वादे को पूरा नहीं किया गया। विरोध करने वाले छात्रों और किसानों ने प्रधानमंत्री मोदी के अलावा भी 10 लोगों के पोस्टर पुतले पर लगाए थे। इसमें यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन सिंह और चंडीगढ़ से बीजेपी सांसद किरण खेर के साथ कई अन्य बीजेपी के दिग्गज नेताओं के फोटो रावण के 10 सिरों की जगह लगाए गए थें।
दशहरे का त्यौहार सत्य की असत्य पर जीत के लिए मनाया जाता हैं। और मोदी से बड़ा असत्यवादी कोई नहीं हैं। अहंकार में डूबा तानाशाह रावण जनता को बर्बाद करने में लगा हैं इसलिए कल NSUI PU चंडीगढ़ के साथियों ने अहंकारी और असत्याग्रही सरकार का पुतला दहन किया। pic.twitter.com/d81qG6lhUi
— NSUI (@nsui) October 26, 2020
जे पी नड्डा ने प्रधानमंत्री के पुतले जलाने पर जतायी नाराज़गी
सोमवार 26 अक्टूबर को बीजेपी के राष्ट्रिय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने पंजाब-हरियाणा में नरेंद्र मोदी के पुतले जलाने पर आपत्ति जतायी। साथ ही वह कांग्रेस के राहुल गाँधी पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि यह सब ड्रामा राहुल गाँधी के निर्देश पर ही हो रहा है। वह यह भी कहते हैं कि राहुल गाँधी और नेहरू परिवार ने कभी भी प्रधानमंत्री कार्यालय का आदर नहीं किया है।
राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी ने जताया दुःख
जे पी नड्डा के आरोप से बिलकुल अलग राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी ने भी प्रधानमंत्री के पुतले जलाये जाने पर दुःख जताया है। राहुल गाँधी का घटना को लेकर कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पंजाब के किसानों से बात करनी चाहिए और उनके गुस्से को कम करने की कोशिश करनी चाहिए। जो भी हुआ वह देश के लिए सही नहीं है।
This happened all over Punjab yesterday. It’s sad that Punjab is feeling such anger towards PM.
This is a very dangerous precedent and is bad for our country.
PM should reach out, listen and give a healing touch quickly. pic.twitter.com/XvH6f7Vtht
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 26, 2020
पंजाब-हरियाणा के किसानों और छात्रों द्वारा देश के प्रधानमंत्री का पुतला जलाना और वह भी रावण की जगह बहुत गंभीर बात है। किसानों ने पुतले को जलाने के पीछे केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि विधेयक को बताया। जिसके खिलाफ पूरे देश के किसानों के द्वारा अभी भी विरोध किया जा रहा है और लोगों द्वारा विधेयक को बिलकुल भी अपनाया नहीं गया है। सरकार ने देश के किसानों को इतना ज़्यादा मज़बूर कर दिया की उन्हें प्रधानमंत्री का पुतला जलाना पड़ा। जब किसानो द्वारा शुरू से ही विधेयक को स्वीकारा नहीं गया तो क्या प्रधानमंत्री को देश के किसानों से सीधी बात नहीं करनी चाहिए ? एक तरफ किसानो को अन्नदाता का दर्ज़ा देते हैं और वहीं दूसरी तरफ उनके विरोध और उनके असंतोष जताने को, सरकार द्वारा कोई मायने तक नहीं दिए जा रहे।