हमारा भारत देश कल्चर से भरा हुआ है। देश के खंड-खंड में अलग-अलग कल्चर है, और यह कल्चर विदेशों तक में जाने जाते हैं। होली दिवाली ईद,जो एकता का प्रतीक भी माना जाता है। होली हमारे देश में बहुत धूमधाम से हिंदू धर्म में बनाया जाता है। इस त्यौहार में हिन्दू-मुस्लिम एक दूसरे से गले मिलते हैं, रंग गुलाल खेलते हैं। इस त्यौहार को एकता का नाम दिया जाता है लेकिन यह कैसा त्यौहार है जहां लोग इतनी खुशियां मना रहे होते हैं?
एक दूसरे को गुजिया खिलाकर मुंह मीठा करते हैं वही इस त्यौहार पर इतनी अश्लीलता क्यों? होली के आड़ में महिलाओं के साथ छेड़छाड़, रंग में छुपे चेहरे शराब में धुत लोग रंग लगाने के बहाने से रिश्ते की आड़ में रंग लगाते समय महिलाओं के शरीर में कहां-कहां उनका हाथ जाता है यह उनको याद भी नहीं रहता।
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कहा जाता है यह पर्व हमारा कल्चर है। हमें एक दूसरे से मिलने का मौका देता है। त्योहारों के बहाने हम एक दूसरे के घर जाते हैं। मन में जो गिले-शिकवे होते हैं वह सब भूल कर एक-दूसरे को गले लगते हैं लेकिन यह कैसा त्यौहार? कैसा महापर्व है जो अश्लीलता फैलाता है? होली जैसे पवित्र त्यौहार में लोग शराब पीकर, भांग पीकर नशे में धुत होकर बहन बेटियों को भूल जाते हैं। रिश्ते के नाम पर अश्लीलता करते हैं। महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करते हैं और फिर नाम दे देते हैं होली का बुरा ना मानो होली है यह अच्छा कह देते हैं कुछ भी करें पर होली है। कुछ कहो नहीं अपने साथ हो रही अश्लीलता पर महिलाएं आवाज भी ना उठाएं। एक बार के नाम पर अश्लीलता फैलाने का काम किसने सौंप दिया। इन पुरुषों को क्या यह भी हमारे पर्व का हिस्सा है?
होली के समय शराब की बिक्री पांच गुना बढ़ जाती है। होली के दिन छेड़छाड़, लड़ाई-झगड़े जैसी कितनी खबरें सुनने-देखने को मिलती हैं। जो महापुरुष धर्म के ठेकेदार, समाज के ठेकेदार, महिलाओं पर रूढ़ीवादी सोच आज महिलाओं पर लागू करते हैं। धर्म का पाठ पढ़ाते हैं। क्या ऐसी हरकत अश्लीलता के लिए कोई रोक नहीं? क्या ये महापर्व में रंग में संग नहीं कर रहे? कुछ ऐसे मनचले और नाम दे देते हैं, त्यौहार है होली का।
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