खुशबू का आरोप है कि,”जबसे यूपी के ज्योति मौर्य का केस सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा, मेरे पति भी मज़ाक-माज़क में ही कहने लगे, अब नहीं पढ़ाना है। ज्योति मौर्य जैसा मेरे घर में भी न हो जाए। ये मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता।
ज्योति मौर्य से संबंधित मामले को पूरा समाज अपनी रूढ़िवादी सोच का चश्मा लगाए गिद्द की तरह बड़े मज़े से देख रहा है और ताने कस रहा है। इतना ही नहीं क्योंकि ज्योति मौर्य एक महिला है तो इसमें सारी महिलाओं को घेरे में लेते हुए फिर से वही बेड़ियां पहनाने की कोशिश की जा रही है जो महिलाओं ने दशकों लड़ाई लड़ने के बाद तोड़ी है।
बिहार के बक्सर जिले के मोरार थाना क्षेत्र के चौगाई गांव में 5 जुलाई 2023 को एक मामला थाने पहुंचा जो ज्योति मौर्य के मामले से संबंधित था। खबर लहरिया को मोरार थाने के अध्यक्ष रविकांत प्रसाद ने बताया कि चौगाई गांव की रहने वाली खुशबू नाम की महिला 5 जुलाई को थाने आई। उसके पति पिंटू पर उसकी पढ़ाई रुकवाने का आरोप था जो यूपी के ज्योति मौर्य केस की वजह से वायरल हो रहा है। इस मामले की वजह से उसके पति ने उसकी पढ़ाई रुकवा दी।
आगे बताया, खुशबू ने कहा कि, ‘अगर मैं यह बात समाज-परिवार के सामने रखती तो लोग मुझे ही गलत साबित करते ज्योति मौर्य को जोड़कर। अब सारी शादीशुदा महिलाओं पर कमेंट किये जा रहे हैं। मैंने अपनी बात थाने में रखना ज़्यादा सही समझा। यहां मेरे पति को समझाया जाएगा। मैनें घर में पहले आपस में इस बात को सुलझाने की कोशिश की थी लेकिन जब मेरे पति नहीं माने तो मुझे थाने तक आना पड़ा। उन्होंने हम दोनों पति-पत्नी को समझा दिया। पिंटू अपनी पत्नी की पढ़ाई आगे ज़ारी रखने में सहयोग करेंगे। ”
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समाज के दोहरे रूप से महिलाओं के भविष्य पर हो रहा असर
खुशबू का आरोप है कि,”जबसे यूपी के ज्योति मौर्य का केस सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा, मेरे पति भी मज़ाक-माज़क में ही कहने लगे, अब नहीं पढ़ाना है। ज्योति मौर्य जैसा मेरे घर में भी न हो जाए। ये मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता।
आगे कहा, सोशल मीडिया वालों को जैसे ज्योति मौर्य केस से महिलाओं के चरित्र और उंगली उठाने का लाइसेंस मिल गया हो, किसी ने उनसे बात नहीं कि क्या कारण है। जाने बिना ही कुछ भी लिख रहे हैं, मीम बनाकर पोस्ट कर रहे हैं। सभी महिलाओं के बारे में बोल रहे हैं बिना सोचे-समझे। जिन महिलाओं ने शादी के बाद से पति के स्पोर्ट से अपनी पढ़ाई ज़ारी रखी हुई है उसमें पति के साथ-साथ महिला की मेहनत व लगन भी होती है। बहुत सारी चुनौती का सामना करना पड़ता है।
आगे कहा, सोशल मीडिया और बड़े-बड़े चैनल एक तरफा खबर चलाकर हम जैसी महिलाओं का भविष्य खराब कर रहे हैं।
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पति का मामले को लेकर जवाब स्पष्ट नहीं
हमने इस बारे में खुशबू के पति पिंटू से बात की। उनका कहना था कि, “जिस तरह से ज्योति मौर्य ने किया है इसके बाद से हर उस पति को डर तो लगेगा ही कि आगे कैसे पढ़ाएंगे। मुझे जितना बोलना था बोल चुका हूँ। मैं अभी और कुछ नहीं कहना चाहता। मुझे समझाया है एसपी ने, थाना अध्यक्ष ने। उसके बाद अभी भी मैं निर्णय पर नहीं हूँ, वख्त आने पर मैं बोलूंगा।”
93 महिलाओं की पतियों ने रोकी पढ़ाई
टाइम्स नाउ हिंदी की प्रकाशित के अनुसार, बिहार के खान सर ने अपने दिए एक बयान में दावा करते हुए कहा कि ज्योति मौर्य विवाद की वजह से उनके कोचिंग के बीपीएससी बैच की 93 महिलाओं ने कोचिंग छोड़ दी। सभी के पतियों ने ज्योति मौर्य मामले का हवाला दिया और अपनी पत्नी के नाम कटवा दिए।
महिलाओं से उनकी आज़ादी, उनके शिक्षा का अधिकार छीना जा रहा है क्यों? क्योंकि पुरुष प्रधान कहे जाने वाले समाज को ऐसा लगता है कि जिस तरह से ज्योति मौर्य ने शादीशुदा होकर शिक्षा प्राप्त करने के बाद अपनी मर्ज़ी से अपने साथी का चुनाव किया तो कहीं उनकी पत्नियां, महिलाएं भी अगर शिक्षा प्राप्त करेंगी तो वह भी अपनी मर्ज़ी से चुनाव करना सीख जाएंगी।
इस पितृसत्ता वाले दकियानूसी समाज ने फिर अपनी चाल चली और महिलाओं को फिर चारदीवारी में बंद करने के लिए ज्योति मौर्य के मामले को ऐसे पेश किया मानों उसने कोई बहुत बड़ा गुनाह किया हो। पुरुष प्रधान कहे जाने वाले समाज में अगर पति का किसी से गैर-संबंध हो, वह शादी के बाद अपनी पत्नी की जगह किसी और का चुनाव करे, उसकी दो बीवियां हो तो भी समाज में वह या ऐसे मामले देश के सभी पुरुषों को गुनहगार नहीं बनाते हैं पर हाँ महिलाओं को ज़रूर से बनाते हैं क्योंकि सत्ता तो पुरुषों की है, हाँ न? इस पुरुष प्रधान समाज को शायद डर लगता है कि कहीं महिलाएं उनकी यह सत्ता पूरी तरह से गिरा ना दे?
यह मामला पूरे देश में हवा की रफ़्तार से फ़ैल चुका है और इसका असर भी देखने को मिल रहा है। पुरुष प्रधान समाज ने जो अपनी सोच की बिसात बिछाई है, वह अब महिलाओं को जकड़ने की कोशिश में लगा हुआ है।
यह मामला पुरुष प्रधान समाज का उदाहरण देता हुआ एक और अन्य मामला है। पुरुष प्रधान की दोगलेबाज़ी की भी कोई सीमा नहीं है। उन पर बात आती है तो वह एक व्यक्ति या पुरुष तक ही सीमित रहती है जिसे कुछ समय बाद समाज हँसते हुए भुला भी देता है। वहीं अगर महिलाओं से जुड़ा हुआ ऐसा कोई मामला हो तो वह सभी से जुड़ जाता है। पुरुष प्रधान कहा जाने वाला ये समाज डरपोक और दोगला नहीं तो और क्या है?
इस खबर की रिपोर्टिंग नाज़नी रिज़वी द्वारा की गई है।
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