चुनाव आते देख सभी पार्टियों ने सीट जीतने की तैयारी में हैं। लोगों के बीच जाकर मदाताओं को रिझाने का काम कर रही हैं। कभी महिलाओं के लिए तो कभी पुरुषों के लिए तो कभी दलित अल्पसंख्यक और कहीं राठौर समुदाय के नाम पर कार्यक्रम आयोजित मतदाताओं को अपने पाले लाने की कोशिश कर रहे हैं। लोग जुड़ तो रहे हैं आदर सत्कार में कमी भी नहीं कर रहे लेकिन जनता किसे वोट करेगी उसके मन को टटोलना किसी के बस की बात नहीं।
महोबा की कांग्रेस से महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष मामा भारती ने 31 अक्टूबर को एक कार्यक्रम कर महिलाओं की समस्याओं को सुना और उन पर ठोस कार्यवाही करने की बात कह कर महिलाओं का भरोसा जीतने की कोशिश की। महिलाओं ने भी उनके इस भरोसे पर हां में हां मिला लिया।
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इसी तरह से बनारस में 22 अक्टूबर को अपना दल ने किसानों के पक्ष में ट्रैक्टर रैली निकाली। अपना दल पार्टी की राष्ट्रीय नेता पल्लवी पटेल कह रही थीं कि वह उन लोगों के साथ हैं जो असल में कमज़ोर हैं, मजदूर हैं, किसान है, शूद्र है। वह उनके लिए काम करेंगी। क्या यह पार्टी पहली बार सत्ता में आ रही है या इस पार्टी के रोल से लोग अनजान हैं?
बनारस में ही समाजवादी पार्टी ने 19 अक्टूबर को साहू राठौर महासभा के नाम पर कार्यक्रम किया। और मूलभूत सुविधा जैसे पानी, बिजली, सड़क, शिक्षा और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर काम करने की बात कर रहे हैं। पार्टी जिलाध्यक्ष अजय चौधरी कहते हैं कि पढ़े लिखे लोग ठेला लगा रहे हैं। तो फिर हमारा भी पार्टी से एक सवाल करना तो बनता ही है कि जब चुनाव आते हैं तभी ये बातें क्यों होती हैं?
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