पन्ना जिले के ग्राम पंचायत मनकी में रहने वाले आदिवासी परिवार सरकार द्वारा चलाई जा रही अधिकतर योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। उन्हें नहीं पता कि वह योजना का लाभ किस प्रकार ले सकते हैं।
मध्य प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान एवं उनके मंत्री बड़ी-बड़ी जनसभाओं में चाहें कितने भी जुमले फेंकती हो कि मौजूदा भाजपा सरकार और उनके प्रशासनिक अधिकारी गरीबों को योजनाओं का लाभ पहुंचा रहे हैं। लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त कितनी है यह जनता और सरकार दोनों ही बेहतर जानती है।
आपको बता दें कि पन्ना जिला के मुख्यालय से लगभग 8 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत मनकी जनपद पंचायत के आदिवासी टोली के लोगों को अभी तक प्रधानमंत्री आवास उपलब्ध नहीं हो पाए हैं। न ही उन्हें किसी अन्य योजना का लाभ मिला है। गरीब परिवार कच्ची झोपड़ी बनाकर अपना गुज़र बसर कर रहे हैं।
बारिश के समय में कच्चे आशियाने गिरकर धाराशायी होकर गिर जाते हैं। हर साल वह अपना आशियाना बनाते हैं और बरसात उसे उजाड़ देती है। ऐसा नहीं है कि इस गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ शासन द्वारा रोका गया है। सच यह है कि ज़मीनी स्तर पर गरीबों को ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव रोज़गार द्वारा सटीक जानकारी नहीं दी गयी है। जिसकी वजह से गरीब आदिवासियों को एक भी पक्का आवास उपलब्ध नहीं हो पाया है।
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वृद्धा पेंशन और आवास को लेकर क्या कहतें हैं आदिवासी?
खबर लहरिया ने ग्राम पंचायत मनकी में रहने वाले आदिवासी लोगों से बात की। आदिवासी मज़दूर मुन्ना ने बताया कि उसके गांव में वृद्ध लोगों को भी वृद्धा पेंशन नहीं दिया गया है। कारण यह है कि अधिकतर आदिवासी परिवार शिक्षा की पहुंच से काफी दूर हैं इसलिए वह अपने अधिकारों को समझ नहीं पा रहे हैं।
इसके अलावा सरकार द्वारा ग्राम पंचायत स्तर पर रोज़गार सहायक सचिव एवं पंचायत सचिव तथा पंचायत समन्वयक को गांव में तैनात किया गया है। जिनके द्वारा पात्र लोगों का चयन कर प्रधानमंत्री आवास की सूची ज़ारी की जाती है। लेकिन यहां पर जो भी कर्मचारी शासन के पदस्थ हैं उनके द्वारा इन गरीब आदिवासियों को लेकर कोई भी मान्यता नहीं दिखाई गई है।
संबल योजना के लाभ के नाम पर कर्मचारी लूटते हैं पैसे
ग्रामवासियों ने बताया कि जब लोगों की मृत्यु होती है तब वहां पर संबल योजना का प्रतिवेदन तैयार करने में ग्राम पंचायत के ही कर्मचारी द्वारा 20 हज़ार खर्च के रूप में मांगे जाते हैं। आपको बता दें, अभी तक लगभग आधा दर्जन लोगों से संबल योजना द्वारा दो-दो लाख का भुगतान कराया गया है।
इस योजना की शुरुआत सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा 4 मई को शुरू की गयी थी। योजना का उद्देश्य श्रमिक परिवारों को आर्थिक मदद प्रदान करना था। इसके तहत श्रमिकों की दुर्घटना में मृत्यु के बाद उनके परिवार को 4 लाख रुपए तक की राशि श्रम विभाग द्वारा दी जाती है। सामान्य मृत्यु व अपंगता की स्थिति में श्रमिक के परिवार को दो लाख रुपए दिए जाते हैं। वहीं आंशिक अपंगता होने की स्थिति में 1 लाख रुपए समेत अंत्येष्टि मदद के रूप में 5 हजार रुपए मुख्यमंत्री संबल योजना के तहत दिए जाते हैं।
लेकिन अगर यहां देखा जाए तो लोगों ने यह साफ़ तौर पर बताया कि योजना के लाभ के लिए पहले उन्हें कर्मचारियों को पैसे देने पड़ते हैं। फिर ऐसी योजना का क्या लाभ जो ग्रामीणों को पैसों के बदले दी जा रही हैं? इसमें उन्हें कौन-सी आर्थिक सहायता मिल रही है ? अगर उनके पास पैसे होते तो उन्हें योजना की ज़रुरत ही नहीं होती। योजना के नाम पर यहां आदिवासी लोगों को कर्मचारियों द्वारा लूटा जा रहा है।
आदिवासी ग्रामवासी कहते हैं किअगर जिला प्रशासन के अधिकारी मौके पर लोगों से पूछताछ करें और खुले मंच पर चौपाल लगाकर उनकी समस्याएं सुने तो वह अधिकारियों के सामने अपनी समस्या को बेख़ौफ़ होकर रख सकते हैं। हमने अपनी रिपोर्टिंग के दौरान यह पाया कि ज़िम्मेदार अधिकारीयों द्वारा आदिवासी ग्रामवासियों की समस्याओं को नहीं सुना जाता। न ही उन्हें शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। सिर्फ ग्राम में खाद्य सामग्री समय से वितरण की जाती है।
बच्चे हैं शिक्षा से वंचित
गांव में भुखमरी और अशिक्षा की वजह से आज भी मजदूरों के लगभग 50% बच्चे विद्यालय नहीं जा पाते हैं। 8 वीं तक विद्यालय होने के बावजूद कई बच्चे आठवीं तक भी अध्ययन नहीं कर पा रहे हैं। जिसको लेकर पन्ना जिले के वरिष्ठ पत्रकार समाजसेवी राम बिहारी गोस्वामी द्वारा ग्राम वासियों के बीच पहुंचकर उनकी समस्याओं को सुना गया। उनकी आवाज़ को उठाने हेतु शासन-प्रशासन तक ध्यान आकर्षित कराने के लिए आश्वासन भी दिया गया।
क्या कहना है समाजसेवी का?
गांव में आदिवासी गरीब मजदूरों को उनका हक ना मिलने पर समाजसेवी राम बिहारी गोस्वामी द्वारा कहा गया है कि उनकी आवाज़ को वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा। गरीबों को न्याय दिलाने हेतु समाचार पत्रों के माध्यम से उनकी लड़ाई को लड़ा जाएगा। ज़रुरत पड़ने पर आदिवासी समुदाय के साथ उनके हक की लड़ाई के लिए बड़ा आंदोलन किया जाएगा। लेकिन सवाल है कब?
लाभ कैसे लें, जब योजनाओं का ही पता नहीं
आदिवासी राजू गौड़ ने बताया कि उसके गांव में ग्राम सभा तो लगती है पर उसका कोई निश्चित समय नहीं रहता है। ना ही किसी भी प्रकार की कोई सुनवाई होती है। उन्हें नहीं पता की गांव में कौन सी योजनाएं चल रही हैं। उनका कैसे लाभ लेना है। उन्हें किसी भी सुविधा की जानकारी नहीं रहती। इसलिए वह किसी भी चीज़ का लाभ नहीं ले पाते।
वह आगे कहते हैं कि गाँव में कोई भी पूछने नहीं आता। बरसात के समय आवास को लेकर काफ़ी समस्या आती है। कभी-कभी लोगों को रात को सोने के लिए भी जगह नहीं मिलती। घर मिट्टी और खपरैल के बने होते हैं और ज़्यादा बारिश होने पर घर में पानी टपकता रहता है।
जबकि हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह पन्ना जिले के विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह के पास का ही गांव हैं। लेकिन फिर भी यहां अनदेखी चल रही है। जब यहां के जिम्मेदार अधिकारियों को कॉल किया जाता है तो कोई भी फोन नहीं उठाता।
योजनाओं को लेकर यह है सचिव का कहना
खबर लहरिया ने योजनाओं से संबंधित जानकारी लेने के लिए मनकी ग्राम पंचायत के सचिव खूब लाल से बात की। वह कहते हैं कि जब 2011 में जनगणना हुई थी तब बहुत लापरवाही की गई थी। जिसकी वजह से किसी का नाम आवास की सूची में नहीं आ रहा है। अब लोगों के नाम जोड़ दिए गए हैं। सर्वे के अनुसार 10 लोगों के ही नाम सामने आये हैं जिनको आवास का लाभ मिल चुका है।
वह आगे कहते हैं कि साल 2018 में मोबाइल एप्स के द्वारा सर्वे कराया गया था। सर्वे की लिस्ट अभी तक नहीं आई है। जब लिस्ट आ जाएगी तो लिस्ट में नाम आए हुए लोगों को आवास दे दिए जाएंगे। वैसे अगर सचिव की मानो तो उन्होंने बताया कि सारा गांव ही आवास के लिए पात्र है। बस आवास के लिए सूची ज़ारी नहीं हुई है। सवाल यह है कि जब सचिव खुद कह रहे हैं कि सारा गाँव आवास का पात्र है तो उनके नाम सूची में क्यों नहीं हैं? उन्हें आवास के लिए इतना लंबा इंतज़ार क्यों करना पड़ रहा है?
हमने सचिव से गाँव में चल रही संबल योजना और वृद्धा पेंशन योजना के बारे में भी पूछा। जिसे लेकर वह कहते हैं कि संबल योजना का कार्ड जिन लोगों ने बनवाए थे उन लोगों को लाभ मिलता है। अभी तक 4 लोगों को लाभ मिल चुका है। वह आगे कहते हैं कि वृद्धा पेंशन गांव में अधिकतर लोगों को मिल रही है। अभी इस वर्ष जो लोग पात्र हुए हैं उनका रिकॉर्ड उन्हें नहीं मिला है। जब सारा रिकॉर्ड मिल जाएगा तो वह वृद्धा पेंशन की गतिविधि को पूरा कर देंगे।
सचिव द्वारा यहां पर संबल योजना के नाम पर कर्मचारियों द्वारा लोगों से हज़ारों रूपये वसूलने को लेकर कोई भी बयान नहीं दिया गया। वहीं अगर सचिव के अनुसार बुज़ुर्गों को वृद्धा पेंशन मिल रहा है तो लोग मना क्यों कर रहे हैं? इसका मतलब तो यही है कि पात्र सभी बुज़ुर्गो को योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। साथ ही लोगों को चल रही योजनाओं तक की भी पूरी जानकारी नहीं है तो ऐसे में वह योजना का लाभ कैसे ले सकते हैं? यहां तक की लोगों के अनुसार कोई अधिकारी भी उन्हें योजनाओं के बारे में नहीं बताता। साथ ही आदिवासी परिवारों के बच्चों शिक्षा से भी वंचित है जो की ग्राम पंचायत मनकी में विकास की समस्या को पूर्ण तौर पर दर्शाता है।
इस खबर की रिपोर्टिंग अनीता शाक्या द्वारा की गयी है।
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