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पन्ना: कुपोषण के कब्जे में किशोरी बालिकाओं का भविष्य

कोरोना महामारी के इस दौर में ऐसी बहुत सी बीमारियां हैं, जो आज भी मानव जीवन को धीरे धीरे अपना शिकार बना रही हैं। लेकिन उसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। इन्हीं में एक कुपोषण भी है, जो युवाओं विशेषकर किशोरी बालिकाओं में काफी पाया जा रहा है। इसका नकारात्मक प्रभाव आने वाली पीढ़ी के स्वास्थ्य पर देखने को मिलेगा। शरीर के लिए आवश्यक संतुलित आहार लम्बे समय तक नहीं मिलना ही कुपोषण है। इसके कारण बालिकाओं और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिससे वह आसानी से कई तरह की बीमारियों की शिकार बन जाती हैं। हमने पन्ना जिले से किशोरियों के स्वास्थ्य पर कवरेज किया आइये देखते हैं।

पन्ना जिले के ब्लॉक अजयगढ़ तहसील में जब आंगनबाड़ी केंद्रों से कुपोषित किशोरी श्री देवी जिनकी आयु 16 साल है। यह ग्राम पंचायत कुंवरपुर की निवासी इनके द्वारा बताया गया कि इनका वजन 24 किलो है लेकिन वही जब हमारी बात जबकि कुंवरपुर मैं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता रामदेवी से बात हुई है तो उन्होंने बताया कि 16 से 17 वर्ष तक की आयु की किशोरियों का भजन 30 से 35 केजी होना चाहिए।

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अनीता आशा कार्यकर्ता से बात हुई है उन्होंने बताया कि वैसे तो किशोरिया सभी ठीक है लेकिन कभी-कभी कोई लड़कियां कमजोर हो जाती हैं तो उनके लिए एनीमिया की टैबलेट दी जाती है और अच्छे पौष्टिक आहार खाने के लिए बोला जाता है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अजयगढ़ के फूलचंद्र द्वारा बताया गया कि कुपोषित बच्चियों का टारगेट इनके द्वारा देखा जाता है और इनके द्वारा कार्यक्रम भी किए जाते हैं। स्कूलों में और आंगनवाड़ी केंद्रों में एनीमिया की गोली पहुंचाए जाते हैं और एचआईवी की जांच की जाती है। अगर कोई किशोरी कमजोर दिखती है तो उसके लिए डॉक्टर से सलाह लेकर ब्लड डलवाया जाता है और अगर यहां व्यवस्था नहीं होती है तो जिला रेफर कर दिया जाता है।

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