हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ माह चल रहा है और आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में जो एकादशी मनाई जाती है वह बहुत खास होती है जिसमें लोग खुले आसमान के नीचे अपने कुल देवता की पूजा करते हैं| पन्ना जिले में यह त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा है| यहाँ आषाढ़ गकरियां खाने की प्रथा कई सालों से चली आ रही है| लोगों के अनुसार इस प्रथा में कंडे की आंच पर बनी रोटी को घी और गुड़ के साथ खाते हैं| खुले आसमान के नीचे एक साथ बैठकर खाने का मज़ा ही कुछ और है। स्वास्थ्यवर्धक भी है
एकादशी के दिन पूरे गाँव के घर की महिलाएं और बहू बेटियां एक साथ देव स्थानों पर पूजा करने जाती हैं सब एक तरह के भोजन बनाती हैं और कुलदेवता को भोग लगाया जाता है| पूजा के साथ-साथ महिलाएं गीत भी गाती हैं| पूजा के बाद जो खास बात है वो ये हैं की देवस्थान से कुलदेवता को भोग लगाने के बाद बिना खुद भोजन किये नहीं जाया जाता |
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चाहे एक ही निवाला खाओ लेकिन देव स्थान पर सब खाकर ही जाते हैं| कैसा भी हो पर देव स्थान के भोजन का स्वाद ही अलग होता है|
यहाँ के लोगों के अनुसार इस पूजा का मुख्य कारण यह है कि किसान अपने हिसाब से भगवान को मनाने के लिए अपने घर से अपना डेरा बांधके किसी भी देव स्थान पर जाते थे| और वहां खाना बनाकर खाते थे सब लोग इकट्ठे होते थे ताकि भगवान को मना सके| और भगवान से प्रार्थना करते थे कि भगवान पानी अच्छा बरसे, हमारी फसल अच्छी हो ताकि उनके बीवी बच्चे अच्छे से रह सके| और उनको अपने गांव से कहीं बाहर न जाना पड़े| और ये परम्परा आज भी बरकरार है|
पन्ना से खबर लहरिया रिपोर्टर अनीता ने इस त्यौहार की पूरी कवरेज की है वो की आप यहाँ देख सकते है
ललिता, खबर लहरिया प्रोड्यूसर