जहां एक तरफ सहकारी द्वारा बनाई गई सांची दुग्ध संघ के उद्देश्यों में किसानों का हित शामिल था और इसी उद्देश्य के साथ सांची दूध डेयरी खोली गई थी कि इससे किसानों के आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, उन्हें अपनी भैंसों के दूध उत्पादन का फायदा अच्छे रेट पर मिल सकेगा, तो वहीं दूसरी तरफ पन्ना ज़िले के अजयगढ़ ब्लॉक में इसका ठीक उलटा नजारा देखने को मिल रहा है। अजयगढ़ के कुँवरपुर गाँव में रह रहे किसानों का कहना है कि डेयरी में उनका दूध फैट के हिसाब से कम रेट में लिया जाता है जिससे उनको घाटा होता है और इसी कारण अब वो बाहर फुटकर में दूध बेचने को मजबूर हैं।
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पन्ना जिले की ब्लॉक अजयगढ़ तहसील में मौजूद सांची दूध डेरी कोरोना काल के दौरान लगे लॉकडाउन में बंद रही, जिससे गाँव में भैंस पाल कर दूध बेचने का व्यापार कर रहे ग्रामीणों को काफी दिक्कत हुई। लेकिन अब जब डेरी खुल भी गई है, तो लोग दूध डेरी में बेचने के बजाय बाहर फुटकर में बेच रहे हैं। लोगों का कहना है कि दूध डेरी में फैट के हिसाब से पैसे दिए जाते हैं और यह लोग तो दूध अच्छा देते हैं लेकिन इनसे कहा जाता है कि दूध में मिलावट है, जिसके कारण इन्हें पैसे भी कम मिलते हैं।
कुछ लोगों द्वारा यह भी बताया गया कि कभी-कभी पैसे रूक भी जाते हैं, जिसके कारण इन लोगों ने सरकारी दूध देना बंद कर दिया है और जानकारी के अनुसार यह भी पता चला कि ब्लॉक अजय गढ़ में 65 समितियां हैं जिसमें से 24 समितियां नहीं चालू हैं और बाकी बंद कर दी गई हैं।
सांची दूध डेरी के फील्ड ऑफिसर धीरेन्द्र कुमार मिश्रा का कहना है कि लॉकडाउन के बाद से किसानों ने प्राइवेट दूध डेरियों में दूध बेचने शुरू कर दिया है क्यूंकि वहां उन्हें ज़्यादा मुनाफा मिलता है, लेकिन अब जब डेरी खुल गई तो सभी लोगों को पूरा मुनाफा दिया जाएगा।
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