पन्ना जिले के आदिवासी बस्तियों में वहां के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्वच्छता की अलख जगाने का जिम्मा उठाया हैl जिसके लिए उन्होंने लोगों को स्वच्छता किट भी बांटी हैंl गाँव घर साफ़ सुथरा रहे इसके लिए बस्ती के लोगों में स्वच्छ घर प्रतियोगिता भी रखी हैl
पन्ना जिले के चांदमारी आदिवासी बस्ती में समाजसेवियों द्वारा 36 आदिवासी परिवारों को स्वच्छता किट वितरित कर स्वच्छता से स्वास्थ्य का संदेश दिया गयाl जिस प्रकार गांव में गंदगी फैली रहती है और महामारी का खतरा एवं तीसरी लहर की चिंता को देखते हुए सफाई का विशेष ध्यान देने के लिए गांव वालों को प्रेरित किया गयाl
क्या-क्या हैं स्वच्छता किट में?
स्वच्छता किट में हैंडवॉश, नहाने और कपड़े धोने का साबुन, हेयर ऑयल, बॉडी ऑयल, टूथपेस्ट, ब्रश और जीभी, बड़ों और बच्चों की तौलिया, बाल्टी एवं मग, कंघा शामिल आदि सामान स्वच्छता किट में शामिल हैंl
पुरस्कार से नवाज़े जायेंगे सबसे स्वच्छ घर
हर एक परिवार को किट प्रदान कर बच्चों एवं घर की सफाई में विशेष ध्यान देने की अपील की गई और हर महीने स्वच्छता प्रतियोगिता आयोजित करने का आश्वासन दिया गया हैl जिसके तहत हर महीने के प्रथम रविवार को बस्ती के प्रत्येक घर का मुआयना किया जाएगाl 5 सबसे स्वच्छ घरों को प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ व पंचम पुरस्कार से नवाजा जाएगाl इस जागरूकता अभियान में संजय सिंह राजपूत, शैलेश विश्वकर्मा अधिवक्ता, संतोष तिवारी, गणेश विश्वकर्मा, मनीष सारास्वत, संजय रैकवार, दीपेन्द्र रजक, वीरेन्द्र सिंह सहित कई पत्रकार एवं समाजसेवी उपस्थित रहे हैंl वरिष्ठ पत्रकार संतोष तिवारी ने बस्ती को नशा मुक्त करने एवं अवैध गतिविधियों का विरोध करते हुए किसी भी प्रकार की दिक्कत आने पर सूचित करने को कहा हैl बस्ती के उत्थान के महिलाओं को जागरूक कियाl
संजय सिंह समाज सेवी ने बताया कि जिस तरह से बीमारियां बढ़ रही थी और दूसरी और कोराना महामारी की तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है उसी को देखते हुए टीम के सभी लोगों के द्वारा एक प्लेटफार्म तैयार किया गया हैl आशा कार्यकर्ता एवं पुराने कार्यकर्ताओं के सहयोग से ऐसे गांव चुने गए जहां पर काफी पिछड़े हुए लोग रहते थे उनके यहां जाकर स्थिति देखी गई और फिर वहां साफ सफाई की जानकारी देते हुए उन्हें किट दी गई हैl
चांदमारी आदिवासी बस्ती निवासी रामदेव ने बताया कि इस प्रतियोगिता का उद्देश्य यह है कि जो ग्रामवासी अधिकतर पिछड़े हुए थे और साफ-सफाई का विशेष ध्यान नहीं देते थे उनको देखते ही समाजसेवी टीम ने स्वच्छता पर सामग्री बांटी हैंl क्योंकि गांव में देखा गया था कि लोग गंदे कपड़े पहने रहते थेl खाने से पहले हाथों को नहीं धोना, सब्जी को बिना धोए बनाना, खाना बनाते समय सफाई का ध्यान ना देना, पानी को ढक कर ना रखना ऐसी बहुत ही समस्याएं देखी गई थीl इस प्रतियोगिता से लोगों के अंदर साफ़-सफाई करने की उम्मीद जागेगीl
प्रतियोगिता जीतने के लिए उत्सुक हैं लोग
स्थानीय निवासी मीना ने बताया कि इतनी अधिक महंगाई है कि साबुन निरमा बार-बार खरीदना उनके लिए संभव नहीं है क्योंकि 300 रुपया दिहाड़ी मिलती है, उसमें पेट भरना मुश्किल हो जाता हैl आज ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी ने उन लोगों को साफ-सफाई से संबंधित जानकारी दी है और साफ-सफाई के समान बांटे हैंl और मुख्य बात यह है कि यह जो प्रतियोगिता वाला सिस्टम है यह बहुत अच्छा है क्योंकि इसमें जो साफ- सफाई में विशेष ध्यान देगा और पहले से ज्यादा जिसके घर में सफाई होगी उसको पुरस्कार भी दिया जाएगाl
इस खबर की रिपोर्टिंग अनीता शाक्या द्वारा की गयी है।
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