कुमकुम — अब आज क्या खिलाओगी दीदी आप मुझे बहुत भूख लगी है कुछ अजीब सी वाली भूख है न खाने वाली न ही तेल वाली चीच का कुछ अलग सी भूख है मुझे समझ भी नहीं आ रहा मेरी जबान मेरा पेट मांग क्या रहा है
नाज़नी — सच मे कुमकुम बहुत चटोरी हो और तुम्हें देख कर लगता नहीं तुम खाने वाली हो खैर सोचती हूँ ऐसा कौन सा खाना हो जो मै तुम्हें खिलाऊ बिना तेल मसले का स्वादिष्ट भी
थोडा सोंच कर -अरे हां पनहुड्डा जानती हो बहुत मजेदार होता है चटनी के साथ अहा क्या मजेदार होता है
कुमकुम —ये क्या होता है कोई पंछी का नाम है वो खिलाओगी आप मुझे
नाजनी –नहीं यार लोग बनाते हैं घर मे बेज होता क्या डालते हैं कैसे बनाते हैं वो तो वहीं जाकर पता चलेगा
कुमकुम –सच मे नाम तो ऐसा ही लग रहा है जैसी मेरी भूख चलिए फिर चलें
बहुत भूख लगी है
हां हां चलो
रास्ते मे बात करते
नाज़नी –कुमकुम मै तुम्हारे यहां आऊंगी तो क्या स्पेशल खिलाओगी
तुम्हें पता है मै भी कम चटोरी नहीं तभी तो हम दोनो की बनती है
कुमकुम –आप जो कहे अछ्छे होटल मे अपने इलाके का मशहूर खाना खिलाऊंगी
नाज़नी –नहीं नहीं मशहूर खाने होटल वाले तो कहीं भी खा सकते हैं मुझे देसी खाना खाने मे मजा आता है जो पहले हमारे बुजुर्ग बहुत प्यार मेहनत से बनाते थे इतना प्यार मिलाते थे स्वाद दो दुगुना बढ जाता था बस वही खाने ढुढने हैं अब कोई बनना नहीं चाहता
कुमकुम — सही कहा आपने आजकल के लोग उन खानो को कहते हैं पेट खराब हो जाएगा लेकिन मिल जाता है तो चट कर जाते हैं
नाजनी — अरे हम बातो बातो मे आ गए सिध्यपुर गांव पता भी नहीं चला
आज हम फिर सुमन को परेशान करने वाले है
कुमकुम —अरे हम फिर सुमन जी के हाथों का स्वदिष्ट खाना खाएंगे वाह अब तो भूख और बढ गई सुमन जी का नाम सुन कर कितनी मेहनत से बनाती है वो खाना
कुमकुम –सुमन जी हम फिर आ गए आपके यहां आपके हाथो का स्वाद भूलता नहीं
सुमन — जो भी बोले कुछ हम बता भी देंगे
नाजनी —सुमन से गले मिलते हुए सुमन जी देखो फिर हम आ गए आपके यहां क्या करे इतना अछ्छा खाना बनाती हो बार बार आने का मन होता है
सुमन — बातों के साथ साथ काम शूरू करें क्या क्या बहुत काम है बनाते हुए बात करते हुए
नाजनी — सुमन जी कहा से सिखा इतना अछ्छा खाना बनाना मुझे भी सिखना है
सुमन जवाब देगी
कुमकुम कुछ मसाले के बारे मे पूछेगी
नाजनी कुछ हेल्प करेगी सुमन का
बेसब्री से इन्तजार वाली फिलिंग होगी दोनो चटोरी के चेहरे पर
सुमन– जी बस 10 मिनट और पनहुड्डा तैयार
नाजनी –हां हां जल्दी नहीं ये चटोरी ये सब कच्चा ही न खा ले
कुमकुम —इतनी भी बेसर्बी नहीं मै अछ्छे से पकने के बाद ही चटनी के साथ खाऊंगी
सुमन देती है पका कर खाते हुए तरीफ करते
नाजनी क्या हुआ अछ्छा नहीं है लाओ तो मत खाओ
कुमकुम — अरे नहीं मै सोंच रही थी इतना अछ्छा स्वाद मै दुबारा कैसे पाऊंगी
नाजनी — अरे ऐसे कितने खाने मै तुम्हें एक से बढ कर एक छुपे देसी खाना खिलाने वाली हू अभी हमारे बुन्देलखण्ड मे क्या क्या खाना खाया जाता है सब खिलाने वाली हू