महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने सोशल मीडिया X अकाउंट पर पोस्ट कर लिखा “लव जिहाद’, ‘लैंड जिहाद’, ‘वोट जिहाद’ और ‘गाय जिहाद’ के नाम पर बीजेपी अपनी ही मुस्लिम जनसंख्या को निशाना बना रही है, और उन्हें बदनाम करने वाली नारों का प्रचार कर रही है। वहीं, भारत—जो लोकतंत्र की जननी है—बीजेपी के तहत तालिबान, जो जिहाद का जनक है, को गले लगा रहा है।”

दिल्ली में अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस (फोटो साभार : सोशल मीडिया महबूबा मुफ्ती X अकाउंट)
भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच युद्ध जारी हैं। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार आज सुबह बुधवार 15 अक्टूबर 2025 की सुबह ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के एक सुदूर उत्तर-पश्चिमी इलाके से हमले की खबर सामने आई। यह लड़ाई पिछले गुरुवार 9 अक्टूबर को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल और सीमावर्ती प्रांत पक्तिका में हुए हमलों के बाद शुरू हुई है। तालिबान ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है, हालांकि इस्लामाबाद ने आधिकारिक तौर पर इन हमलों को स्वीकार नहीं किया है।
यह हमला हाल ही में तब हुआ जब तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी भारत की यात्रा पर आए हुए थे। तालिबान के विदेश मंत्री को सहारनपुर में दारुल उलूम देवबंद की यात्रा के दौरान तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी को गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया था। क्या यह कदम भारत और तालिबान के मजबूत की ओर इशारा तो नहीं करता? क्या भविष्य में भारत का इस पर कोई खतरा मंडरा सकता है? क्योंकि देखा जाए तो भारत और पाकिस्तान के बीच शुरू से ही सम्बन्ध सही नहीं रहे हैं और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अक्सर तालिबान के समर्थन का आरोप राजनीतिक पार्टियों और विपक्ष पर लगाते रहे हैं। अब विडम्बना यह है कि जिस राज्य की सरकार ने पहले तालिबान पर कड़ा रुख अपनाया था, अब उसी राज्य में तालिबान मंत्री का दौरा हुआ, जिससे कई राजनीतिक सवाल उठे। आप सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियो में मुख्यमंत्री योगी को कहते सुन सकते हैं।
UP police gave “guard of honour” to Taliban. https://t.co/UpMMoGbvGb pic.twitter.com/HjWsmTyj6E
— Piyush Rai (@Benarasiyaa) October 11, 2025
हालाँकि अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि मुत्तक़ी की यात्रा भारत की विदेश नीति के विस्तार का हिस्सा थी, जिसे विदेश मंत्रालय ने मंज़ूरी दी थी और जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करना और काबुल के साथ व्यापारिक संबंध बनाए रखना था।
आपको बता दें कि वर्तमान उत्तर प्रदेश में 1866 में स्थापित दारुल उलूम देवबंद, दक्षिण एशिया के सबसे प्रभावशाली इस्लामी मदरसों में से एक है।
जानकारी के मुताबिक इसकी स्थापना मौलाना मुहम्मद कासिम नानौतवी और मौलाना रशीद मुहम्मद गंगोही जैसे विद्वानों द्वारा मुस्लिम युवाओं को इस्लाम की कठोर, रूढ़िवादी समझ, जिसे देवबंदी इस्लाम के रूप में जाना जाता है। इसकी स्थापना शिक्षित करने के लिए की गई थी। यह मदरसा मूल रूप से एक उपनिवेश-विरोधी आंदोलन का हिस्सा था जिसका उद्देश्य इस्लाम को पुनर्जीवित करना और भारत में ब्रिटिश शासन का विरोध करना था। बाद में जाकर दशकों के दौरान, देवबंदी स्कूल भारत, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और दक्षिण एशिया के अन्य हिस्सों में फैल गए।
इन सब घटनाओं के बाद एक और बड़ी खबर आई वो थी भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध। जिसनें भारत के प्रति चिंता बढ़ा दी है।
भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध
जब तालिबान के विदेश मंत्री भारत यात्रा पर आए हुए थे उसी समय 11 अक्टूबर से ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव बना हुआ है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान डुरंज लाइन पर 11-12 अक्टूबर 2025 की रात अचानक से युद्ध छिड़ गया। पाकिस्तान ने 9-10 अक्टूबर को काबुल, खोस्त, जलालाबाद और पक्तिका में हवाई हमले थे, जिसका करारा जवाब अफगानिस्तान की सेना ने दिया था।
तालिबान के हमले में पाकिस्तान सैनिकों की मौत
तालिबान का अफगानिस्तान कब्ज़ा है इस हमले को तालिबान ने अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया और हमले से इसका जवाब दिया। तालिबान ने जवाबी कार्रवाई में 25 पाकिस्तानी सैन्य चौकियों पर हमला किया। पाकिस्तान ने कहा कि इस हमले में 200 तालिबान लड़ाकों को मार गिराया गया लेकिन इस जंग में उसके 23 सैनिक मारे गए., जबकि तालिबान का दावा है कि उसके सैनिकों ने 58 पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला।
सरकारी प्रसारक पीटीवी न्यूज़ के अनुसार, “अफ़ग़ान तालिबान और फ़ित्ना अल-ख़वारिज ने कुर्रम में बिना किसी उकसावे के गोलीबारी शुरू कर दी। पाकिस्तानी सेना ने पूरी ताकत और तीव्रता से जवाब दिया।” “फ़ित्ना अल-ख़वारिज” शब्द का इस्तेमाल पाकिस्तानी अधिकारी प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों के लिए करते हैं।
भारत ने तालिबान शासन को मान्यता नहीं दी है लेकिन संपर्क और संवाद की रणनीति अपनाई है। यह संतुलन क्षेत्रीय स्थिरता के लिहाज़ से भारत की विदेश नीति का हिस्सा हो सकता है।
समाजवादी पार्टी के सांसद ने उठाए सवाल
उत्तर प्रदेश के संभल में समाजवादी पार्टी से सासंद जियाउर्रहमान बर्क ने तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमिर खान मुत्ताकी के भारत दौरे को लेकर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से सवाल किया। सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने सोशल मीडिया के जरिए लिखा है कि जब तालिबान के मंत्री को भारतीय सरकार खुद आमंत्रित कर स्वागत करती है, तब कोई सवाल नहीं उठाता। जब संभल के सांसद डाॅ. शफीकुर्रहमान बर्क साहब ने तालिबान को लेकर बयान दिया था, तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि उन्हें शर्म आनी चाहिए। यूपी पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर दी थी, लेकिन अब वही तालिबान मंत्री भारत आ रहे हैं। आगरा में ताजमहल घूमेंगे, देवबंद भी जाएंगे और योगी सरकार उन्हें पूरी सुरक्षा देगी। उन्होंने पूछा दोहरे मापदंड क्यों? अब किसको शर्म आनी चाहिए और किसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होगी।
पत्रकारों ने की आलोचना
शुक्रवार 10 अक्टूबर को दिल्ली में अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसी भी महिला पत्रकार को आमंत्रित नहीं किया गया, जिससे उनकी कड़ी आलोचना की गई और इसे भेदभाव बताया। यह प्रेस वार्ता मुत्तकी और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच हुई बैठकों के बाद हुई, जहाँ दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार, मानवीय सहायता और सुरक्षा सहयोग पर चर्चा की।
हालाँकि, बाद में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने रविवार 12 अक्टूबर को नई दिल्ली में एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई, जिसमें इस बार उन्होंने महिला पत्रकारों को आमंत्रित किया।
द इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इस बहिष्कार से पत्रकारों, राजनीतिक नेताओं और सोशल मीडिया में आक्रोश फैल गया। महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने इसे “दोहरे मापदंड” (hypocrisy) बताया कि सरकार एक तरफ तालिबान के साथ बातचीत करती है, दूसरी ओर देश में मुस्लिमों और महिला अधिकारों को लेकर अलग-नज़रिए अपनाती है। उन्होंने सोशल मीडिया X अकाउंट पर पोस्ट कर लिखा “लव जिहाद’, ‘लैंड जिहाद’, ‘वोट जिहाद’ और ‘गाय जिहाद’ के नाम पर बीजेपी अपनी ही मुस्लिम जनसंख्या को निशाना बना रही है, और उन्हें बदनाम करने वाली नारों का प्रचार कर रही है। वहीं, भारत—जो लोकतंत्र की जननी है—बीजेपी के तहत तालिबान, जो जिहाद का जनक है, को गले लगा रहा है।”
“‘लव जिहाद’, ‘लैंड जिहाद’, ‘वोट जिहाद’ और ‘गाय जिहाद’ के नाम पर बीजेपी अपनी ही मुस्लिम जनसंख्या को निशाना बना रही है, और उन्हें बदनाम करने वाली नारों का प्रचार कर रही है। वहीं, भारत—जो लोकतंत्र की जननी है—बीजेपी के तहत तालिबान, जो जिहाद का जनक है, को गले लगा रहा है। वह… pic.twitter.com/Fu9eQzxXPr
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 12, 2025
वहीं दूसरी तरफ एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और इंडियन विमेंस प्रेस कॉर्प्स (आईडब्ल्यूपीसी) ने महिला पत्रकारों को बाहर रखे जाने को “अत्यधिक भेदभावपूर्ण” करार दिया था।
पत्रकार सुहासिनी हैदर ने लिखा, “इससे भी ज़्यादा हास्यास्पद बात यह है कि तालिबान के विदेश मंत्री को महिलाओं के ख़िलाफ़ अपने घृणित और ग़ैरक़ानूनी भेदभाव को भारत लाने की इजाज़त है, जबकि सरकार पूरे आधिकारिक प्रोटोकॉल के साथ तालिबान प्रतिनिधिमंडल की मेज़बानी कर रही है। यह व्यावहारिकता नहीं, बल्कि विनती है।”
What is even more ridiculous is that the Taliban FM is allowed to bring their abhorrent and illegal discrimination against women to India, as the government hosts the Taliban delegation with full official protocol.
This isn’t pragmatism, this is supplication. https://t.co/0FimOp6gpH
— Suhasini Haidar (@suhasinih) October 10, 2025
तालिबान के महिलाओं के अधिकारों पर प्रतिबंद को लेकर कड़ी आलोचना की गई है। सत्ता में आने के बाद तालिबान ने महिलाओं को छठी कक्षा से आगे की शिक्षा से वंचित कर दिया है, उन्हें ज़्यादातर नौकरियों से वंचित कर दिया है और पार्क, जिम और ब्यूटी सैलून जैसे सार्वजनिक स्थानों पर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस तरह की विचारधारों वाला देश जो महिलाओं के प्रति इतनी सख्ती से पेश आता है उसको भारत में इतना सम्मान के साथ स्वागत करना सवाल खड़े करता है जिसकी वजह से योगी सरकार को भी इसकी आलोचना का सामना करना पड़ा।
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