कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, “राज्य सभा के माननीय सभापति के अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीक़े से उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन करने के कारण इंडिया ग्रुप के सभी घटक दलों के पास उनके ख़िलाफ़ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।”
10 दिसंबर को विपक्ष ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ 10 दिसंबर 2024 को अविश्वास प्रस्ताव या महाभियोग प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया गया है। यह अविश्वास प्रस्ताव विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ द्वारा दिया गया है।
नोटिस में विपक्ष ने राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ पर पक्षपातपूर्ण तरीके से सदन की कार्यवाही का संचालन करने का आरोप लगाया।
बता दें, अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion) संसद की एक कार्यवाही है, जिसे किसी सरकार या उसके किसी सदस्य के खिलाफ लाया जाता है, ताकि उनकी कार्यप्रणाली या नेतृत्व पर भरोसा नहीं होने की स्थिति को जताया जा सके।
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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का अविश्वास प्रस्ताव पर बयान
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, “राज्य सभा के माननीय सभापति के अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीक़े से उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन करने के कारण इंडिया ग्रुप के सभी घटक दलों के पास उनके ख़िलाफ़ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
“इंडिया गठबंधन के दलों के लिए यह बेहद ही कष्टकारी निर्णय रहा है, लेकिन संसदीय लोकतंत्र के हित में यह अभूतपूर्व कदम उठाना पड़ा है। यह प्रस्ताव अभी राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा गया है।”
आज न्यूज़ एजेंसी एएनआई को उन्होंने बताया, “आज भी हमने देखा कि राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की क्या आवश्यकता थी। राज्यसभा में विपक्ष के नेता को संसद में बोलने की अनुमति नहीं दी गई… यह विपक्ष के नेता और कांग्रेस पार्टी का अपमान है। जब विपक्ष संसद में कोई मुद्दा उठाता है, तो राज्यसभा के सभापति कहते हैं कि कुछ भी रिकॉर्ड नहीं होगा, लेकिन जब सत्तापक्ष कोई मुद्दा उठाता है तो वह रिकॉर्ड में चला जाता है। उन्हें (सत्तापक्ष के सांसदों) संसद में बोलने का मौका दिया जाता है… हम इसकी निंदा करते हैं… वे अडानी मुद्दे से ध्यान भटकाना चाहते हैं… वे जॉर्ज सोरोस पर निराधार टिप्पणियाँ कर रहे हैं… हम चाहते हैं कि संसद काम करे…”
#WATCH | Delhi: Congress MP Jairam Ramesh says, “Even today we saw what was the need to bring a no-confidence motion against the Rajya Sabha chairman. The Leader of the Opposition in Rajya Sabha was not allowed to speak in Parliament… This is an insult to the Leader of the… pic.twitter.com/Oi5ifApVEb
— ANI (@ANI) December 12, 2024
अविश्वास प्रस्ताव से जुड़ा क्या है मामला?
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि, ” कल (सोमवार) संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने ख़ुद चेयरमैन साहब के सामने कहा कि जब तक आप लोकसभा में अदानी का मुद्दा उठाएंगे, हम राज्यसभा को चलाने नहीं देंगे और इसमें चेयरमैन साहब भी शामिल हैं, चेयरमैन साहब को इसमें अडिग रहना चाहिए।”
बता दें, कुछ समय पहले गौतम अडानी पर अमेरिका में धोखाधड़ी के आरोप तय किए जाने की ख़बर आई थी।
उन्होंने यह भी कहा कि राज्यसभा को गठन हुए 72 साल हो गए हैं और पहली बार ऐसा हुआ है कि राज्यसभा के सभापति के ख़िलाफ़ प्रस्ताव सौंपा गया है।
न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के अनुसार,नया साल आने से पहले विपक्ष ने हस्ताक्षर अभियान शुरू कर दिया है। जानकारी के अनुसार, इस पर 70 सांसदों के साइन हो चुके हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, जगदीप धनखड़ के खिलाफ समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस भी अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में बताए जा रहे हैं। टीएमसी और सपा के सांसदों ने उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। यह भी बताया गया कि अगर उपराष्ट्रपति को हटाना है तो पर कम से कम 50 सदस्यों के हस्ताक्षर होना ज़रूरी है।
बीजेपी सांसद किरेन रिजिजू
मामले को लेकर बीजेपी सांसद और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है, “मैं एक बार फिर से साफ़ तौर पर कह रहा हूं कि एक बार जब संसद सुचारू तौर पर चल रही है तो कांग्रेस पार्टी ने किस वजह से ड्रामा शुरू किया? ऐसे मास्क और जैकेट पहनकर आने कि क्या ज़रूरत है जिसपर स्लोगन लिखे हुए हों…?
रिजिजू ने कहा है, “हम यहां देश की सेवा करने के लिए आए हैं, इस तरह का ड्रामा देखने के लिए नहीं आए हैं। जो नोटिस कांग्रेस पार्टी और उसके कुछ सहयोगियों ने दिया है, उसे निश्चित तौर पर नामंज़ूर किया जाना चाहिए और उसे नामंज़ूर किया जाएगा।”
क्या उपराष्ट्रपति को हटाया जा सकता है?
मौजूदा जानकारी के अनुसार, लोकसभा के पूर्व महासचिव और संविधान के जानकार पीडीटी आचारी बताते हैं, उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए 14 दिन पहले उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया जाना जरूरी है। यह प्रक्रिया सिर्फ राज्यसभा में शुरू हो सकती है, क्योंकि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं।
उनका कहना है कि उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए वही नियम लागू होते हैं जो लोकसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए होते हैं। अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए राज्यसभा के सभापति के खिलाफ निश्चित आरोप होने चाहिए। 14 दिन बाद ही इसे राज्यसभा में लाया जा सकता है। इसके बाद प्रस्ताव को राज्यसभा और फिर लोकसभा में सामान्य बहुमत से पारित कराना जरूरी होता है।
हालांकि, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 67(बी) कहता है कि किसी भी उपराष्ट्रपति को अब तक नहीं हटाया गया है। हालांकि इस पर लोकसभा की तरफ से मुहर लगना बाकी है।
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