खबर लहरिया Blog विकलांगो तक नहीं पहुंच रही योजना, जानें विकलांगता सर्टिफिकेट के आवेदन का ऑनलाइन तरीका

विकलांगो तक नहीं पहुंच रही योजना, जानें विकलांगता सर्टिफिकेट के आवेदन का ऑनलाइन तरीका

विकलांग प्रमाण पत्र जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) या उनके द्वारा गठित डॉक्टरों की समिति द्वारा ज़ारी किया जाता है।

online process for disability certificate

महारानियां के चार बच्चे हुए हुए, चारों विकलांग। चार बच्चों में से महारानियां ने अपने दो बच्चे खो दिए। दो बच्चे जीवित हैं। बच्चों की विकलांगता और आर्थिक गरीबी की वजह से हमेशा उसके माथे पर शिकन नज़र आती लेकिन वह क्या करे? सरकार ने यूं तो विकलांग लोगों की मदद के लिए विकलांग योजना भी चलाई हुई है लेकिन उन्हें कभी योजनाओं का लाभ ही नहीं मिला। न ही वह अपने बच्चों का विकलांगता सेर्टिफिकेट बनवा पाईं।

चित्रकूट जिले के रामनगर ब्लॉक के लौरी गांव की महारानियां के बच्चों की तरह ग्रामीण इलाके में मौजूद कई विकलांग लोगों तक सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पाता है।

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विकलांगता सर्टिफिकेट व लाभ की मांग

खबर लहरिया को मिली जानकारी के अनुसार, लौरी गांव में दो परिवार ऐसे हैं जिनके सारे बच्चे जन्म से ही विकलांग हैं। वहीं महारानियां के दो बच्चे जो शारीरिक रूप से विकलांग हैं उनकी उम्र 16 साल (बेटी) व 18 साल (बेटा) है। विकलांगता और आर्थिक गरीबी की वजह से बच्चों को कभी शिक्षा का मौका नहीं मिला। वह तो बस यही चाहती हैं कि उनके दोनों बच्चों का विकलांगता का सर्टिफिकेट बन जाए ताकि भविष्य में कम से कम उन्हें थोड़ी बहुत मदद रहे।

उनका पति बाहर मज़दूरी करता है। ऐसे में दोनों बच्चों की ज़िम्मेदारी अकेले वह ही संभालती हैं।

ज़रूरी कागज़ात जमा करने पर मिलेगा लाभ

लौरी गांव की प्रधान कृष्णा देवी का कहना है कि उनका विकलांग सर्टिफिकेट बनवा दिया गया है। परिवारों को आय व जाति प्रमाण पत्र बनवाने को कहा गया है। इसके बाद ही उन्हें आवास योजना का लाभ मिल पायेगा और पेंशन फॉर्म भरवाया जायेगा।

वहीं रामनगर ब्लॉक के बीडीओ सुनील सिंह का कहना है कि गांव-गांव में कैंप लगते हैं। लोग सभी ज़रूरी कागज़ात जमा कर विकलांग योजना का लाभ ले सकते हैं। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर सर्वे भी करती हैं।

विकलांग सर्टिफिकेट से जुड़ी ज़रूरी बातें

अगर महारानियां व उनके जैसे परिवार जिनके घर में विकलांग लोग हैं उनका सेर्टिफिकेट बन जाता है तो उन्हें सर्टिफिकेट से काफी फायदे मिल सकते हैं। ग्रामीण योजना द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार :-

विकलांग सर्टिफिकेट के लाभ

– परिवहन निगम की बसों में फ्री यात्रा की सुविधा
– सरकारी नौकरियों में विशेष आरक्षण का लाभ
– दिव्यांगजन पेंशन की सुविधा
– रेलवे किराया में छूट
– गांव समाज की ज़मीन आवंटन में विकलांगो को प्राथमिकता
– किसी प्रकार के आवेदन करते समय आवेदन शुल्क में छूट
– शैक्षिक संस्थानों में विकलांग प्रमाण पत्र जमा करने पर आरक्षण का लाभ, छात्रवृत्ति की सुविधा

विकलांग प्रमाण पत्र ऑनलाइन हेतु आवश्यक दस्तावेज

– निवास प्रमाण पत्र
– उम्र संबंधित प्रमाण पत्र
– मोबाइल नंबर और आधार कार्ड की फोटो कॉपी
– पासपोर्ट साइज फोटो
– सीएमओ द्वारा प्रमाणित मेडिकल रिपोर्ट

विकलांग प्रमाण पत्र की पात्रता

– बहरापन : ऐसा व्यक्ति जो 90 db से कम की ध्वनि को नहीं सुन सकता
– मूक बधिर
– दृष्टिहीन या दृष्टि बाधित
– मानसिक रूप से विकलांग
– शारीरिक विकलांगता (हाथ या पांव)

विकलांग प्रमाण पत्र भरने की ऑनलाइन प्रक्रिया

– सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट https://edistrict.up.gov.in/edistrictup/ पर जायें।
– जैसे ही आप सिटीजन लॉग इन लिंक पर क्लिक करेंगे आपके सामने नया पेज खुल जाएगा।
– अब नवीन उपयोगकर्ता पंजीकरण पर क्लिक करें।
– अब आपके सामने आवेदन फॉर्म खुल जायेगा जिसमे लॉग इन आईडी,आवेदक का नाम, जन्मतिथि, पता जैसी जानकारी भरनी होगी।
– अंत में captcha भरें और सेव पर क्लिक करें।
– अब आपके मोबाइल नंबर पर यूजर आईडी और otp आयेगा।
– अब अपने यूजर आईडी और otp से लॉग इन करें।
– अब आपके सामने मौजूदा सेवाओं की पूरी सूची खुल जाएगी।
– आवेदन पत्र कॉलम में दिव्यांग प्रमाण पत्र पर क्लिक करें।
– आपके सामने आवेदन फॉर्म खुलेगा जिसमें प्रार्थी का नाम , पिता का नाम , माता का नाम , विकलांगता प्रतिशत आदि विवरण भरें।
– अपना फोटो व स्वप्रमाणित घोषणा पत्र अपलोड करें।
– विकलांगता संबंधित प्रमाण पत्र लगायें और जमा करें और आखिर में फीस जमा करें। (बता दें, सरकारी वेबडाईट्स पर फीस 15 रूपये है।)
– इस तरह आपका ऑनलाइन फॉर्म भर जाएगा।

अंत में यह बता दें, विकलांग प्रमाण पत्र जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) या उनके द्वारा गठित डॉक्टरों की समिति द्वारा ज़ारी किया जाता है।

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