पन्ना जिले के ब्लॉक अजयगढ़ में आज छात्र संगठन एनएसयूआई द्वारा उनकी समस्याओं को लेकर अजयगढ़ तहसील में अनुविभागीय अधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम लिखा ज्ञापन पत्र सौंपा गया। ज्ञापन में रोज़गार से जुड़ी समस्याओं के मुद्दों को उजागर किया गया। यूं तो रोज़गार का मुद्दा लोगों में बहुत आम है, उतना ही जितना की रोज़गार ना मिलना। सरकार द्वारा हर बार युवाओं से रोज़गार देने के कई वादें किये जाते हैं। उनके नाम से कई योजनाएं भी चलाई जाती हैं, लेकिन उनमें से किसी भी योजना का लाभ हर व्यक्ति को नहीं मिल पाया है।
ज्ञापन में की गयी इन चीज़ों को लेकर मांग
नियुक्त शिक्षकों की भर्ती करवाई जाए
साल 2018 में मध्यप्रदेश में सरकार द्वारा शिक्षक भर्ती के लिए परीक्षाएं करवाई गयी थीं। जिसमें कई अभियुक्तों ने परीक्षा भी दी थी और वह उसमें पास भी हुए थे। लेकिन इसके बावजूद भी उनकी नियुक्ति नहीं की गयी। जानकारी के अनुसार, वह लोग अपना रिजल्ट लिए हुए ऑफिस के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कुछ नहीं हो रहा। कई बार लोगों द्वारा समस्या के निपटारे के लिए संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन भी दिया गया। फिर भी कार्यवाही नहीं की गयी। अजयगढ़ की रहने वाले आरती परिहार का कहना है कि उन्होंने भी साल 2018 में शिक्षक भर्ती के लिए परीक्षा दी थी। लेकिन चयनित होने के बाद भी उन्हें नियुक्त नहीं किया गया। वह कहती हैं कि इतनी मेहनत करने के बाद भी जब बेरोज़गार रहना पड़े तो उनकी ली हुई डिग्रियों का क्या फायदा।
रोज़गार नहीं तो हर महीने वेतन भत्ता दे सरकार
पन्ना जिले में रेलवे लाइन के लिए लोगो से उनकी ज़मीन ली गयी थी और उसके बदले में व्यक्ति को रोज़गार देने का वादा किया गया था। ज़मीन पर रेलवे लाइन तो बिछ गयी, लेकिन रोज़गार नहीं मिला। कई बार लोगों द्वारा रोज़गार के लिए आवेदन तक किया गया पर कोई सुनवाई नहीं हुई। इस मामले में कुंवरपुर ग्राम पंचायत के सचिन लखेर ने बताया कि ज़मीन लेते समय परिवार में से किसी एक व्यक्ति को रोज़गार देने की बात कही तो गयी। लेकिन कई बार ज्ञापन देने के बाद भी ना तो उन्हें रोज़गार मिला और ना रोज़गार मिलने का आश्वासन। अगर सरकार नौकरी नहीं दे सकती तो उनकी वेतन का आधा पैसा वेतन भत्ते के रूप में लोगो को दिया जाए।
ज्ञापन में लिखा गया कि साल 2014 के घोषणा पत्र में सरकार द्वारा दो करोड़ लोगों को रोज़गार देने का वादा किया गया था। यह बात भी झूठ निकली। लोग रोज़गार ना मिलने की वजह से आत्महत्या करने के लिए मज़बूर है।
- केंद्र सरकार द्वारा गरीब छात्रों से परीक्षा ( एसएससी ,रेलवे आदि ) के नाम पर मोटी रकम ली गयी थी, जिसकी परीक्षाएं अभी तक नहीं हुई है।
- उनकी मध्यप्रदेश सरकार से मांग है कि बेरोज़गार युवाओं को फिर से रोज़गार भत्ता दिया जाये, जो कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के आने के बाद मिलना बंद हो गयी थी।
- छात्रों द्वारा हॉस्टल को दोबारा खुलवाने की मांग की गयी, जो कोरोना के दौरान बंद करा दिए गए थे ताकि छात्र अपनी पढ़ाई सुचारु रूप से ज़ारी रख सके।
- या तो सरकार रोज़गार दे या फिर उनसे उनकी डिग्रियां वापस ले ले।
एनएसयूआई के छात्र संगठन का कहना है कि अगर सरकार द्वारा उनकी मांगो को पूरा नहीं किया जाएगा तो वह अपना आंदोलन ज़ारी रखेगी। जिसकी जवाबदेही प्रदेश सरकार की ही होगी।
आवदेन को लेकर यह है तहसीलदार का कहना
ज्ञापन को लेकर अजयगढ़ के तहसीलदार प्रजापति का कहना है कि छात्रों द्वारा दिए गए आवेदन पत्र को जल्द से जल्द मुख्यमंत्री तक पहुंचाने की कोशिश की जायेगी।
रोज़गार की समस्या साल दर साल समय के साथ सिर्फ बढ़ती ही जा रही है। रोज़गार के नाम या तो सिर्फ योजनाएं है या तो सरकार द्वारा किये गए वादे। लेकिन रोज़गार कहाँ है? कहीं सरकार के झूठे वादों में दब तो नहीं गया? कब मिलेगा रोज़गार?
द्वारा लिखित – संध्या