बाँदा जिले के ग्राम पंचायत के गाँव के लोग कई महीनों से बिजली न होने की वजह से परेशान है। बिजली न होने से वह अपने दैनिक कार्य भी नहीं कर पा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार चाहें जितने भी वादे करे कि इस समय बिजली की व्यवस्था एक दम चुस्त-दुरुस्त है। लेकिन अगर ग्रामीण इलाकों में देखा जाए तो यहां की ज़मीनी हकीकत सरकार के झूठे वादों से पर्दा उठाने के लिए काफ़ी है। जिसका उदाहरण है बाँदा जिले का जसपुरा ब्लॉक। जसपुरा ब्लॉक के रामपुर ग्राम पंचायत का मजरा उजागर डेरा और नरैनी ब्लॉक के पिपरहरी ग्राम पंचायत का मजरा कछिया पुरवा। इन दोनों जगहों पर महीनों पहले आंधी आने की वजह से बिजली का खंभा टूट गया था। जिसके बाद से गाँव में अँधेरा छाया हुआ है।
इस समय इतनी ज्यादा गर्मी है कि लोगों के दिन का चैन और रात की नींद उड़ी हुई है। इसी के साथ धान की नर्सरी, मूंग,उड़द और सब्जियों की खेती भी जोरों पर है। जिसके लिए पानी की बहुत ही ज़्यादा जरूरत है। बिजली न होने की वजह से लोग खेतों में पानी नहीं डाल पा रहे हैं। खेतों में लगी सब्जियां और मूंग,उड़द की फसलें भी सूख रही हैं। लोगों द्वारा कई बार बिजली विभाग में शिकायत भी की गयी। बहुत कोशिशों के बाद अधिकारीयों द्वारा सुध लिया गया और बिजली दी गयी है। लेकिन सिर्फ कुछ ही लोगों को राहत प्रदान हुई। जानिये क्या है पूरी खबर….
बिना पानी के सूख रही फसलें
रामपुर ग्राम पंचायत के उजागर डेरा के पूर्व प्रधान भजन सिंह बताते हैं कि उनके पूर्वे में 1 महीने पहले आंधी तूफान आने से बड़ी लाइन का पुल टूट गया था। उसके बाद से ही गांव अंधेरे में डूबा हुआ है। पूर्वे की आबादी लगभग 200 लोगों की है। 200 लोगों के बीच पूर्वा और आसपास में 15 ट्यूबवेल लगे हुए हैं। जिन ट्यूबवलों की मदद से किसानों ने सब्ज़ी और मूंग की फसलें बोई हुई है। बिजली न होने की वजह से खेतों में पानी नहीं दिया गया है। जिससे किसानो को भारी नुकसान हो रहा है।
दूर दराज़ से पानी भरने पर नहीं हो पाता काम
भजन सिंह का कहना है कि गांव में लाइट ना होने के कारण रात में अंधेरे का सामना तो करना ही पड़ता है लेकिन पानी की सप्लाई भी नहीं हो रही। लोग दूरदराज़ के ट्यूबवलों से बैलगाड़ी से टंकियों में पानी भरकर लाते हैं। उनका कहना है कि पहले वह प्रधान थे तो टैंकरों से भी कुछ पानी की मदद करवा देते थे। लेकिन अब वह व्यवस्था भी नहीं हो पा रही है। ज़्यादा पानी भरने के लिए आमतौर पर पुरुष ही जाते हैं। जिससे उनके दैनिक आय का काम भी नहीं हो पाता। उन्होंने कई बार बिजली विभाग के अधिकारीयों से भी फोन पर बात करने की कोशिश की। लेकिन उनके द्वारा कभी फोन ही नहीं उठाया गया।
बिजली विभाग दे मुआवज़ा
बहुत कोशिशों के बाद प्रधान भजन सिंह की बात बिजली विभाग के एक अधिकारी से हुई। उनका कहना था कि फ़िलहाल एस्टीमेट बन रहा है लेकिन यह नहीं पता कि कब तक बनेगा। प्रधान का कहना है कि उनके गांव में 40 घरेलू कनेक्शन है और 15 ट्यूबवेल कनेक्शन है। वह कहते हैं कि वह लोग बराबर बिल भरते हैं ताकि उन्हें सुविधाएं मिले। अगर उनके द्वारा बिजली का बिल समय से नहीं भरा जाता तो बिजली विभाग वाले लाइट काट देते हैं। लेकिन यहां महीनों से लाइट नहीं है। उसकी खबर किसी अधिकारी को नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि पूर्वे में ज़यादातर निषाद परिवार रहते हैं। यह लोग सब्ज़ी-भाजी से ही अपना भरण-पोषण करते हैं।
एक महीने से बिजली न होने की वजह से इन लोगों की सारी फसलें सूख गयी है। इसलिए उनकी मांग है क्यूंकि एक महीने से गांव में बिजली नहीं है तो बिजली विभाग द्वारा उनके बिजली बिल को माफ़ किया जाए। इसके साथ ही उनकी फसलों का जितना भी नुकसान हुआ है। उसका भी मुआवज़ा दिया जाए। अगर ऐसा नहीं होता तो वह लोग उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज़ कर मुकदमा लड़ेंगे।
बिजली कर्मचारी मांग रहे पैसें
अगर पिपरहरी ग्राम पंचायत के मजरा कछिया पुरवा की बात की जाए। यहां के रामफल यादव, उदय भान कुशवाहा और मानस गर्ग बताते हैं कि उनके गांव में भी बिजली के खंभे टूट जाने के कारण 15 दिनों से गांव अंधेरे में डूबा हुआ है। मोबाइल चार्ज करने और आटा पिसवाने में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पानी भी नहीं आता जिसकी वजह से रोज़मर्रा के काम की चीज़ें भी नहीं हो पाती।
इन लोगों का कहना है कि लगभग 15 दिनों से अतर्रा के एसडीओ से बिजली ठीक कराने की बात की जा रही है। लेकिन उनके द्वारा हर बार आज-कल कहकर बात को टाल दिया जा रहा।
जब कुछ नहीं हुआ तो लोगों ने हमसे (खबर लहरिया) उनकी समस्या को आगे रखने का कहा। लोगों ने बताया कि उन लोगों ने चंदा इकठ्ठा करके ट्रैक्टर ट्राली से खंभा लेकर आये। लेकिन इसके बावजूद भी बिजली बनाने वाले कर्मचारी नहीं आ रहे हैं। बिजली कर्मचारी का कहना है कि जब लोग 3-4 हज़ार रूपये लेकर आयेंगे तभी वह बिजली बनाएंगे। जिससे की लोग काफी परेशान है।
जद्दोजेहद के बाद आयी बिजली
हमने पूरे मामले को लेकर अतर्रा बिजली विभाग के जेई से फोन पर बात की और उन्हें मामले की पूरी जानकारी दी। उनका कहना था कि उन्होंने गाँव में खंभा भिजवा दिया है। बिजली बनवाई जा रही है। किसी से पैसे भी नहीं मांगे जा रहे हैं। वह कहते हैं कि अगर कोई बिजली बनवाने के लिए पैसा मांगता है तो वह इसकी खबर सीधा उन्हें दे।
जब 7 जून को हमने लोगों से फिर बात की तो उन्होंने बताया कि 6 जून की रात को ही बिजली आयी है तब जाकर उन्होंने राहत की सांस ली है।
हालांकि अब भी रामपुर ग्राम पंचायत के उजागर डेरा के पूर्व लोग उनके गाँव और घरों में रोशनी की राह देख रहे हैं। लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि गाँव में कब तक बिजली मुहैया कराई जायेगी। जिस तरह से अधिकारी हर बार आना-कानी करते दिखाई दिए। इससे समस्या का जल्दी निपटारा होते हुए दिखाई नहीं देता।
आज कोई भी काम बिजली के बिना करना मुश्किल है। लोगों को बिजली की सुविधा मिलती रहे इसके लिए लोग बिजली का बिल भी समय से भरते हैं। लेकिन जब इसके बावजूद भी बिजली न दी जाए तो क्या विभाग के अधिकारीयों को इसकी जवाबदेही नहीं देनी चाहिए? महीनो से बिजली की व्यवस्था क्यों नहीं कराई गयी? ऐसे में क्या अधिकारीयों पर समस्या का देर से निपटारा करने को लेकर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए?
इस खबर को गीता देवी द्वारा रिपोर्ट किया गया है।
कोविड से जुड़ी जानकारी के लिए ( यहां ) क्लिक करें।