स्टडी बताती हैं कि फेस मास्क पहनने से अस्पताल में लोगों को बैक्टीरियल इनफेक्शन से बचाया जा सकता है.
डॉक्टर कोरोना से जुड़े दूसरे दावे भी करते नजर आ रहा है, जिनकी पड़ताल पहले ही की जा चुका है. जैसे कि, कोविड-19 एक धोखा है और इसके जरिए बिल गेट्स फाउंडेशन, WHO और जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी दुनिया की जनसंख्या कम कर रहे हैं.
24 Live के फेसबुक पेज पर 6,16,470 फॉलोअर्स हैं और इस स्टोरी को लिखे जाने तक असमिया भाषा में प्रकाशित पहले वीडियो को 4,000 से ज्यादा बार देखा जा चुका है.
इसी न्यूज चैनल पर इस दावे को हिंदी बुलेटिन के तौर पर भी शेयर किया गया है. इसे कई लोगों ने शेयर भी किया है.
पड़ताल में हमने क्या पाया
डॉक्टर ने जो भी दावे किए हैं, उनकी पड़ताल दुनिया भर के फैक्ट चेकर्स ने की है. डॉक्टर ने उन कॉन्सपिरेसी थ्योरी के बारे में भी बात की जिनके बारे में अक्सर बात की जाती रहती है. जैसे कि ”कोविड-19 एक धोखा” है.
वो महामारी को एक ऐसी महामारी के तौर पर बताते नजर आ रहे हैं, जिसे प्लैनिंग के साथ बनाया गया है. और इसे को बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन और जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी जैसे ऑर्गनाइजेशन ने प्लान किया है.
मास्क से जुड़ी गलत और भ्रामक जानकारी पहले भी शेयर की गई है. क्विंट की वेबकूफ टीम ने इससे जुड़े कुछ झूठे दावों की पड़ताल भी की है, जैसे कि ये झूठे दावे- ”मास्क से शरीर में ऑक्सीजन की होती है कमी’‘ और ”मास्क में कीड़े होते हैं जो कर सकते हैं लोगों को संक्रमित”.
इसी तरह ये दावा भी भ्रामक है कि मास्क में बैक्टीरिया होते हैं जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.
ये सच है कि लंबे समय तक एक ही मास्क इस्तेमाल किए जाने से उसमें बैक्टीरिया जमा हो जाते हैं. लेकिन, ये दावा कि मास्क स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, भ्रामक है.
बेल्जियम में एंटवर्प यूनिवर्सिटी में की गई एक स्टडी में पाया गया कि ”सर्जिकल और कॉटन दोनों तरह के फेस मास्क पर 4 घंटे इस्तेमाल के बाद, बैक्टीरिया जमा हो जाते हैं.
स्टडी के मुताबिक, साफ मास्क का इस्तेमाल करके और सर्जिकल मास्क 4 घंटों के इस्तेमाल के बाद हटाकर बैक्टीरिया जनित नुकसान से बचा जा सकता है. स्टडी के मुताबिक दोबारा इस्तेमाल होने वाले कॉटन मास्क, अच्छे से साफकर दोबारा से पहनते हैं, तो नुकसान से बच सकते हैं.
इस स्टडी में रिकमेंड किया गया है कि अगर किसी को लंबे समय तक मास्क पहनना है तो सर्जिकल मास्क का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. साथ ही, कॉटन मास्क को साफ करने के तरीकों के बारे में भी बताया गया है, ताकि पूरी सफाई का ख्याल रखा जा सके. स्टडी में, कपड़ों के मास्क को 100°C पर उबालकर, 60°C पर डिटर्जेंट से धोकर और स्टीम आयरन से प्रेस करने के बारे में भी सिफारिश की गई है.
पत्रकारों के लिए हेल्थ एक्सपर्ट्स के उपलब्ध कराए गए कोरोना रिसोर्स, Health Desk के मुताबिक, ”इस बात का कोई सबूत नहीं है कि फेस मास्क के इस्तेमाल से फेफड़ों में न्यूमोनिया, कोई बैक्टीरियल, फंगल या वायरल इनफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है.”
इसके उलट, ऑस्ट्रेलिया में की गई एक स्टडी जो Preventive Medicine journal में पब्लिश हुई थी, में पाया गया कि फेस मास्क पहनने से लोगों को अस्पताल में बैक्टीरिया संक्रमण से बचाया जा सकता है, क्योंकि अस्पताल वो जगह होती है जहां लोग एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया के संपर्क में आ सकते हैं.
मतलब साफ है, ये दावा झूठा है कि लंबे समय तक मास्क पहनने से हेल्थ को नुकसान होता है. भारत में परिवार कल्याण मंत्रालय सहित दुनिया भर के स्वास्थ्य अधिकारियों ने COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिए फेस मास्क पहनने की सिफारिश की है.
जिन लोगों को अस्थमा गंभीर स्थिति में है या जिन्हें सांस लेने में कठिनाई होती है, उन्हें मास्क पहनने के बारे में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
यह लेख क्विंट और खबर लहरिया की पार्टनरशिप का हिस्सा है।
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