आज से दो साल पहले साल 2018 को जिला चित्रकूट ब्लॉक मऊ गाँव सिकरो में सरकार द्वारा बिजली का कनेक्शन करवाया गया था। बिजली का कनेक्शन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू की गयी सौभाग्य योजना के अंतर्गत किया गया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि आज इतने सालों के बाद भी उनके घरों में एक बल्ब तक नहीं जला है। वहीं बिजली विभाग द्वारा उन्हें एक–एक साल का बिल भेज दिया गया है। जिसे देखकर लोग काफ़ी परेशान है।
क्या सौभाग्य योजना से खुलेगा लोगों का भाग्य या छाया रहेगा अँधेरा?
स्थानीय लोगों में से शिवशंकर का कहना है कि हम सब किसान है। बिना बिजली के ही साल भर का तकरीबन 2,400 बिल आ गया है। हम इतना पैसा कहां से और कैसे भरेंगे। गाँव में लगभग 200 लोगों का बिल आया है। गाँव के ही कमलेश सिंह का कहना है कि लगभग डेढ़ सालों से बिजली का बिल आ रहा है। उन्होंने उप –विभागीय अधिकारी को भी बिल को लेकर शिकायत की, साथ ही ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज़ कराई। जिसके दो दिनों के बाद कुछ लोग गाँव में बिजली का कनेक्शन लगाने के लिए आये थे। योजना के ज़रिये लगभग ढाई सौ लोगों के घरों के बिजली का कनेक्शन करवाया गया था।
सिर्फ नाम के लिए बिजली का कनेक्शन सरकार द्वारा घरों में कराया गया लेकिन जब तारों में बिजली ही नहीं तो कनेक्शन से लोगों को क्या फ़ायदा होगा?बिजली ना होने की वजह से बच्चों को पढ़ाई में भी तकलीफ हो रही है। मोमबत्ती जलाकर लोग अपने घरों में रोशनी करते हैं। गाँव में कई गरीब किसान और मज़दूर है, जिनकी जीविका इस समय वैसे ही बहुत मुश्किल से चल रही है। ऐसे में बिजली का बिल उनके लिए पहाड़ जैसा महसूस हो रहा है। लोगों का कहना है कि जब बिजली अभी दी जा रही है तो फिर हम पहले का बिल क्यों भरें।
गाँव में कनेक्शन होने के बाद भी लोगों के घरों में बिजली नहीं पहुंची। वहीं बिजली विभाग द्वारा लोगों को किस हिसाब से बिल भेजा गया, बात कुछ समझ नहीं आती। क्या नियुक्त अधिकारीयों का यह फ़र्ज़ नहीं की वह गाँवों में जाकर योजना द्वारा किये गए कामों का मुआयना करे ? जब लोगों को बिजली दी ही नहीं गयी, तो वह बिल क्यों भरें ? इसमें दोष किसे दे ? सरकार को ? अधिकारी को ?