बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए जेडीयू ने बुधवार, 7 अक्टूबर को अपने सभी 115 उम्मीदवारों की सूची ज़ारी कर दी है। सूची में कुछ ऐसे भी नाम है, जो कि बहुत चौकाने वालें हैं और उन पर कई गंभीर मामले भी दर्ज हैं। इनमें से एक है, नीतीश सरकार में पूर्व मंत्री रह चूँकि मंजू वर्मा। जिनका नाम बिहार, मुज़्ज़फरपुर बालिका गृह केस में आया था।
चेरिया बरियारपुर विधानसभा से मिला टिकट
पूर्व समाज कल्याण मंत्री एवं बालिका गृह केस में दोषी पायीं गयीं मंजू वर्मा पर एक बार फिर भरोसा जताते हुए नीतीश सरकार ने उन्हें चुनाव लड़ने का टिकट दे दिया है। इस बार मंजू वर्मा को चेरिया बरियारपुर, विधानसभा से टिकट दिया गया है।
वह पहली बार साल 2010 में बीजेपी–जेडीयू गठबंधन के तहत जेडीयू की टिकट पर चुनाव लड़ी थी। जिसमें वह लोजपा ( लोक जनशक्ति )पार्टी के अनिल चौधरी को लगभग 1000 वोटों से हराकर, विधयाक बनी थीं। दोबारा, 2015 के विधानसभा चुनाव में वह गठबंधन के तहत नीतीश सरकार ने मंजू वर्मा को जेडीयू की तरफ़ से टिकट दिया था। जिसमें वह लगभग 30,000 वोटों से चुनाव जीत गयी थीं। तब भी उनके सामने लोजपा पार्टी के अनिल चौधरी ही उम्मीदवार थें।
क्या है बालिका गृह केस का पूरा मामला?
26 मई 2018 को टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस(टिस) की रिपोर्ट में पहली बार बालिका गृह में नाबालिग लड़कियों के साथ दरिंदगी का मामला सामने आया था। मामले में 26 जुलाई 2018 को राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। 27 जुलाई 2018 को सीबीआई ने बालिका गृह केस की एफआईआर पटना स्थित अपने थाने में दर्ज की थी। जिसमें 21 लोगों को आरोपी पाया गया था।
मुजफ्फरपुर बालिका गृह में 34 लड़कियों के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया था। इस पूरे मामले में मंजू वर्मा और उनके पति चंद्रशेखर वर्मा के शामिल होने की बात सामने आई थी। साथ ही यह भी कहा जा रहा था कि मामले के मुख्य आरोपी ब्रिजेश ठाकुर से मंजू वर्मा की बातचीत थी। उस वक़्त मंजू वर्मा समाज कल्याण मंत्री थीं। संघीन मामले में नाम आने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मामले की नाज़ुकता को देखते हुए मंजू वर्मा से इस्तीफ़ा ले लिया था।
इस्तीफे के बाद घर में मिले थे अवैध कारतूस
मंजू वर्मा के मंत्री पद से इस्तीफा देने के करीब 15 दिनों के बाद सीबीआई ने चेरिया बरियारपुर में उनके घर पर छापा मारा था। जिसमें सीबीआई को करीब 117 कारतूस और कई अवैध हथियार मिले थे। जिसे देखते हुए दोनों के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज़ करते हुए, गिरफ़्तार कर लिया गया था। हालांकि बाद में दोनों को ज़मानत भी मिल गयी थी।
टिकट मिलमे से पहले मंजू वर्मा ने की नीतीश कुमार से मुलाकात
31 अगस्त 2020 को मंजू वर्मा ने अपने आवास पर प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि सीबीआई जांच में वह और उनके पति निर्दोष साबित हुए हैं। ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से टिकट की उम्मीद है। वहीं मंजू वर्मा ने पटना में भी मुख्यमंत्री से मिलकर टिकट की मांग की थी, जो की अब साफ हो गया है कि नीतीश मंजू वर्मा को टिकट देकर फिर से एक मौका दे रहे हैं। जेडीयू ने जो बुधवार को उमीदवारों को सूची ज़ारी की है, उसमें 64 वें नंबर पर मंजू वर्मा का नाम है। उन्होंने कहा था कि अब नीतीश कुमार और उनके बीच चीज़े सकारात्मक है।
इसके अलावा हाल ही में पार्टी में शामिल हुए पुलिस अधिकारी सुनील कुमार को भोरे सुरक्षित सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। जबकि पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का नाम इस सूची में शामिल नहीं किया गया है। पार्टी ने इस बार 18 नए कार्यकर्ताओं पर दाव लगाते हुए उन्हें टिकट दी है। वहीं 10 मौजूदा विधायकों का पत्ता साफ हो गया है। टिकट कटने वालों में वरिष्ठ मंत्री कपिलदेव कामत का नाम भी शामिल है।
बता दें कि एनडीए में सीट बंटवारे के बाद जेडीयू को 122 सीटें मिली थीं। वहीं जेडीयू ने अपने खाते से 7 सीटें जीतन राम मांझी की दे दी थी। इस तरह अब नीतीश कुमार की पार्टी के पास 115 सीटें हैं।
मंजू वर्मा को टिकट देने के बाद विपक्ष ने नीतीश कुमार पर सवाल खड़े करना शुरू दिए हैं। कि आखिर नीतीश सरकार के साफ़ चेहरे के वादे का क्या हुआ? इसके अलावा भी नीतीश सरकार ने मंजू वर्मा को टिकट देकर एक बहुत बड़ा दाव खेला है, क्योंकि मुज़्ज़फरपुर बालिका गृह केस एक बहुत बड़ा मामला था।
बेशक़,मंजू वर्मा को “क्लीन चिट” मिल गयी है, लेकिन इसके बाद भी क्या लोग मंजू वर्मा को उनके प्रत्याशी के रूप में स्वीकार करेंगे? सभी पार्टियां इस बार चुनाव जीतने के लिए नए–नए पैतरे आज़मा रही है। अब तो यह चुनाव के बाद ही पता चलेगा कि बाज़ी कौन जीतता या हारता है।