International News : चीन में नए लांग्या वायरस से 35 लोग संक्रमित हो चुके हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, 200 से ज़्यादा छछूंदरों में लांग्या वायरस का RNA पाया गया। लांग्या वायरस घरेलू बकरियों में 2 प्रतिशत ओर कुत्तों में 5 प्रतिशत पाया गया है।
चीन में आये नए लांग्या (Langya) वायरस से अभी तक 35 लोग संक्रमित हो चुके हैं। पहले कोरोना वायरस, फिर मंकीपॉक्स और अब लांग्या वायरस ने लोगों में डर पैदा कर दिया है। बता दें, यह हेनिपावायरस (Henipavirus) का एक नया प्रकार है, जिसे लांग्या (Langya) वायरस / लांग्या हेनिपावायरस (LayV) भी कहा जाता है। पूर्वी चीन के हेनान और शानडॉन्ग प्रांत में इसके 35 मामले सामने आये हैं।
CNN की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों का कहना है कि पूर्वी चीन में दर्जनों लोगों में पाए गए नए वायरस की अधिक निगरानी करने की ज़रुरत है। बेशक़ यह अगली महामारी की वजह नहीं बन सकता लेकिन यह इस बात को दिखाता है कि वायरस कितनी आसानी से नज़र में आये बिना जानवरों से मनुष्यों में फ़ैल रहा है।
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हेनिपावायरस के बारे में जानें
द-न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हाल ही की रिपोर्ट कहती है कि चीन में फाइलोजेनेटिक रूप से अलग हेनिपावायरस मिला है। ये एक जूनोटिक Zoonotic (जानवरों से इंसानों में फैलने वाला) हेनिपावायरस है। हेनिपावायरस में हेंड्रा, निपाह समेत घाना का बैट वायरस भी शामिल है। अमेरिका की सेंटर फॉर डिज़ीज कंट्रोल के मुताबिक हेंड्रा और निपाह इंसानों में गंभीर बीमारी की वजह बन सकते हैं।
न्यूज़ बाइट्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह वायरस पशुओं से इंसानों में आया हो सकता है। चीन में बुखार से पीड़ित लोगों के गले से लिए गए सैंपल में इस वायरस की पुष्टि हुई है।
लांग्या वायरस के लक्षण
लांग्या वायरस से संक्रमित अधिकतर मरीज़ों में बुखार, थकान, खांसी, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, भूख न लगना और उल्टी आने जैसे लक्षण देखें गए हैं। बहुत से मरीज़ो में बुखार देखा जा रहा है। वहीं कुछ मरीज़ ऐसे हैं जिनका वायरस के कारण व्हाइट ब्लड सेल में गिरावट, किडनी के काम करने में दिक्कत आदि समस्याएं देखी गयी हैं।
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छछूंदरों में पाया गया वायरस का RNA
इंडिया टुडे की प्रकाशित रिपोर्ट कहती है कि ज़ूनोसिस ( zoonosis ) प्रक्रिया के ज़रिये यह वायरस जानवरों से इंसानों में आ जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, 200 से ज़्यादा छछूंदरों में लांग्या वायरस का RNA पाया गया। द गार्डियन के अनुसार, लांग्या वायरस घरेलू बकरियों में 2 प्रतिशत ओर कुत्तों में 5 प्रतिशत पाया गया है।
लांग्या वायरस का RNA छछूंदरों में पाया जाता है। जो इसके प्राकृतिक होस्ट हैं। इसके अलावा अगर इंसानों से इंसानों में इसके फैलने की बात करें तो स्टडी के मुताबिक इसकी संभावना बहुत कम है। वहीं, इसी फैमिली का वायरस निपाह बहुत खतरनाक है। जानकारी के अनुसार, वह सांस लेने वाली बूंदों से भी फैल सकता है।
लांग्या वायरस की कोई वैक्सीन नहीं
हेनिपावायरस बायोसेफ्टी लेवल 4 रोगजनकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। ये वायरस जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी की वजह बन सकता है। अभी तक इस वायरस की कोई भी दवाई या वैक्सीन नहीं है।
लांग्या वायरस सबसे पहली बार कहां पाया गया?
लांग्या हेनिपावायरस (LayV) सबसे पहली बार साल 2018 में शेडोंग और हेनान के पूर्वोत्तर प्रांतों में पाया गया था। लांग्या वायरस के बारे में आधिकारिक तौर पर पिछले सप्ताह के आखिर में पता चला है।
हालांकि, भारत में अभी तक लांग्या वायरस का कोई मामला सामने नहीं आया है। जब चीन से कोरोना वायरस की शुरुआत हुई थी तब लोगों द्वारा इसे गंभीरता से नहीं लिया गया था। देश में इस समय कोरोना वायरस के साथ-साथ मंकीपॉक्स, लंपी वायरस के संक्रमण के मामले रोज़ ही सामने आ रहें हैं। ऐसे में लोगों को एहतियात बरतने की बेहद ज़्यादा ज़रुरत है।
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