सारे के सारे आदेश बेअसर
अन्ना पशु मिलेंगे हर गांव हर शहर!
शासन-प्रशासन की मंशा पर चोट करने का कार्य कर रहे हैं उसी शासन-प्रशासन के मातहत और गांव के प्रधान एक तरफ उ. प्र. की योगी सरकार अन्ना मुक्त अभियान के दावे कर रही तमाम नई नवेली योजनाएं लाकर किसानों को प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रही चाहे वो प्रतिदिन प्रति जानवर का 30 ₹ का भारण पोषण भत्ता हो या ग्राम पंचायत स्तर पर स्थायी/अस्थायी गौशालाओं का निर्माण कराने का आदेश हो लेकिन सारी की सारी कोशिश असफल होती नजर आ रही है बुंदेलखंड का किसान इन अन्ना जानवरों से तबाही के मुहाने पर खड़ा है पहले प्रकृति का प्रकोप कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा तो कहीं भूमि की भौगोलिक संरचना जिसमें बंजर व असिंचित क्षेत्रफल का दायरा अत्यधिक होना यहां के किसानों के लिए एक अभिशाप है उसके बाद जो रही सही कसर है तो ये अन्ना पशुओं का झुंड किसानों की कमर तोड़ने का कार्य कर रही है ।
पिछले 2 सितंबर को बांदा के जिलाधिकारी ने सभी लेखपालों ग्राम पंचायत सचिवों व प्रधानों की सयुंक्त सभा में चेतावनीपूर्ण लहजे में कहा था कि एक हफ्ते के अंदर सभी अन्ना पशुओं को ग्राम पंचायत के स्थायी अथवा अस्थायी गौशालाओं में रहने खाने की व्यवस्था कर किसानों को राहत प्रदान कर इस समस्या का समाधान किया जाये । लेकिन जिलाधिकारी के आदेशों को गांव के सबसे बड़े सरकारों ने ठंडे बस्ते में डालकर अभी तक इस समस्या का कोई समाधान नहीं कर सके और हर गांव गली शहर राष्ट्रीय राजमार्ग व राजकीय राजमार्गों पर अन्ना जानवरों का झुंड आपको 24 घंटे नजर आयेगा।
साभार: यह लेख बदौसा, बांदा के पत्रकार शाह नवाज़ खान शानू द्वारा लिखा गया है