खबर लहरिया Blog Nepal,France,Indonesia,protest: सिर्फ नेपाल नहीं फ़्रांस समेत और कई देशों में युवा बेरोजगारी के विरोध में सड़क पर उतरे 

Nepal,France,Indonesia,protest: सिर्फ नेपाल नहीं फ़्रांस समेत और कई देशों में युवा बेरोजगारी के विरोध में सड़क पर उतरे 

दुनिया के कई देशों में इस समय युवा बेरोजगार और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को लेकर उसका विरोध करते हुए सड़क पर उतर आए हैं। कहीं लोग सरकार से नौकरी मांग रहे हैं तो कहीं वे आर्थिक नीतियों और बढ़ती महंगाई का विरोध कर रहे हैं। 

Nepal government buildings were burnt

नेपाल के सरकारी इमारतों को जलाया गया (फोटो साभार:सोशल मीडिया)

हाल ही में नेपाल की वर्तमान स्थिति काफी चर्चे में है। नेपाल में हाल ही में हज़ारों युवा राजधानी काठमांडू की सड़कों पर उतरे हैं। उनका ग़ुस्सा सरकार की नीतियों और घटते रोजगार के मामलों को लेकर था। जहां नेपाल की स्थिति काफी गंभीर और चिंताजनक नजर आई। कई सरकारी बिल्डिंग जलीं जिससे वहां के प्रधानमंत्री तक को  इस्तीफ़ा देने की जरुरत पड़ गई। दरअसल अब ऐसी स्थिति केवल नेपाल की नहीं रह गई। फ़्रांस, इंडोनेशिया और अमेरिका जैसे कई देशों में यही स्थिति बनी हुई है। 

Nepal Protest : नेपाल में प्रदर्शन से हालात बिगड़े, आगजनी और तोड़फोड़, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने दिया इस्तीफा

नेपाल के बाद फ़्रांस में आंदोलन 

Movement in France

फ़्रांस में आंदोलन (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

बता दें नेपाल के बाद अब फ़्रांस से भी खबर आ रही है कि वहां के लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए लाखों लोग आंदोलन कर रहे हैं। फ़्रांस के लोग वहां के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों सरकार ने एक भी काम ऐसा नहीं किया जिससे लोगों का जीवनस्तर बेहतर हो सके। उनका वित्तीय प्रबंधन भी काफी खराब रहा है। फ़्रांस में इस प्रदर्शनों की शुरुआत सोशल मीडिया पर ‘block everything’ (ब्लॉक एवरीथिंग) के आह्वान से शुरू हुई। इसके बाद सोशल मीडिया के माध्यम से पेरिस में हिंसा भड़क गई। एक लाख लोग सड़कों पर हैं, अस्सी हजार पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं और तीन सौ लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया है। यह आंदोलन ‘block everything’ 10 सितंबर 2025 को शुरू हुआ। 

इंडोनेशिया की कहानी 

25 अगस्त 2025 को जकार्ता में इंडोनेशिया के सांसदों के खिलाफ एक शांतिपूर्ण विरोध शुरू हुआ था। लेकिन यह विरोध जल्द ही हिंसक में बदल गया। उसके बाद 28 अगस्त 2025 को एक वीडियो सामने आया जिसमें अर्धसैनिक पुलिस का बख्तरबंद वाहन एक 21 साल के डिलीवरी कर्मचारी को कुचलकर मार देता है। घटना के बाद वहां के हालात बिगड़ गए और विरोध दंगों में बदल गया। इसके बाद इंडोनेशिया में हाल के सालों के सबसे हिंसक प्रदर्शनों में हज़ारों लोगों को गिरफ़्तार किया गया और कम से कम सात लोगों की मौत हो चुकी है। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक भवनों पर हमला किया। तत्कालीन वित्त मंत्री श्री मुल्यानी इंद्रावती के घर सहित कई सरकारी अधिकारियों के घरों को जला दिया और लूट लिया और प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें भी हुईं। देश भर में पुलिस ने कम से कम 3,000 लोगों को गिरफ्तार या हिरासत में लिया है और  सैकड़ों लोग घायल हुए हैं, जिनमें से कुछ पुलिसकर्मी भी हैं। अधिकार समूहों का कहना है कि विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से कम से कम 20 लोग लापता हैं।

Movement in Indonesia

इंडोनेशिया में आंदोलन (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

साल-दर-साल युवाओं का आंदोलन 

जानकारी के लिए बता दें साल 2022 में श्रीलंका, 2024 में बांग्लादेश, अगस्त 2025 में इंडोनेशिया और अब उसके ठीक एक महीने बाद नेपाल और फिर फ़्रांस, लगातार कुछ ऐसी एशियाई देश युवाओं के आंदोलन से भरे रहे हैं। ये आंदोलन ऐसे समय में हुए जब विकास के बड़े-बड़े आंकडें दिखाए तो गए लेकिन काम की तलाश में लगे युवाओं की ज़िंदगी में कोई खास सुधार नहीं हो पाया। 

संयुक्त राष्ट्र की विश्व जनसंख्या संभावना 2024 की रिपोर्ट

इन देशों में भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा है और राजनीति भी स्थिर नहीं रही इसी वजह से आर्थिक विकास सबके लिए फायदेमंद नहीं बन पाया। इसका सबसे ज्यादा असर युवाओं पर पड़ा है। ये देश वैसे भी काफी युवा आबादी वाले हैं। संयुक्त राष्ट्र की विश्व जनसंख्या संभावना 2024 रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल नेपाल की औसत उम्र 25 साल थी। बांग्लादेश की औसत उम्र 25.7 साल रही, इंडोनेशिया में 30.1 साल और श्रीलंका में 33.1 साल।

एशिया में युवाओं की बेरोजगारी बढ़ी 

इंडोनेशिया में 2024 के दौरान बेरोजगारी की औसत दर 4.91% लेकिन अगर सिर्फ 20 से 24 सालों के युवाओं को देखें तो याद दर तीन गुना से ज़्यादा यानी 15.34% पहुंच गई। बांग्लादेश में भी हालत ऐसी ही है। 2023 में यह कुल बेरोजगारी दर 3.35% थी जबकि 15 से 24 साल के युवाओं के बीच यह बढ़कर 8.24% हो गई जो सबसे उंची है। नेपाल में स्थिति और कठिन है। जुलाई में देश की संक्यिकी कार्यालय ने बताया कि रोजगार एक ‘बड़ी चुनौती’ बना हुआ है। उनकी एक रिपोर्ट के अनुसार नेपाल अभी भी विदेश रोजगार और वहां से आने वाले पैसों (रेमिटेंस) पर बहुत ज़्यादा निर्भर हैं। देश में उद्योगों का विकास धीमा है और नई नौकरियां कम बन रही हैं। 

इसी वजह से बेरोजगारी दर 2017-18 में 11.4% से बढ़कर 2022-23 में 12.6% हो गई। ख़ासकर 15 से 24 साल के युवाओं में अधूरा या अस्थाई रोजगार (अल्प-रोज़गार) ज़्यादा देखने को मिलता है। नौकरी न मिलने की वजह से बड़ी संख्या में युवा विदेश चले जा रहे हैं। नतीजा यह है कि नेपाल के अर्थव्यवस्था का लगभग एक चौथाई हिस्सा विदेश से आने वाले पैसों पर निर्भर हो गया है। यह स्थिति दिखाती है कि अगर देश के भीतर ही नए  उद्योग और रोजगार नहीं बनाए गए तो नेपाल अपनी बड़ी युवा आबादी से मिलने वाले आर्थिक फ़ायदे को सकता है। 

increase in unemployment rate

बेरोजगारी दर बढ़ना (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

भारत की स्थिति 

अगर भारत की बात की जाए तो भारत में भी आजकल लगभग हर तबके को अपनी मांगों और अधिकारों के लिए हड़ताल और धरने का सहारा लेना पड़ रहा है। कहीं छात्र अपनी समस्याओं को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं और उन पर लाठीचार्ज हो रहा है तो कहीं कर्मचारी अपनी नौकरी बचाने और बेहतर कामकाजी हालात की मांग कर रहे हैं। भारत में शिक्षक, छात्र, किसान, मज़दूर, डॉक्टर सभी लगातार अपनी मांगों को लेकर सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं। कल की ही खबर है जहां बिहार के पटना में एक महीने से आंदोलन कर रहे संविदा कर्मचारियों को अपना अधिकार मांगने के बदले में लाठियां मिलीं।

छत्तीसगढ़ में NHM के कर्मचारी पिछले बीस दिन से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सुनवाई कुछ भी नहीं।

Chhattisgarh, NHM Employee News: NHM में 17 दिन हड़ताल के बाद एक्शन, 25 अधिकारी कर्मचारियों की सेवा समाप्त 

अगस्त के महीने में यूपी से खबर आई कि 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती में 19,000 पदों पर आरक्षण घोटाले का आरोप लगाते हुए बड़ी संख्या में आरक्षित वर्ग के शिक्षकों ने प्रदर्शन किया। अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे शिक्षक अभ्यर्थियों को प्रदर्शन स्थल से उठाया गया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को गाड़ियों में भरकर इको गार्डन भेज दिया।

UP unemployed teacher: 69,000 शिक्षक भर्ती पर संघर्ष, बेरोजगार शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

उसी महीने 7 अगस्त 2025 को बिहार की राजधानी पटना में एसटीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) परीक्षा आयोजित करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान पुलिस और छात्रों के बीच झड़प हुई। 

Bihar student protest: छात्रों ने STET परीक्षा को लेकर किया प्रदर्शन, छात्रों पर बरसे डंडे 

छात्रों का आरोप था कि पुलिस द्वारा छात्रों पर लाठीचार्ज भी किया गया जिससे कई छात्रों को गंभीर रूप से चोट भी आई है। प्रदर्शन और लाठीचार्ज का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था। 

उसी महीने देश की राजधानी दिल्ली में 31 जुलाई 2025 को हजारों की संख्या में छात्र और छात्राएं और शिक्षकों द्वारा एसएससी पेपर रद्द होने के खिलाफ में जम कर विरोध प्रदर्शन किया गया। छात्रों और शिक्षकों द्वारा यह आरोप लगाया गया कि जंतर-मंतर और सीजीओ कॉम्प्लेक्स में विरोध प्रदर्शन के खिलाफ लाठीचार्ज भी किया गया।

Delhi SSC Exam: एसएससी परीक्षा रद्द होने के विरोध में सड़क पर उतरे कई छात्र और शिक्षक 

कई छात्रों द्वारा लाठीचार्ज के बाद सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट किया जिसमें वे कहते दिख रहे हैं कि पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया और कई छात्रों को चोटें भी आई हैं। इसके अलावा देश में और कई आंदोलन चल रहे हैं जैसे जल जंगल ज़मीन की लड़ाई, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन, पत्रकारों की लड़ाई आदि। इससे साफ नजर आता है कि भारत में आंदोलन उस तरीके से तो नहीं हो रहा है जैसे नेपाल फ़्रांस और इंडोनेशिया में हो रहा है लेकिन भारत के अलग-अलग राज्यों में लोग अपने मांगों को लेकर आंदोलन में संघर्ष कर रहे हैं। बदले में आंदोलनकारियों को डंडों से, नौकरियों से बेदखल कर के,आंसू गैस,जेल और पुलिस बल द्वारा चुप कराया जा रहा है। 

अभी नेपाल की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें लोग मदद की गुहार लगा रहे हैं। इनमें भारत के लोग भी शामिल हैं। एक वीडियो में एक युवा लड़की रोते हुए मदद मांग रही है। इसी तरह, उत्तर प्रदेश के कुछ नेता और मध्य प्रदेश का 16 लोगों का एक परिवार नेपाल में फंसा हुआ है। हालांकि, कुछ लोगों को सुरक्षित भारत वापस भी लाया गया है।

यह साफ नजर आ रहा है कि नेपाल, फ़्रांस, इंडोनेशिया, श्रीलंका, बांग्लादेश से लेकर भारत तक लगभग हर जगह लोग अपनी रोज़मर्रा की समस्याओं को लेकर सड़कों पर उतर रहे हैं। कहीं बेरोज़गारी है कहीं भ्रष्टाचार, कहीं महंगाई और कहीं राजनीतिक अस्थिरता। हर जगह गुस्से का कारण अलग हो सकता है, लेकिन असल में ये सब एक ही सवाल खड़ा करते हैं आख़िर सरकारें क्यों लोगों की बुनियादी ज़रूरतें पूरी नहीं कर पा रही हैं? क्या वजह है कि बड़े-बड़े विकास के दावे किए जाते हैं, लेकिन युवाओं को नौकरी नहीं मिलती? क्यों जनता को अपनी आवाज़ उठाने के लिए हर बार सड़कों पर उतरना पड़ता है? और क्यों अक्सर इसका नतीजा लाठीचार्ज, दमन और हिंसा में निकलता है?

ये सवाल सिर्फ नेपाल या इंडोनेशिया के लिए नहीं हैं, बल्कि भारत समेत पूरी दुनिया के लिए भी उतने ही ज़रूरी हैं। असली मुद्दा यही है आख़िर कब तक जनता को अपने हक़ और अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ेगा और कब सरकारें इस गुस्से को समझकर सही कदम उठाएंगी?

 

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke ‘