खबर लहरिया Blog NCERT ने हटाये गोडसे, गांधी, आरएसएस व मुगल से जुड़े इतिहास के अंश

NCERT ने हटाये गोडसे, गांधी, आरएसएस व मुगल से जुड़े इतिहास के अंश

एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा,”हम एनईपी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) 2020 के अनुसार काम कर रहे हैं। यह संक्रमण का दौर है। एनईपी 2020 कंटेंट लोड को कम करने की बात करता है। हम इसे लागू कर रहे हैं। स्कूली शिक्षा के लिए एनसीएफ (नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क) बन रहा है, इसे जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा।

NCERT removes parts of history related to Godse, Gandhi, RSS and Mughals

                                                                            एनसीआरटी का लोगो ( फोटो साभार – सोशल मीडिया)

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों से उन पैराग्राफों को हटा दिया गया जिनमें महात्मा गांधी की हत्या के बाद तत्कालीन सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर संक्षिप्त रूप से लगाए गए प्रतिबंध के बारे में जानकारी थी – कई रिपोर्ट्स में यह बात कही गयी। इसके साथ ही यह भी आरोप लगाए जा रहे थे कि एनसीआरटी द्वारा पाठ्यक्रमों से मुगलों के इतिहास के अंश को भी हटा दिया गया है।

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मुगलों के इतिहास को हटाना झूठ – एनसीईआरटी के निदेशक

एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने एएनआई को बताया,”यह एक झूठ है। (अध्याय पर) मुगलों को नहीं छोड़ा गया है। पिछले साल एक युक्तिकरण प्रक्रिया की गयी थी क्योंकि COVID की वजह से हर जगह छात्रों पर दबाव था … विशेषज्ञ समितियों ने कक्षा 6 से12 की किताबों की जांच की। उन्होंने सिफारिश की कि यदि यह अध्याय हटा दिया जाता है, तो इससे बच्चों के ज्ञान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और एक अनावश्यक बोझ हट जाएगा… वाद-विवाद अनावश्यक है। जो नहीं जानते, वे पाठ्यपुस्तकों की जांच कर सकते हैं…”

आगे कहा, “हम एनईपी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) 2020 के अनुसार काम कर रहे हैं। यह संक्रमण का दौर है। एनईपी 2020 कंटेंट लोड को कम करने की बात करता है। हम इसे लागू कर रहे हैं। स्कूली शिक्षा के लिए एनसीएफ (नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क) बन रहा है, इसे जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा। NEP के अनुसार 2024 में पाठ्यपुस्तकें छपेंगी। हमने अभी कुछ भी नहीं छोड़ा है।”

 

एनसीईआरटी के निदेशक ने सभी आरोपों को साफ़ तौर पर खारिज करते हुए कहा कि बदलाव एक खास विचारधारा के अनुरूप किए गए हैं।

एनसीआरटी से इन विषयों को हटाया गया

द इकोनॉमिक टॉइम्स की रिपोर्ट में बताया गया, इसके साथ ही, जिन अनुच्छेदों में कहा गया था कि गांधी की हिंदू-मुस्लिम एकता की खोज ने हिंदू चरमपंथियों को उकसाया था, उसे भी पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है।

रिपोर्ट्स के अनुसार एनसीईआरटी ने पिछले साल कक्षा 6 से 12वीं तक की पाठ्यपुस्तकों में कई बदलाव किए थे। इनमें से 12वीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक ‘आजादी के बाद से भारत में राजनीति’ (Politics in India since Independence)से ‘लोकप्रिय आंदोलनों का उदय’ (Rise of Popular Movements) और ‘एक पार्टी के प्रभुत्व का युग’ (Era of One Party Dominance) शीर्षक वाले अध्याय हटा दिए गए थे।

इसी तरह, 10वीं कक्षा की किताब ‘डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-2’ से ‘डेमोक्रेसी एंड डायवर्सिटी’, ‘लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन’ और ‘चैलेंजेस टू डेमोक्रेसी’ के पाठ हटा दिए गए हैं।

पिछले 15 सालों से नाथूराम गोडसे को 12वीं कक्षा की इतिहास की किताब ‘पुणे के ब्राह्मण’ (Brahmin from Pune) में गांधी की हत्या करने वाले के रूप में संदर्भित किया गया था, जिसे अब हटा दिया गया है।

छात्रों के तनाव को देखते हुए लिया गया फैसला – शिक्षा राज्य मंत्री

एनसीईआरटी के मुताबिक, उन्हें लंबे समय से सीबीएसई और कई राज्य शिक्षा बोर्डों से किताबों में उल्लिखित गोडसे की जाति को लेकर शिकायतें मिल रही थीं, जिसमें कहा गया था कि स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में किसी की जाति का अनावश्यक रूप से उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए।

शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने संसद में इस मामले पर बोलते हुए कहा, महामारी में शिक्षा के नुकसान को देखते हुए पुस्तकों के पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाया गया था और ऐसा छात्रों के तनाव को कम करने के लिए किया गया था।

2022 में की गयी थी बदलावों की घोषणा

लाइव मिनट की रिपोर्ट के अनुसार, कई बदलावों की घोषणा 2022 की शुरुआत में की गई थी, जब केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने अप्रैल में अपने पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाया था। सीबीएसई के तहत स्कूलों के अलावा, कुछ राज्य बोर्ड भी एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों का उपयोग करते हैं।

एनसीआरटी की किताबों में होने वाले बदलावों को लेकर अभी भी लोग आक्रोशित नज़र आ रहे हैं। जहां एक तरफ एनसीईआरटी के निदेशक बदलाव को खास विचारधारा कह रहे हैं वहीं इतिहास को हटाए जाने को लेकर लोग राजनीतिक तंज भी कस रहे हैं।

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