विपक्षी नेता राहुल गाँधी ने “वोट चोरी” के ऊपर की प्रेस वार्ता, चुनाव आयोग पर लगाए गंभीर आरोप। घंटे भर से ऊपर के इस कांफ्रेंस में राहुल ने अतरिक्त विवरण के साथ दिए साबूत और आयोग से मांगा जवाब। गाँधी बोले कर्नाटक के महादेवपुरा में 1,00,250 वोटो की चोरी हुई।
लेखन – हिंदुजा
कांग्रेस नेता और लोक सभा में विपक्षी नेता राहुल गाँधी ने गुरुवार, 7 अगस्त को घंटे भर से ऊपर की प्रेस वार्ता में भारत के चुनाव आयोग (ECI) पर “आपराधिक धोखाधड़ी” और वोट चोरी करने के लगाए आरोप। राहुल गाँधी ने अपनी प्रेस वार्ता शुरू करते हुए कहा की सत्ता-विरोधी लहर दुनिया के हर लोकतंत्र में आती है मगर बीजेपी के लिए ये कभी नहीं आती।
राहुल ने दावा किया कि भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए बैंगलोर सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत महादेवपुरा विधानसभा सीट पर 1,00,250 “फर्जी वोट” बनाए गए थे। राहुल ने अपने प्रस्तुति में सबूत दिया की कितने नाम एक बार से ज़्यादा बार मतदाता सूचि में आते हैं और कितनो के घर के नंबर या माता पिता के नाम में कोई नाम नहीं लिखा हुआ बल्कि कोई भी अंग्रेजी के अक्षर लिखें हुए हैं।
गाँधी ने ऐसे पांच अलग-अलग तरीके गिनाए जिनके माध्यम से कथित वोट चोरी की गई : डुप्लिकेट मतदाता, फर्जी और अमान्य पते, एक ही पते पर बड़ी संख्या में मतदाता, अमान्य फोटो और फॉर्म 6 का दुरुपयोग।
राहुल ने बताया की कांग्रेस ने ये सबूत इक्कट्ठा करने के लिए छह महीने लंबी जाँच की और ये तब हुआ जब उनकी पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षण में कर्नाटक में 16 लोकसभा सीटों पर जीत की भविष्यवाणी की गई थी। लेकिन जब उसे केवल नौ सीटें मिलीं, तो पार्टी ने सात “अप्रत्याशित” हारों में से एक का गहन विश्लेषण करने का फैसला किया और बेंगलुरु मध्य सीट पर ध्यान दिया।
फोटो कैप्शन: प्रस्तितु के दौरान एक स्लाइड
उनका कहना है की महादेवपुरा विधानसभा सीट पर लगभग 1,00,250 वोट चुराए गए थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के विश्लेषण में 11,965 डुप्लीकेट मतदाता, 40,009 फर्जी और अमान्य पते वाले मतदाता, 10,452 बल्क मतदाता या एकल पते वाले मतदाता, 4,132 अवैध फोटो वाले मतदाता और 33,692 मतदाता ऐसे पाए गए जो नए मतदाताओं के लिए जारी किए गए फॉर्म 6 का दुरुपयोग कर रहे थे।
उदाहरण के तौर पर राहुल ने अपनी प्रस्तुति में दिखाया कि गुरकीरत सिंह डांग नाम चार अलग-अलग मतदान केंद्रों में मतदाता के रूप में पंजीकृत थे, और उनके पास चार अलग-अलग मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPCI) संख्याएँ हैं। एक और मतदाता, आदित्य श्रीवास्तव का नाम उत्तर प्रदेश के वाराणसी, महाराष्ट्र के मुंबई और कर्नाटक के बेंगलुरु की मतदाता सूची में आता है। मतलब एक ही नाम से अलग अलग राज्यों तक में उस इंसान ने हो सकता है वोट दिया हो।
राहुल गांधी की प्रेस वार्ता के बाद, कर्नाटक और महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारियों ने उनको चुनौती देने वाले अंदाज़ में उनसे उन मतदाताओं की सूची जिनके नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं या जिन अपात्र मतदाताओं को इसमें जोड़ा गया है उनको एक शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत करने को कहा।
हालांकि, एक जवाब के दौरान राहुल ने कहा “मैं एक राजनेता हूँ, जनता से जो कहता हूँ वही मेरी बात है। मैं इसे सार्वजनिक रूप से कह रहा हूँ, इसे ही मेरी शपथ मानिए।” उन्होंने आगे जोड़ा की दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने इस जानकारी का खंडन नहीं किया है।
My word is my oath says Rahul Gandhi … pic.twitter.com/BTdERuq4BO
— Abhisar Sharma (@abhisar_sharma) August 7, 2025
वहीँ बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण के चलते “डॉग बाबू” और “डोनाल्ड ट्रम्प” नाम से मिले ऐप्लिकेशन
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चल रहे विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान (SIR) के बीच समस्तीपुर ज़िले से RTPS (लोक सेवाओं का अधिकार) पोर्टल के ज़रिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड जॉन ट्रंप के नाम पर आवासीय प्रमाण पत्र का आवेदन दिया गया।
29 जुलाई को जमा किए गए इस आवेदन में पिता का नाम “फ्रेडरिक क्रिस्ट ट्रंप” और पता – हसनपुर, वार्ड 13, बकरपुर पोस्ट, मोइनुद्दीन नगर, लिखा गया था। आवेदन के साथ दस्तावेज़ों में डोनाल्ड ट्रंप की तस्वीर और एक फर्जी आधार कार्ड लगाया गया था।
पिछले ही महीने पटना के मसौढ़ी में “डॉग बाबू” और नवादा में “डोगेश बाबू” जैसे नामों से भी फर्जी आवेदन आए थे।
Bihar’s SIR has President Trump from Samastipur & Ram S/O Dashrath & Kaushalya from Khagaria.
Only Lord Ram can save us from @ECISVEEP madness! pic.twitter.com/pP7uOOViHq— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) August 6, 2025
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है।
उन्होंने इसी वायरल मामले का हवाला देते हुए कहा कि समस्तीपुर में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और खगड़िया में भगवान राम, पिता दशरथ और माता कौशल्या के नाम से मतदाता सूची के लिए आवेदन किया गया है। महुआ मोइत्रा ने कहा कि यह केवल मज़ाक या तकनीकी गलती नहीं है, बल्कि मतदाता सूची की पूरी प्रक्रिया पर सवालिया निशान है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रहा है और बिहार जैसे चुनावी राज्य में जानबूझकर फर्जीवाड़े को नजरअंदाज़ किया जा रहा है।
विपक्ष पहले से ही संसद में इस मुद्दे को उठाता रहा है, लेकिन अब इन उदाहरणों के सामने आने के बाद उनका दावा है कि (SIR) की प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता की भारी कमी है।
टिप्पणी
ऐसे सबूतों और मामलों के सामने आने के बाद चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। आयोग को अब इस पर खुलकर और गंभीरता से बात करने की सख्त ज़रूरत है और कुछ सवालों के जवाब देने की भी। सवाल जैसे:-
- क्या चुनाव आयोग जानबूझकर भाजपा को फायदा पहुँचा रहा है?
- क्या आयोग स्वतंत्र संस्थान बना रह गया है या अब वो भी सत्ता का उपकरण बन चुका है?
- अगर विपक्षी नेता सबूतों के साथ आरोप लगा रहा है, तो सिर्फ शपथ पत्र माँगने से जवाबदेही खत्म नहीं हो जाती?
केवल शपथ-पत्र माँगने की चुनौती देने से उन पर लगे आरोप ख़तम नहीं हो जाएंगे। यदि एक विपक्षी नेता सार्वजनिक रूप से आधिकारिक गड़बड़ी का आरोप लगाता है और दस्तावेज़ों के साथ सबूत भी पेश करता है, तो आयोग की ज़िम्मेदारी बनती है कि वह उन आरोपों का बिंदुवार खंडन करे, और अगर वे गलत हैं तो अपने पक्ष में ठोस प्रमाणों के साथ उन्हें खारिज करे। सिर्फ यह कह देना कि ‘जवाब दे दिया गया है’ पर्याप्त नहीं है।
जब तक सभी राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग की प्रक्रिया और निष्पक्षता पर भरोसा नहीं होगा, तब तक आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठते रहेंगे।
यह भी याद रखा जाना चाहिए कि 2024 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को कुल 36.6% वोट मिले थे, यानी देश की बहुसंख्यक आबादी ने अन्य दलों को वोट दिया। ऐसे में, आयोग पर यह जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि वह बहुसंख्यक जनमत का विश्वास अर्जित करे क्योंकि लोकतंत्र केवल जीतने वालों का नहीं होता वह हारने वालों का भी उतना ही है।
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