National Nutrition Week 2023: नमस्कार दोस्तों! द कविता शो में आपका स्वागत है। आज 1 सितंबर है और आज से शुरू हो रहा है पोषण साप्ताह। मतलब साल में सात दिन हमारे लिए ऐसे रखे गए हैं जब हम अपने खान-पान के बारे में बात करें। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक आहार, ताकतदार खाना खाने के बारे में बात करते हैं। अलग-अलग जगहों पर कैम्प लगाए जाते हैं। सरकारी अधिकारी इसपर जमकर बात करते हैं। अगर हेल्दी खाना खाते है तो हम बीमारियों से दूर रहते हैं और हमारा दिल दिमाग और शरीर अच्छे से काम करता है। लेकिन क्या सब लोग हेल्दी और पौष्टिक खाना खा पाते हैं? क्या हमारे पास इतना सारा पैसा है कि आम जनता भी हर दिन पौष्टिक खाना खा पाए।
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एक ज़माना था जब खेतों में खूब पैदावार होती थी। खासकर मोटा अनाज उगाया जाता था। मोटा अनाज मतलब ज्वार, बाजरा, कोदई,सावा, काकुन, चना और बेर्रा खाते थे। गेहूं-चावल हमें तब खाने के लिए मिलता था जब बड़े त्यौहार होते थे या कोई मेहमान घर में आते थे। उस टाइम में गेहूं की रोटी और चावल घर में बनते बहुत महगें अनाज थे। आज वो ज़माना है कि हम मोटा अनाज न तो खाते हैं, न ही उगाते हैं। जितना भी अनाज और सब्जियां हम खाते हैं उसमें एक तरह से केमिकल वाली उर्वरक खादें डाली जाती हैं जो जहर की तरह हमें नुकसान करती हैं। खाद युक्त गेहूं-चावल खाते हैं और तो और सब्जियां तो जहरीले इंजेक्शन डालकर ही उगाई जाती हैं। खासकर जिसको हम पौष्टिक सब्ज़ी कहते हैं, लौकी। कद्दू या जो भी सब्ज़ियां हो, वो बिना इंजेक्शन के नहीं उगाई जाती हैं। हमने इस पर कई स्टोरी भी की हैं।
आजकल फास्टफूड इतना मार्केट में आ गया है कि बच्चे घर का बना खाना पसंद ही नहीं करते हैं। चाउमीन, बर्गर, पिज़्ज़ा, मोमोज, फिंगर, मैगी और पास्ता खाना पसंद करते हैं। ये सब मैदे से तैयार होते हैं और हमारे शरीर को बहुत नुकसान करता है लेकिन खाने में इतना टेस्ट है कि घर का खाना ही लोग पसंद नहीं करते हैं। इतनी सुविधाएं बढ़ा दी गई हैं कि शहर, कस्बा और गांवो तक में ऑनलाइन बुक करने में सब मिल जाता है। ये सब खाने में जितना स्वाद से भरपूर होता है उतना ही सेहत के लिए हानिकारक होता है। ऐसे खाने से ही हमको बीमारियां होती हैं और ऐसे खाने से ही आज कल लोग बीमारियों के घेरे में आ गए हैं।
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पहले सरकार भी इतनी योजनाएं नहीं चलाती थी कि लोगों को घर बैठे हर तरह की सुविधा दे लेकिन अब तो सब कुछ मिलता है। फ्री राशन मिलता है सभी जनता के लिए। आंगनबाड़ी में बच्चों को पोषाहार मिलता है। स्कूल में बच्चों को मिड-डे-मील मिलता है। हाँ, वो बात अलग है कि ये योजनाएं भी कई बार कागजों के पन्नों में दर्ज होती हैं और बड़े-बड़े घोटाले होते हैं। इस पर एक अलग लम्बी चर्चा हो सकती है क्योंकि आजकल बहुत सारे बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। उनके लिए भी सरकार बहुत कुछ करती है लेकिन उसका असर ज़मीनी स्टार पर नहीं दिखता। इसलिए आप अपने-अपने स्वास्थ्य के लिए खुद ज़िम्मेदार बनिये। खूब मेहनत करिये और अच्छा व पौष्टिक खाना खाइये। स्वस्थ्य रहिये मस्त रहिये और खुश रहिये। इस बार के शो में इतना ही अगले एपिशोड में फिर मिलूंगी, तब तक के लिए नमस्कार!!
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